उत्तराखंड के पिंडारी ग्लेशियर को ट्रैक ऑफ द ईयर घोषित किया गया है। हिमालय पर्वतश्रेणी में बागेश्वर के पास का एक बड़ा हिस्सा पिंडारी ग्लेशियर के अंदर आता है। यह नंदादेवी और नंदकोट की चोटियों के बीच का इलाका है। यह पूरा इलाका करीब 90 किलोमीटर में फैला है। पिंडारी ग्लेशियर तक पहुंच आसान बनाने के लिए खाती तक सड़क निर्माण का काम भी तेजी से पूरा होने के करीब है। अगर आप यहां ट्रैक करना चाहते है तो कम से कम एक हफ्ते का समय जरूर लेकर चलिएगा।
बागेश्वर पहाड़ी से ऊपर लोहारखेत से ट्रेक शुरू होता है। यहां हरियाली के साथ पहाड़ी के अद्भुत दृश्य देखकर आप दंग रह जाएंगे। प्रकृति की सुंदरता आपकी परेशानी को पल भर में परे कर देते हैं। हिमालय के सफेद चोटियों के बीच हरे-भरे जंगलों से गुजरते हुए जब आप ट्रैकिंग करते हैं तो किसी जंग को फतह करने जैसी खुशी मिलती है। लोहारखेत के बाद धाकुड़ी में विश्राम कर सकते हैं।
धाकुड़ी के बाद पैदल चलकर खाती गांव पहुंचते हैं। यहां सड़क बनाने का काम चल रहा है। एक तरह से कह सकते हैं कि यह पिंडारी ग्लेशियर तक पहुंचने से पहले आखिरी गांव है। पिंडर गंगा नदी के किनारे पहाड़ी पर बसा यह गांव बेहद सुंदर है। यहां विश्राम कर ट्रैकर अपनी थकान मिटा लेते हैं। फिर यहां से द्वाली तक का ट्रैक करते हैं। फिर यहां से फुरकिया और फिर पिंडारी पहुंचते हैं। यह पूरी यात्रा रोमांच से भरी होती है।
यहां दुनिया भर से लोग घूमने-फिरने के साथ ट्रैकिंग और एडवेंचर टूरिज्म के लिए आते हैं। फोटोग्राफी के शौकिन लोगों के लिए भी यह इलाका किसी जन्नत से कम नहीं है। उत्तराखंड सरकार ने राज्य में एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया है। राज्य ने इसके साथ ही अब हर साल किसी खास पर्यटक स्थल का चुनाव कर ट्रैक ऑफ द ईयर घोषित करने का फैसला किया है।
सरकार ने पिंडारी ग्लेशियर के बारे में प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी कुमाऊं मंडल विकास निगम को सौंपी है। पिंडारी ग्लेशियर के ट्रैक ऑफ द ईयर घोषित होने के बाद निगम की ओर से यहां कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उत्तराखंड पर्यटन विभाग एक ट्रैकिंग एप भी बना रहा है। जिससे ट्रैकिंग के लिए आने वाले पर्यटक इस एप के जरिए अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। उम्मीद है कि अगले महीने अगस्त, 2022 तक एप के तैयार हो जाने पर इसे उत्तराखंड पर्यटन विभाग की वेबसाइड पर भी डाल दिया जाएगा।
पिंडारी ग्लेशियर में ट्रैक करने का सबसे अच्छा सीजन अप्रैल से जुलाई और सितंबर से अक्तूबर के बीच रहता है। बताया जा रहा है कि इस साल यहां साढ़े आठ सौ से ज्यादा ट्रैकर जा चुके हैं। फिलहाल उन्हें वन विभाग की चौकी कपकोट, खाती और जैकुनी में रजिस्ट्रेशन करना होता है, लेकिन एप बन जाने से इससे छुटकारा मिल जाएगा।
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