हमारा देश भारत एक अद्भुत देश है और इसे अद्भुत बनाने में बेहद बड़ा योगदान है यहाँ की विविधताओं का जिसका अनुभव हमें भारत के अलग-अलग हिस्सों में होती है। अगर त्योहारों की ही बात करें तो भारत में अलग-अलग जगहों पर अनेकों छोटे-बड़े त्यौहार मनाये जाते हैं जिनमें से कई त्यौहार खास तौर पर देश के किसी खास हिस्से में एक बेहद खास और अनूठे तरीके से मनाया जाता है। साथ ही आज जिस त्यौहार की बात हम करने जा रहे हैं वो जुड़ा तो है सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने या मकर राशि में प्रवेश करने और सर्दियों के अंत के साथ लम्बे दिनों की शुरुआत का जश्न मनाने से, लेकिन इस खास अवसर के उत्सव को मनाने का तरीका आपको भारत के अलग-अलग शहरों में अलग-अलग होने के साथ बेहद अनूठा और सुन्दर देखने को मिलता है।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं मकर सक्रांति की जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और इसी के साथ नई फसल के मौसम के स्वागत के लिए देश के सभी हिस्सों में उत्सव मनाया जाता है। तो आज के हमारे इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि देश के कुछ खास शहरों में इस शुभ दिन और शुभ मौके का किस तरह से उत्सव मनाया जाता है। चलिए शुरू करते हैं...
अहमदाबाद, गुजरात
हम सभी जानते हैं कि अहमदाबाद का पतंगबाज़ी महोत्सव देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बेहद प्रसिद्द है। यहाँ आयोजित इस पतंग महोत्सव में देश के अनेक राज्यों से पतंगबाज़ तो आते ही हैं लेकिन इसके साथ ही अनेक देशों से भी बहुत से पतंगबाज़ अहमदाबाद में आयोजित इस पतंगोत्सव में हिस्सा लेने आते हैं। अहमदाबाद ही नहीं बल्कि पुरे गुजरात प्रदेश में इस खास दिन को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है और बड़ी धूम-धाम से मान्य जाता है। यहाँ हर वर्ष करीब हफ्ते भर के लिए आयजित होने वाला यह पतंग महोत्सव अब पूरी दुनिया में एक खास पहचान रखता है। इस उत्सव के दौरान अहमदाबाद का आसमान रंग-बिरंगी सामान्य पतंगों के साथ बड़े-बड़े बलून, घोड़े, फल, कार्टून और अनेकों अनोखी आकार की बेहद बड़ी पतंगों से भी सज जाता है जिसकी एक झलक भी आपके मन में हमेशा के लिए बस जाने वाली होती है। साथ ही इस उत्सव के दौरान यहाँ आप कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी शामिल हो सकते हैं जिससे आप गुजरात की संस्कृति और पारम्परिक कलाओं से भी रूबरू हो सकते हैं।
प्रयागराज, उत्तरप्रदेश
उत्तरप्रदेश का इलाहाबाद शहर जिसे आज हम प्रयागराज नाम से जानते हैं वहां भी मकर सक्रांति का पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। प्रयागराज ही नहीं बल्कि पुरे प्रदेश में इस खास दिन का एक विशेष महत्त्व माना जाता है। प्रयागराज में मकर सक्रांति को प्रथम स्नान पर्व के तौर पर भी मनाया जाता है और इसी के साथ शुरुआत होती है प्रयागराज के प्रसिद्द माघ मेले की। हमारे देश की पवित्र गंगा नदी इस अद्भुत शहर से भी गुजरती है और प्रथम स्नान पर्व के दिन लोग गंगा नदी में डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं। जनवरी महीने में उत्तर भारत में कड़ाके की ठण्ड पड़ती है और इतनी ठण्ड में भी हज़ारों लोग प्रयागराज में सुबह से ही आपको संगम तट पर जहाँ गंगा और यमुना का अद्भुत मिलन होता है वहां डुबकी लगाते हुए दिख जायेंगे जिसे अनुभव करना भी अपने आप में बेहद खास होता है।
इसके अलावा इस दौरान तिल, गुड़ और उड़द का दान कर श्रद्धालु पुण्य प्राप्त करते हैं साथ ही इस दिन खिचड़ी खाने को भी और दान करने का भी अपना महत्त्व बताया जाता है। जरूरतमंदों को कपड़ों और अन्य ऊनी चीजों का दान करना भी इस दिन बेहद पुण्य प्रदान करने वाला बताया जाता है। संगम की रेती पर चलने वाले माघ मेले में कल्पवासी पितरों के मोक्ष और कामनाओं की पूर्ति का संकल्प लेकर स्नान और दान करते हैं।
संगम तट पर स्नान और दान करने के अलावा पतंग उड़ाना भी यहाँ मकर सक्रांति के उत्सव का एक प्रमुख हिस्सा है जब गली-गली में आपको अनेकों पतंगबाज़ पतंगबाज़ी की प्रतिस्पर्धा में शामिल होते दिखते हैं।
अमृतसर, पंजाब
पंजाब में मकर सक्रांति से 1 दिन पहले लोहड़ी का पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है साथ ही अगले दिन मकर सक्रांति को भी उत्सव के रूप में मनाया जाता है। मकर सक्रांति की पूर्व संध्या पर लोहड़ी का पर्व अमृतसर के साथ पूरे पंजाब में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है जिसमें शाम के समय परिवार और आस-पास के लोग एक साथ इकट्ठे होकर अग्नि के किनारे बैठते हैं साथ ही चारों ओर घेरा बनाकर नाचते-गाते है। लोहड़ी को शीत ऋतू के समापन के तौर पर देखा जाता है और किसानो के लिए यह समय बेहद हर्षोल्लास से भरा होता है और इसी पवित्र और शुभ अग्नि में सभी लोग गुड़, रेवड़ी, मूंगफली, टिल, गजक आदि अर्पित करके अच्छी फसल के लिए ईश्वर का धन्यवाद् भी देते हैं।
साथ ही अगले दिन मकर सक्रांति को माघी के तौर पर भी जाना जाता है जिस दिन नदी और स्वर्ण मंदिर में पवित्र कुंड में स्नान करने का बेहद विशेष महत्त्व बताया जाता है। पतंग उड़ाने और दीपक जलाने की परंपरा भी इस पर्व को खास बनाती है। इसके अलावा इन दिनों में यहाँ बनाये जाने वाले पकवान बेहद लाजवाब होते हैं जिसमें खिचड़ी, खीर गुड़ के साथ मुख्य तौर पर हर घर में बनाये और खाये जाते हैं।
चेन्नई, तमिलनाडु
चेन्नई के साथ ही पुरे तमिलनाडु में किसानों को समर्पित यह त्यौहार पोंगल के रूप में मनाया जाता है। तमिल कैलेंडर के अनुसार इस दिन नए वर्ष की शुरुआत होती है और इस तरह यह दिन नए साल के पहले दिन बनाया जाता है। इस त्यौहार को बनाने के पीछे भी करण वही है जब किसान अपनी गन्ने, धान इत्यादि की फसलों को पका देख प्रसन्न हो जाते हैं और ईश्वर, प्रकृति और जानवरों का धन्यवाद इस उत्सव के साथ करते हैं। पोंगल का त्यौहार 1 नहीं बल्कि 4 दिनों तक मनाया जाता है और इन चार दिनों को भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल और कनुम पोंगल के तौर पर मनाया जाता है। पहले दिन घरों की साफ़-सफाई के बाद दूसरे दिन सूर्यदेव की पूजा के साथ विशेष पकवान बनाये जाते हैं। फिर तीसरे दिन लोग खेती में मदद करने वाले जानवरों के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं और उन्हें खास गन्ने और चावल से बने पकवान खिलाते हैं। चौथे दिन सभी लोग ईश्वर और पशुओं का धन्यवाद देने के बाद एक दूसरे से मिलते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। तमिलनाडु के अलावा भी पूरे दक्षिण भारत में इस पर्व का बेहद खास महत्त्व बताया जाता है।
जयपुर, राजस्थान
सूर्यदेव के उत्तरायण में प्रवेश के इस मौके को राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर के साथ पुरे राजस्थान में भी बड़ी धूम-धाम से बनाया जाता है। गुजरात के अहमदाबाद की तरह जयपुर में भी बेहतरीन पतंगोत्सव का आयोजन किया जाता है जो की आम तौर पर विश्व प्रसिद्द जल-महल की पाल पर किया जाता है जहाँ दूर-दूर से पतंगबाज़ अपनी पतंगबाज़ी की कला को आजमाने आते हैं। इसके अलावा सभी घरों में लोग आपको तरह तरह की रंग-बिरंगी पतंगे उड़ाते हुए दिख जायेंगे। लोग पूरे दिन छतों पर तेज़ म्यूजिक और माइक के साथ पतंग उड़ाने और एक दूसरे की पतंग काटने का बड़े उत्साह से आनंद लेते हैं। इसी दिन जयपुर में स्थित बेहद प्राचीन और पवित्र कुंड में लोग डुबकी लगाते हैं और साथ ही किसान नयी और अच्छी फसल के लिए धन्यवाद और प्रार्थना भी करते हैं। इस दिन लोग तिल के लड्डू, मूंगफली की चिक्की, दाल की पकोड़ी आदि के साथ अनेक राजस्थानी व्यंजनों का आनंद लेते हैं।
इसके अलावा जयपुर शहर के साथ ही पूरे राजस्थान में इस दिन दान-पुण्य का दौर भी शुरू होता है और लोग कपड़ों, कम्बल और ऊनी वस्त्रों और अनेक जरुरत की वस्तुओं को दान किया करते हैं। इसके अलावा दिन ढलने से लेकर देर रात तक आपको पूरा आसमान विशिंग लैंप की रौशनी और आतिशबाज़ी से सजा दिखेगा।
तो इसी के साथ देश के अलग-अलग शहरों में बेहद खास तरीके से किसानों और फसलों से जुड़े इस खास मौके को बेहद उत्साह से मनाया जाता है। इससे जुडी जितनी भी जानकारी हमें थी हमने इस लेख के माध्यम से आपसे साझा करने की कोशिश की है।
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