जेल पर्यटन: बगैर किए कोई अपराध, कैसे जेल में बिताए एक रात

Tripoto
9th Oct 2023
Photo of जेल पर्यटन: बगैर किए कोई अपराध, कैसे जेल में बिताए एक रात by रोशन सास्तिक

अगर आपका कोई दोस्त आपसे कहे कि वो आपको जेल की हवा खिलाएगा, तो सामान्य-सी बात है कि इसे सुनकर आप डर जाएंगे। और सोचने लग जाएंगे कि आखिरी आपने उसके साथ ऐसा कौन-सा गलत काम कर दिया कि वो आपको जेल में बंद करने की बात कर रहा है। लेकिन हम आपको बता दें कि जरूरी नहीं जब कोई आपको जेल की हवा खिलाने की बात कहे तो वो आपको धमकी ही दे रहा है। बहुत मुमकिन है कि सामने वाला आपको कहीं घूमने चलने के लिए कह रहा हो। जी हां, इन दिनों जेल में जाना सिर्फ अपराधियों का काम नहीं रह गया है। घूमने का शौक रखने वालों के लिए भी जेल के दरवाजे खुले हुए हैं। आपको यह सब सुनकर भले अजीब लग रहा हो लेकिन घूमने के लिए ऐसे ही अजीबोगरीब जगहों की तलाश करने वालों के लिए सरकार द्वारा जेल टूरिज्म चलाया जा रहा है।

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जेल टूरिज्म। यह शब्द सुनकर आपको भले ही थोड़ा अटपटा लगे, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक जमाने से जमाने भर में इस तरह की थीम पर आयोजित टूरिज्म जोर-शोर से चल रहा है। दरअसल, जानने की जिज्ञासा और जानकर अनुभव करने की अभिलाषा दोनों ऐसे अहम ट्रिगर पॉइंट है जो लोगों को किसी नए सफर पर निकलने के लिए इंफ्लुएंस करने का काम करते हैं। और जेल एक ऐसी जगह है जिसके बारे में ऊपर-ऊपर से बेसिक बातें तो सब जानते है। लेकिन असल में वो अंदर से कैसी होती है? वहां की दिनचर्या क्या होती है? अंदर का माहौल कैसा होता है? जेल में बंद कैदी कैसा व्यवहार करते हैं और उनके साथ कैसा व्यवहार होता है? जेल में एक छत के नीचे मौजूद इतने सारे अपराधियों के बीच प्रशासन लॉ एंड ऑर्डर कैसे बनाए रखता है? इन सवालों के जवाब सभी के पास नहीं होता।

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अगर आपके मन में भी जेल को लेकर इस तरह के सवालों की बाढ़ आती है, तो आप भी जेल टुरिज्म के जरिए अपने सारे सवालों का जवाब अपने आंखों से देख सकते हैं। जेल टुरिज्म के जरिए आप एक पूरा दिन जेल में किसी कैदी की तरह रह सकते हैं या फिर जेल परिसर को किसी पर्यटन स्थल की तरह घूम सकते हैं। आप एक पूरा दिन किसी कैदी के भेष में रहकर जेल में जीवन जीने का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। जेल में कैदी कितने बजे उठते हैं, दिनभर में उन्हें कितनी बार और कितने प्रकार का खाना मिलता है, उनको जेल में कौन-कौन-से काम करने पड़ते हैं, कैदियों के आपस में और जेलर के साथ कैसे संबंध होते हैं, जेल में कैद लोगों की मानसिकता किस तरह ही होती है, जेल का असल जीवन कैसा होता है। जब आप खुद ही कैदी की तरह जेल में ठहरेंगे, तब आपको उपर्युक्त अपने सभी सवालों का जवाब खुद-ब-खुद मिल जाएगा।

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भारत में इस वक्त कई ऐसे जेल हैं, जहां आप जेल टूरिज्म के तहत उस जेल के अंदर जाकर जेल से जुड़े जीवन से खुद भी जुड़ सकते हैं। इन जेलों में आप एक निर्धारित शुल्क अदा कर 24 घंटे बिता या फिर दिनभर का समय बीता सकते हैं। यहां आपको पूरे एक दिन तक जेल में रहने वाले बैरक दिया जाएगा। पहनने के लिए कैदियों वाले कपड़े दिए जाएंगे। फिल्मों में जिस तरह कैदियों को खाने के लिए एल्युमिनियम की प्लेट दी जाती है, ठीक वैसी ही एक प्लेट खाने के लिए आपको दी जाएगी। बैरक में सोने के लिए चटाई और बिस्तर भी मिल जाएगा। जहां एक कोने में बैठकर आप अपने अस्तित्व को लेकर उठने वाले सवालों के जवाब तलाश सकते हैं। जब आपको भुख लगेगी तब एकदम किसी हिंदी फिल्म की तरह आपको कैदियों के साथ लाइन में लगकर खाना लेना होगा। और तो और कैदियों को जैसे जेल में रहने के दौरान अपने खर्चे-पानी के लिए कोई न कोई काम करना होता है। वैसे ही आप भी कैदियों से जुड़े किसी काम में हाथ आजमा सकते हैं।

यरवदा जेल, पुणे

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महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे में स्थित राज्य के सबसे नामचीन जेल का नाम आपने अक्सर टीवी या फिर अखबार में सुना होगा। बॉलीवुड की फिल्मों में भी इस जेल का काफी बोलबाला है। अगर आप महाराष्ट्र में हैं, तो फिर जेल टूरिज्म के लिए इससे बेहतर दूसरा कोई और ठिकाना नहीं है। अंग्रेजों द्वारा साल 1871 में बनाया गया येरवडा जेल 500 एकड़ में फैला हुआ है और यहां 5000 से ज्यादा कैदियों को रखने की जगह है। ब्रिटिश शासनकाल में महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, जवाहर लाल नेहरू जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को येरवडा जेल में बंदी बनाकर रखा गया था। इसलिए इस जेल में एक दिन रहकर आप स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी स्मृतियों को भी जीने और संजोने का काम कर सकते हैं। इसके अलावा यही वो जगह है जहां कसाब जैसे खूंखार आतंकी को फांसी दी गई थी। तो जेल टूरिज्म के दौरान आपको फांसी दिए जाने वाली जगह को भी अपनी आंखों से देखने अवसर मिलेगा।

तिहाड़ जेल, नई दिल्ली

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इस जेल का तो क्या ही कहना। इसका नाम सुनकर आम आदमी तो छोड़िए बड़े से बड़े अपराधी तक डर से थर-थर कांपने लग जाते हैं। लेकिन जेल टूरिज्म के जरिए आप बगैर भयभीत हुए इसके परिसर का भ्रमण कर सकते हैं। करीब 400 एकड़ में फैले इस जेल में देश के सबसे खूंखार और बेहद खतरनाक कैदियों को रखा जाता है। इसलिए आप इसके एक सीमित परिसर में रहकर ही जेल में अपना एक दिन बिता सकते हैं। इस दौरान आपको एकदम किसी कैदी की तरह एक जेल में रख दिया जाएगा और कपड़े भी कैदियों वाले पहना दिए जाएंगे। इसके बाद आप जेल परिसर में घूमकर तिहाड़ जेल और इस जेल में रहने वाले कैदियों के जीवन को बेहद करीब से देख और समझ पाएंगे। जेल टूरिज्म के तहत आए लोगों को जेल के असली कैदियों से मिलने और बातचीत करने का मौका भी मिलता है। लेकिन इन लोगों में वही कैदी शामिल होते हैं जो मामूली सजा के तहत जेल में बंद होते हैं। बाकी इस बात का ध्यान रखिएगा कि आपको असली कैदी वाला फील आए इसलिए जेल कर्मचारियों द्वारा आपके साथ कैदियों जैसा ही व्यवहार किया जाएगा।

सेलुलर जेल, अंडमान

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अंडमान द्वीप पर स्थित सेलुलर जेल आम लोगों के बीच कालापानी की सजा पाने वाले कैदियों की जेल के रूप में ज्यादा प्रचलित है। इस जेल से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की बेहद दर्दनाक दास्तान जुड़ी है। क्योंकि अंग्रेजों द्वारा हमारे अनगिनत क्रांतिकारियों को अंडमान की इस काल कोठरी में काल के गाल में समा जाने तक कैद कर रखा गया। अंग्रेजों ने सेलुलर जेल में बरिन्द्र कुमार घोष, बटुकेश्वर दत्त, बाबाराव सावरकर, विनायक दामोदर सावरकर, जतीश चंद्र पाल, फजल-ए-हक खैराबादी और योगेन्द्र शुक्ला जैसे अनगिनत क्रांतिकारियों पर बेइंतहा जुल्म ढहाए। आप इस जेल में भ्रमण के दौरान बेहद करीब से उन सभी के दर्द को महसूस कर सकते हैं। इस जेल का पर्यटन असल में अतीत में जाकर अपनी आजादी की लड़ाई और इस लड़ाई में बहाए गए लाखों लोगों के लहू को अपनी आंखों से देखने जैसा है। इस जेल का पर्यटन आपको रुलाएगा भी और साथ ही गर्वान्वित होने का मौका भी देखा कि आजादी जो हमारा जन्मसिद्ध अधिकार था उसको हम अंततः लेकर ही माने। फिर भले बदले में कितनी ही जानों की हंसते-हंसते बाजी लगा दी हो।

हिजली जेल, पश्चिम बंगाल

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इस जेल की भयावहता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसे एक डिटेंशन कैंप के तौर पर बनाया गया था। अंग्रेज पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में मौजूद इस जेल का इस्तेमाल क्रांतिकारियों को क्रूरतम सजा देने के लिए करते थे। इतिहास के पन्नों पर इस जेल का नाम यहां साल 1931 में हुए एक गोलीबारी कांड के चलते हमेशा के लिए दर्ज हो गया। हिजली फायरिंग कांड में तब पुलिस द्वारा निहत्थे क्रांतिकारियों पर गोलियों का बरसात कर दी गई और इसमें अनगिनत लोग शहीद हो गए। ऐसा खुनी इतिहास रखने वाले जेल का भ्रमण करते वक्त आप इसकी हर दिवार पर इतिहास की इबारत को पढ़ने का काम कर सकते हैं। जवाहर लाल नेहरू म्यूजियम में तब्दील कर दिए गए इस डिटेंशन कैंप में एक दिन रहकर आप आतंकित कर देने वाले हमारे अतीत को अपनी आंखों में कैद कर सकते हैं। फिलहाल आईआईटी खड़गपुर के परिसर में स्थित होने के चलते यहां आने वाले ज्यादातर लोग हिजली जेल से भी रूबरू होकर ही जाते हैं।

संगारेड्डी जेल, तेलंगाना

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इस जेल का इतिहास करीब 220 साल पुराना है। करीब 3 एकड़ में फैले इस जेल को हैदराबाद के एक निजाम द्वारा साल 1796 में तैयार किया गया था। यह जेल साल 2012 तक सामान्य जेल की तरह ही काम करता रहा। फिर साल 2016 में इसे एक संग्रहालय और होटल में तब्दील कर दिया गया। फिर इसके बाद से ही कोई भी व्यक्ति जो अपने जीवन का एक दिन किसी कैदी की तरह जेल में रहकर गुजारने की इच्छा रखता है, उसे यहां 500 रुपए वसूल कर कैदियों की तरह रहने दिया जाता है। पर्यटक 'फील द जेल' योजना के तहत संगारेड्डी जेल में पूरे 24 घंटे का समय बीता सकते हैं। इस दौरान उनके साथ यहां के कर्मचारी एकदम कैदियों वाला व्यवहार ही करते हैं। खाने के लिए भी आपको कैदियों वाला खाना ही मिलेगा और वो भी कैदियों वाले समय पर। यानी दिन का आखिरी खाना आपको शाम 6 बजे दे दिया जाएगा। और फिर अगले अन्न के लिए आपको अगले दिन तक का इंतजार करना होगा।

जेल टूरिज्म के जरिए जेल की हवा खाले के लिए क्या करें?

एक पर्यटक के तौर पर जेल का दौरा करने के लिए आपको सबसे पहले संबंधित जेल अधीक्षक से संपर्क करना होता है। इसके बाद आपको जेल प्रबंधन के पास एक आवेदन जमा करना होता है। जेल प्रबंधन द्वारा आपके आवेदन की जांच के बाद आपको जेल यात्रा की अनुमति दी जाती है। जेल टूरिज्म के लिए आपसे 500 से 1000 रुपए तक का शुल्क वसूल किया जाता है। जेल में प्रवेश करने के लिए आपको अपने साथ अपना पहचान पत्र और आधार कार्ड लाना होता है।

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सनद रहे कि पर्यटकों को जेल के अंदर मोबाइल, कैमरा, पानी की बोतलें, खाने-पीने का सामान, सामान ले जाने की इजाजत नहीं होती है। वैसे जाते-जाते हम आपको आगाह करते हुए जाना चाहते हैं कि जेल टूरिज्म के नाम पर एक दिन जेल में गुजारने की बात सुनने में जितनी रोमांचक लगती है, असल में उतना ही ज्यादा मुश्किल भी होता है। लेकिन इतना पक्का है कि सिर्फ 24 घंटों के लिए अपनी आजादी को गिरवी रखने के बाद आपको आजादी की अहमियत और उसकी असली कीमत का अहसास हो जाएगा।

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