घूमना किसको पसंद नही है, सबको पसंद है और इसलिए हमने इस बार अपने घूमने का स्थान सिल्क रूट को चुना,
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वैसे तो हमारा ये कॉलेज का फील्ड टूर था और हम पहली बार जंगल, बर्फ और पहाड़ो की सैर करने वाले थे वो भी 10 दिनों तक, हमलोग 8 लोग थे 1 हमारे प्रोफेसर और 7 हमारे बैच के ....हम लोग सभी एमएससी कर रहे थे सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड ,रांची।
हमने अपना बैक पैक ,राशन पानी (घर का बना हुआ नाश्ता), कुछ मेडिकल किट और कुछ ज़रूरी सामान जो कि हमारे फील्ड में काम आने वाले थे उनको लिया जैसे जीपीएस और फिर हम निकल गए 10 दिनों की रोमांचिक कर देने वाली टूर पर।
हमने रांची से बस की टिकट ली थी जो बस सिल्लीगुड़ी तक जाने वाली थी। हम सभी रांची से सिल्लीगुड़ी की AC स्लीपर में टिकट लिए जिसका किराया ₹700 था, वैसे तो टिकट का किराया ₹850 था लेकिन हमलोग 8 लोग थे तो हमलोग को डिस्काउंट मिल गया।।
रांची से सिल्लीगुड़ी तक कि कुल लंबाई 650 कि.मी.थी, और हमारी बस शाम के 5 बजे खुली थी , थोड़ा बातचीत करने के बाद हमलोग सब अपनेअपने सीट पर आके सो गए, हमलोग सारे हँसी मज़ाक भी कर रहे थे, लेकिन सर थे साथ मे तो थोड़ा कंट्रोल भी कर रहे थे, और फिर सैर की दुनिया मे हम कब सोए पता ही नहीं चला, जैसे ही सुबह 6 बजे नींद खुली तो मैंने खिड़की से बाहर देखा तो चाय के बागान देखने को मिल रहे थे मैं पहली बार चाय के बागान को देख रहा था और बस देखे जा रहा था
अब हमलोग सिल्लीगुड़ी पहुँच चुके थे, करीब करीब सुबह 7.30 बज गए थे। वहांँ से हमलोग को लावा जाना था, जैसे बस स्टैंड के बाहर आए, वहाँ पर बहुत सारी कार लगी हुई मिलेगी जो कि गंगटोक, दार्जलिंग लेके जाते है लेकिन हमें लावा जाना था तो वो रूट ऐसा था कि उधर पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं जाता है। वहाँ पर खुद की गाड़ी लेकर ही जाना पड़ेगा इसलिए हमने एक बोलेरो को चुना काफी बारगेनिंग करने के बाद वो ₹3200में तैयार हूँ ले जाने के लिए, तो उस हिसाब से सभी लोग ₹400 ही आया जो कि ठीक था हमारे बजट के हिसाब से, फिर हमलोग की यात्रा शुरू होती है, रास्ते बहुत प्राकृतिक नज़ारो से भरे पड़े थे।
रास्ते पर हम चाय पीने के लिए रुके और वहाँ का दृश्य बहुत मनमोहक था।
हमलोग करीब 3 बजे लावा पहुँच चुके थे, करीब 5-6 घंटे लगे पहुँचने में, रोड काफी शानदार नहीं थी, कहीं-कहीं पर काफी टूटी फूटी रोड थी, लेकिन प्रकृतिक नज़ारे ने हमे उसका अहसास ही नहीं होने दिया, बॉलीवुड गाने गुनगुनाते हुए हमलोग लावा पहुँचे।
लावा बंगाल राज्य का सबसे सुदूर इलाका है जो कि भूटान के बॉर्डर के नज़दीक है। हम लोग ने होटल लिया और थोड़ा रेस्ट करके बाहर निकल गए घूमने के लिए।
हमारे होटल के ठीक बगल में एक मोनेस्ट्री भी था, हमने शाम का वक़्त वहीं पर बिताया और फिर रात के लिए हमने पास में ही एक रांची की फैमिली की छोटी सी दुकान थी, हमने उनसे बात की रात के डिनर के लिए, उन्होंने बोला कि अगर आप मुझे सामान लाकर देते है तो हम आपके लिए डिनर बना देंगे और सिर्फ बनाने का चार्ज लेंगे वो भी सिर्फ ₹150 तो हम लोग ने उन्हें चिकन लाकर दिया और सब मिलके रात का डिनर वहीं पर किया।।
अगले सुबह को हमलोग को "नेवरा वैली नेशनल पार्क" जाना था।
होटल ग्रीन - 225₹ (शेयरिंग बेसिस)
डिनर - ₹100
लंच - ₹100
सिलीगुड़ी - लावा किराया - 400₹
सुबह-सुबह जल्दी-जल्दी हमलोग तैयार हुए, क्योंकि हमें नेवरा वैली नेशनल पार्क जाना था। हम सभी उसी दुकान पर चाय पी और फिर कुछ नाश्ते के लिए मैग्गी, बिस्कुट और भी सामान रख लिए ताकि हम जंगल में खाएँ।
हमलोगों ने पहले से वहाँ जाने के परमिशन ले रखी थी, वो लावा से करीब करीब 10 कि.मी. की दूरी पे थी, लेकिन वहाँ जाने के लिए हमें वहीं से एक कार बुक करनी थी, और सबका रेट पहले से निर्धारित था।
फिर हमलोग ने एक टैक्सी लिया और फिर शुरू जंगल तक का जाने का रास्ता, रास्ता बेहद ही खराब थी, ऐसा लग रहा था मानो थोड़ा सा गाड़ी का इधर उधर गया तो हमलोग इधर का द्वार, मध्य द्वार खोजते खोजते सीधा हरिद्वार पहुच जाएंगे खैर ड्राइवर को काफी अनुभव था और करीब 1 घंटे या 45 मिनेट की यात्रा के बाद हम पार्क के गेट के पास पहुच चुके थे।।
हम लोग पहले से गेट पास बनवा चुके थे, और हम सभी लोग कॉलेज से थे तो अधिक परेशानी नहीं हुई। उन लोगों ने हमे अपने साथ जंगल को सही तरीके से घुमाने के लिए अपने साथ एक आदमी को भेजा, वहाँ से हमलोग निकल पड़े। अंदर जाने के बाद मानो ऐसा अहसास हुआ हम कहाँ पर आ गए, पगडंडी जैसी सड़कें थी जो शायद जंगल कर्मचारी वाले यूज़ करते थे, बड़े- बड़े पेड़, ठंडी हवाएँ, और पक्षियों की मनमोहक आवाज़, हमने कुछ पॉइंट को मार्क किए अपने जीपीएस की मदद से, कुछ पेड़ों को पहचाना और काफी देर तक हम अंदर घूमते रहे, फिर साथ मे जो कर्मचारी थे उन्होंने बताया कि थोड़ा सा आगे जाने के बाद एक नदी मिलती है जहाँ लोग ट्रैकिंग करते है और फिर उसके बाद भूटान का इलाका शुरू हो जाता है फिर हमलोग वापस आ गए।
वापस आने के बाद हम सब थक चुके थे, भूख भी बहुत ज़ोर की लगी थी, फिर हमने अपने साथ लाए हुए मैग्गी को वहाँ के कर्मचारी को दे दिया, जिन्होंने हमारे लिए मैग्गी, चाय बनाई, फिर हमने उनसे बात की तो पता चला कुछ दिन पहले एक बाघ वहाँ पर आ गया था जिसके पंजे का निसान अभी भी उनके पास था।।
जंगल में मैग्गी खाने का मज़ा ही कुछ और था। वाह!
जंगल से आने के बाद हम सभी फिर शाम का वक़्त बिताने वहीं मोनेस्ट्री में गए। हम लोग जब पहुचे तो वहाँ पर कुछ आरती या फिर कुछ पढ़ाई चल रही थी, हम सभी लोग जाकर उस जगह पर बैठ गए।।।
शाम में होटल आ जाने के बाद फिर हम सभी खाना खाया और फिर सब अपने अपने मोबाइल पर लग गए लेकिन नेटवर्क नहीं होने के कारण फिर सब सो गए।
अगली सुबह हम सभी को वहाँ से चेकआउट करने के बाद आरितार को जाना था जिसके रास्ते मे ऋषिखोला, रिशोप ये सब जगह आती है।
नाश्ता - ₹50
लावा से नेवरा पार्क - ₹150 प्रति व्यक्ति
लंच - ₹100
डिनर -₹100
होटल ग्रीन - ₹225
ऋषिखोला एक छोटा सी जगह है जहाँ से ऋषि नाम की नदी जाती है वहाँ पे थोड़ी गर्मी थी और नदी की छोटी से जलधारा थी जिसके कारण वहाँ पर कुछ पिकनिक स्पॉट जैसा बना हुआ था और वही से फिर सिक्किम में एंटर करते है।
लेकिन हमारा रात में रहने का प्रबंध आरितार में था इसलिए हमलोग सभी वहाँ थोड़ा सा का दृश्य देखकर आगे निकल गए।
रास्ते भर हमने बहुत सारी जगह देखी और करीब करीब 3 बजे हम आरितार पहुच गए। वहाँ पे हमलोग होम स्टे बुक किए थे जिसका कोस्ट ₹700 पर पर्सन था उसमे रहना और खाना सब था और उनलोगों ने हमे 3 रूम प्रोवाइड किए।
होम स्टे काफी शानदार जगह पर था, मानो किसी पहाड़ की ऊँची चोटी पे था और वहाँ से नज़ारा काफी अच्छा था।
हम सब जैसे ही वहाँ पहुचे अपना सामान रख देने के बाद ,हम सभी खाना खाया।
खाना खाने के बाद थोड़ा आराम किया और फिर हमारे होम स्टे के पास एक छोटा सा लेक था वहाँ पर घूमने चले गए, उसी लेक के पास ही पूरा आरितार बसा हुआ है।
अगली सुबह हम सभी सुबह जल्दी जल्दी उठे और पास में ही एक नेशनल पार्क था, वह घूमने के लिए, लड़कियों को हमने सोने के लिए छोड़ दिया हमे पता था वो लोग नही उठेंगे, करीब 7-8 कि.मी. चलने के बाद पता चला वो नेशनल पार्क अभी बंद है, फिर हमलोग उल्टे पाँव वापस आ गए।
वहाँ से आने के बाद हम सभी को वहाँ से निकलना था, और हमारा अगला प्लेस पदमचेन्न और उसके बाद जुलुक होते हुए गंगटोक का था।
लावा - आरितार किराया - ₹375
आरितार होम स्टे - ₹700(9775915047)
नोट : ऋषिखोला में ना रुके,क्योंकि वहाँ गर्मी बहुत होगी
आगे की यात्रा अगले भाग में।
भाग 2
सिल्क रूट 10 दिन और 10 खूबसूरत जगह (भाग 2)
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निखिल कुमार
sglneekhil@gmail.com
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