आपको शायद पता होगा की हिमालयी क्षेत्र मे 500 से ज्यादा खूबसूरत घाटियाँ मौजूद है। इन्ही घाटियों मे हिमाचल के कुछ बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन जैसे शिमला, कुल्लू, मनाली, धर्मशाला, सोलन, काजा, कसोल इत्यादी भी मौजूद है। यहा मेरा मकसद सिर्फ आपको एक नई, अंदेखी, अंसुनी, शर्मीली, जन्नत के बारे मे बताने का है। जहाँ आप अभी भी प्रकृति के साथ संवाद स्थापित कर सकते हैं, जहां सिर्फ आप हो, जहां आप खुद को मिल सकें और अपने आप के बारे में अच्छे से जान सकें।
मुझे आज भी याद है वह ताजा ठंडी हवा का झोंका, वह कलकल बहती नदी की आवाज , वो ताज़ा, मेरे पैरों के बीच से बहता हुआ नदी का ठंडा पानी, वो दिलकश मौसम, वो बेहिसाब खूबसूरती और शांति।
यदि आप भी हिमाचल प्रदेश जाने की सोच रहे हैं और किसी नई जगह पर जाना चाहते हैं तो हां निश्चित रूप से यह लेख आपके लिए ही है। इसमें आपको कुछ नया जानने को मिलेगा। मैंने जब इस जगह जीभी के बारे में सुना, तो मैं इसके बारे में ज्यादा नहीं जानता था। बस इंटरनेट पर थोड़ा सर्च किया था और एक-दो अच्छे यात्रा ब्लॉग भी पढ़े थे। बस तभी मैंने डिसाइड कर लिया कि मुझे भी यहां जाना है और देखना है इस जन्नत को जिसे जीभी कहते हैं।
जीभी एक छोटा और शांत गांव है जो बंजार घाटी में पड़ता है। यहां से भारत-तिब्बत सीमा भी ज्यादा दूर नहीं है। कह सकते हैं यह भारत का अंतिम गांव भी है। भारत-तिब्बत सीमा के पास जीभी तक पहुंचने का रास्ता भी बेहद खूबसूरत है। व्यास नदी बलखाती नागिन की तरह सड़क के साथ-साथ चलती है। रास्ते की हरियाली भी आपका मन मोह लेगी। वह दूर सफेद बर्फ से ढके पहाड़ मानो आपको अपनी गोदी में बुला रहे हो। चीड़ और देवदार के वृक्ष बहुतायत में हैं जिसके कारण इस जगह की हरियाली देखते ही बनती है। द ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भी यहां से ज्यादा दूरी पर नहीं है।
तो अब उस स्वर्ग सरीखी बेहद खूबसूरत जगह के बारे में बताने का समय है जहां मैं रुका था। यह एक 65 से 70 साल पुरानी प्रॉपर्टी थी जिसे कि अब एक नया रूप देकर एक होमस्टे में परिवर्तित किया गया है। इसकी खूबसूरती के बारे में मैं क्या कहूं! प्रॉपर्टी के चारों ओर बड़े और ऊंचे चीड़ और देवदार के पेड़ इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे। पहाड़ों का दृश्य बड़ा ही मनोरम तथा मनोहारी था। बिल्कुल पास ही में बहती एक नदी भी थी जिसकी कल-कल की आवाज मेरे कानों में रस घोल रही थी। पहाड़ों में रुकने के लिए डोली गेस्ट हाउस से बेहतर जगह मेरे लिए हो नहीं सकती थी। सच कहूँ तो मैं शायद इतनी खूबसूरत जगह पर पहली बार रुका था।
इस गेस्ट हाउस के मालिक कर्ता-धर्ता श्री बीएस राणा है जो आर्मी के एक रिटायर्ड अधिकारी हैं। वह बेहद ही मिलनसार व्यक्ति हैं। राणा जी ने हमें बताया कि हम आसपास कहां ट्रेकिंग के लिए जा सकते हैं और क्या नया कर सकते हैं।
डोली गेस्ट हाउस दूरभाष नंबर: 9816058290। लगभग 1500 रुपए में आप दो लोग कॉटेज में 1 दिन के लिए ठहर सकते हैं। बाकी सारी बातें आप मिस्टर राणा से फोन पर कर सकते हैं।
कैसे पहुँचें?
वायु मार्ग: सबसे नजदीकी ऐरपोर्ट भुंतर है जो कुल्लू मे है। यहाँ से जीभि की दूरी लगभग 60 से 65 किलोमीटर है। आप दो से ढाई घंटे मे यहाँ पहुँच सकते है। टैक्सी का किराया लगभग 2000 रुपये होगा।
रेलवे मार्ग: जैसा की आप जानते है की हिमाचल मे विस्त्रृत रेल्वे नही है।
वाया रोड: आप अगर चाहे तो चंडीगढ़ या दिल्ली से भी आ सकते है। दिल्ली से आप 12 से 14 घण्टे मे भी यहाँ आ सकते है। आप दिल्ली या चंडीगढ़ से सीधी मनाली की बस पकड़िए और कुल्लू के पास उतर जाइये। जहाँ से आपको जीभि के लिए बस या टैक्सी मिल जायेगी। आप चाहें तो राणा जी को कॉल भी कर सकते हैं, वो आपके लिए टैक्सी की व्यवस्था कर देंगे।
समय से पहुँचने के लिए आपको यात्रा सुबह जल्दी शुरू कर देनी चाहिए। पहाड़ों में सफर करने के लिए यही गुरुमंत्र है।
हिमाचल प्रदेश के इस अनछुए गांव की रग-रग में खूबसूरती और सुकून है
क्या देखें?
जिभी फॉल्स, चेहनी किला, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क और सियोल झील।
कब जाएँ?
सर्दियों मे यहाँ खूब ठंड पड़ती है। नवंबर से फरबरी यहाँ बर्फ रहती है जिसके कारण तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। आप अगर मेरी माने तो सर्दिया छोड़कर किसी भी मौसम मे आये बहतर रहेगा।
ये जगह बेहद खूबसूरत है! और यहाँ इस कॉटेज के होस्ट राणा जी बहुत ही खुशमीजाज और मिलनसार व्यक्ति है। गेस्टहाउस में आये सभी मेहमानों का बेहतरीन तरीके से ख्याल रखते हैं।
इससे बेहतर शायद कुछ हो नही सकता था !
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