
सिरमौर हिमाचल प्रदेश का एक खूबसूरत जिला है जिसका जिला मुख्यालय नाहन है| सिरमौर का अर्थ है जो सबसे आगे हो| हिमाचल प्रदेश में वैसे तो हर साल बहुत टूरिस्ट आते है लेकिन सिरमौर जिले को नजरअंदाज कर देते हैं| चाहे सिरमौर जिले में आपको कोई बड़ा हिल स्टेशन नहीं मिलेगा पर फिर भी सिरमौर की कुदरती खूबसूरती आप का मन मोह लेगी| सिरमौर के बारे में कहा जाता है कि पहले यह एक राजा की रियासत थी| आज हम इस पोस्ट में सिरमौर जिले में देखने लायक पांच जगहों के बारे में बात करेंगे| सिरमौर जिले में पांच सबसे महत्वपूर्ण जगहों के नाम है|
1. रेनुका जी
2. पांवटा साहिब
3. राजगढ़
4. गुरुद्वारा बढ़ू साहिब
5. हरिपुरधार

1. रेनुका जी
रेनुका जी नाहन से 45 किमी दूर है और गुरू द्वारा बढू़ साहिब से 82 किमी दूर है। यह जगह विष्णु के अवतार परशुराम जी से समबन्धित हैं। नवम्बर में यहां बहुत बडा़ मेला लगता
रेनुका झील हिमाचल प्रदेश की सबसे बडी़ झील हैं। किसी सोई हुए सत्री जैसी आकृति वाली यह पवित्र झील बहुत खूबसूरत है। 2.5 किमी में फैली यह झील घने वृक्षों और पहाडि़यों के बीच है। हमने यहां बोटिंग भी की।
रेनुका मंदिर और परशुराम मंदिर
रेनुका झील के पास रेनुका जी का और परशुराम जी का भव्य मंदिर हैं। पास में ही गायत्री मंदिर भी है, हमनें सभी मंदिरो के दर्शन किये। रेनुका जी मैं फैमिली के साथ अच्छा समय बिताया।


गुरु द्वारा बढू़ साहिब के दर्शनों के बाद हमनें रेनुका जी जाना था, जो गुरुद्वारा बढू़ साहिब से 82 किमी था, पहाड़ी रास्ते में तीन घंटे का सफर था। दोस्तों कई बार रास्ता मंजिल से भी जयादा खूबसूरत हो जाता हैं। ऐसा पहाड़ों में मेरे साथ बहुत बार हुआ हैं। अनजाने रास्ते बहुत खूबसूरत बन जाते है। जब हम गुरूद्वारा बढू़ साहिब से निकले तो नाहन जाने वाले रोड़ पर गाड़ी आगे बढऩे लगी, तीन घंटे का रास्ता था, यह तो हो नहीं सकता था कि हम इतनी खूबसूरती को निहारे बिना ही आगे निकल जाए। जून की गर्मीयो की छुट्टियों में भी यह पहाड़ी रोड़ बिलकुल शांत था, जो बहुत अच्छा लग रहा था कयोंकि इनदिनों में मनाली, शिमला, मंसूरी, नैनीताल वाले रोड़ जाम में फसे होते हैं।
रास्ते में एक जगह मैंने गाड़ी रोक दी, रोड़ से हटकर एक छोटी सी पहाड़ी थी, हम सभी 10 लोग उस पहाड़ी पर चढऩे लगे, पहाड़ी पर चढ़ कर हमनें वहां से दिखाई देने वाले नजारो का आनंद लिया, कुछ देर आराम किया, कुछ फोटोज लिए, फिर अपने सफर को जारी कर दिया। रास्ते में बहुत सारे खूबसूरत झरने आए, हमनें कई झरनों पे गाडी़ रोक कर झरनों का आंनद लिया, एक झरने की नीचे तो मैं नहा भी लिया। इस तरह फैमिली के साथ आनंद लेते हम रेनुका जी पहुंच गए।

2. पाँवटा साहिब
सिख धर्म में पाँवटा साहिब का बहुत महत्व हैं, दसवें गुरू गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवन के 4 साल यहां गुजारे हैं। गुरू जी यहां नाहन रियासत के राजा मेदनी प्रकाश के बुलावे पर आनंदपुर साहिब से यहां आए थे। पूरे विश्व में पाँवटा साहिब ही एक ऐसा शहर हैं जिसको गुरू जी ने खुद बसाया और खुद ही नाम रखा पाँवटा
पाँवटा का मतलब होता है पांव टिकाना यमुना नदी भी साथ ही बहती हैं गुरू द्वारा के, यही पर गुरू जी के बडे़ पुत्र साहिबजादा अजीत सिंह का जन्म भी यही हुआ था। गुरू गोबिंद सिंह जी संत सिपाही थे, कलम और तलवार दोनों के धनी थे, गुरू जी यहां कवि सम्मेलन करवाया करते थे। उनके पास 52 कवि थे। पांवटा साहिब में एक शानदार गुरुद्वारा साहिब बना हुआ है| जहाँ पर आपको रहने के कमरे और लंगर की सुविधा भी मिल जाऐगी| मुख्य गुरुद्वारा साहिब के साथ पांवटा साहिब के आसपास और भी बहुत सारे ईतिहासिक गुरुद्वारा साहिब बने हुए हैं|


3. राजगढ़
राजगढ़ सिरमौर जिले की एक तहसील हैं। राजगढ़ की ऊंचाई 2170 मीटर हैं। राजगढ़ को हिमाचल प्रदेश की पीच वैली भी कहते हैं। यहाँ आडू़ (पीच) फल बहुत होता है। राजगढ़ का मौसम सारा साल खुशगवार रहता हैं।
राजगढ़ के आसपास की खूबसूरती मन मोह लेती हैं। वैसे राजगढ़ में भी देखने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन कुदरती खूबसूरती दिल को छू लेती हैं। राजगढ़ जिला सिरमौर के अंदर आता हैं लेकिन जाने के लिए सोलन से पास पडता हैं। राजगढ़ में खूबसूरत बाजार हैं, यही से एक रोड़ नोहराधार जाता हैं, एक सोलन, एक बडू़ साहिब की ओर जाता हैं। शाम को राजगढ़ के खूबसूरत नजारों का हमनें आनंद लिया। राजगढ़ में किसी समय पर एक किला हुआ करता था, जो आजकल मौजूद नहीं हैं, उस जगह पर आजकल एक सकूल बना हुआ है। गोरखाओं ने 1814 में किले को ध्वस्त कर दिया था।

4. गुरुद्वारा बढ़ू साहिब
इस क्षेत्र को तपोभूमि भी कहते हैं, यह गुरू द्वारा बहुत सुंदर पहाड़ों के बीच हैं। यहां का वातावरण बहुत शांत हैं।
इसीलिए इस को वैली आफ डिवाईन पीस ( Valley of Divine Peace ) कहा जाता हैं। संत अतर सिंह जी ने यहां शिक्षा के बहुत बडे़ ईनसटीचियूट को बनाया जो हिमालय के सुंदर पहाड़ों में सिख धर्म की मर्यादा के अनुसार शिक्षा प्रदान करते हैं। गुरू द्वारा में एक आश्रम भी बना हुआ है| पहाड़ो की गोद में बसे हुए बढ़ू साहिब का वातावरण बहुत आलौकिक है| गुरुद्वारा बढ़ू साहिब में ही एक हसपताल, लाब्रेरी, अनाथ आश्रम और बजुर्गों के रहने के लिए अकाल होम बना हुआ है। हमनें गुरू द्वारा में दर्शन किए यहां आकर मन को बहुत सकून मिला। राजगढ़ से बढ़ू साहिब की दूरी 26 किलोमीटर है|


5. हरिपुरधार
सिरमौर जिले में नाहन से 90 किलोमीटर एक खूबसूरत जगह है जिसका नाम है हरिपुरधार| हरिपुरधार की ऊंचाई 2687 मीटर है जो शिमला से भी ज्यादा ऊंचाई है| हरिपुरधार में एक छोटा सा बाजार है| हरिपुरधार माता भंगयानी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है| हरिपुरधार में माता भंगयानी का शानदार मंदिर बना हुआ है| माता भंगयानी चूड़ेशवर महाराज की बहन है| पूरे क्षेत्र में माता भंगयानी की बहुत मानता है| अगर आप सिरमौर जिले में घूमने का प्रोग्राम बनाते हैं तो रेनुका जी के साथ हरिपुरधार को भी जरूर शामिल कर लीजिए

सिरमौर जिले में घूमने के लिए आपको सबसे पहले नाहन आना होगा जो इस जिले का मुख्यालय है| नाहन से ही आप बस या अपने साधन से रेनुका जी, हरिपुरधार, पांवटा साहिब, बढ़ू साहिब और राजगढ़ आदि जगहों पर जा सकते हो| राजगढ़ आप सोलन के रास्ते से भी जा सकते हो| रहने के लिए आपको इन पांचों जगहों पर कमरे मिल जाऐंगे| इ
