हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में हाटकोटी मंदिर के दर्शन करने के बाद पार्किंग में से गाड़ी निकाल कर हम रोहड़ू की ओर चल पड़े| दोपहर का समय था गर्मी भी लग रही थी कयोंकि हाटकोटी की समुद्र तल से ऊंचाई 1442 मीटर है | धीरे धीरे गाड़ी चलाते हुए मैं रोहड़ू की तरफ बढ़ रहा था| हाटकोटी से रोहड़ू वाली सड़क के साथ पब्बर नदी चलती है| हाटकोटी और रोहड़ू दोनों पब्बर नदी के किनारे बसे हुए हैं| इस समय पब्बर नदी में पानी काफी कम था | हाटकोटी से रोहड़ू तक का रास्ता मुझे बिलकुल मैदानी सड़क वाला लग रहा था| थोड़ी देर बाद रोहड़ू पहुँच जाते है| रोहड़ू शिमला जिले की एक तहसील है| रोहड़ू इस पूरे क्षेत्र का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण शहर है| वैसे कोटखाई-जुब्बल हाटकोटी- रोहड़ू क्षेत्र अपने सेबों के लिए पूरे हिमाचल प्रदेश में मशहूर है| सेबों की वजह से इस पूरे क्षेत्र को एप्पल बेलट आफ हिमाचल भी कहा जाता है|
रोहड़ू - दोपहर के एक बज रहे थे जब हम रोहड़ू पहुंचे थे| हिमाचल प्रदेश के एक मशहूर गाने में भी रोहड़ू का नाम आता है जिसके बोल है "रोहड़ू जाना मेरी अंमीए रोहड़ू जाना! जाना जाना मेरी अंमीए रोहड़ू जाना| यह गाना मैंने सुना था तो मेरे मन में भी था किसी दिन मैं भी रोहड़ू जायूंगा| आज मैं रोहड़ू अपनी गाड़ी को डराईव करते हुए अपनी वाईफ और बेटी के साथ पहुँच गया था| रोहड़ू में हमें वहाँ के लोकल देवता शिकडू महाराज के मंदिर के दर्शन करने थे| रोहड़ू शहर के बीचों बीच ही शिकडू महाराज जी का मंदिर बना हुआ है| रोहड़ू के भीड़ भरे बाजार से गुजरते हुए मैंने गाड़ी में बैठे ही एक चौक में पुलिस वाले से शिकडू देवता मंदिर जाने के रास्ते के बारे में पूछा | हिमाचल प्रदेश के पुलिस वाले ने मुझे बताया यहाँ से आगे जाकर मेन रोड से दाएं तरफ एक छोटी सी गली ऊपर बाजार के बीच में से जाती है जो आपको आगे शिकडू देवता मंदिर तक ले जाऐगी| दूसरी बात उसने बताई शिकडू देवता मंदिर आने और जाने का रास्ता वन वे हैं आप इस रास्ते से जाओगे और दूसरे रास्ते से रोहड़ू के सरकारी हसपताल की तरफ निकलोगे| मैंने उस भले पुलिस वाले का धन्यवाद किया | उसके बताए हुए रास्ते पर चलते हुए मैं रोहड़ू के शिकडू देवता मंदिर के पास अपनी गाड़ी से पहुँच गया| गली थोड़ी संकरी थी एक गाड़ी ही जा सकती है | मंदिर के पास थोड़ी सी जगह है जहाँ मैंने गाड़ी पार्क कर दी | फिर हम शिकडू देवता मंदिर के दर्शन के लिए चल पड़े| दोपहर का समय था मंदिर बंद था लेकिन लोहे के गेट के अंदर शिकडू देवता के दर्शन हो रहे थे| हमने शिकडू महाराज के दर्शन किए| मंदिर का डिजाइन बिलकुल पहाड़ी स्टाईल में बना हुआ है लकड़ी का भी प्रयोग हुआ है| शिकडू देवता मंदिर के दर्शन करने के बाद हम गाड़ी में बैठ कर वन वे वाले दूसरे रास्ते से दुबारा रोहड़ू शहर की सड़क पर पहुँच गए |
दोपहर के दो बजे थे| जब हम हिमाचल प्रदेश के रोहड़ू से रामपुर बुशहर के लिए रवाना हो रहे थे| रोहड़ू से रामपुर बुशहर तकरीबन 82 किमी का पहाड़ी सफर है जिसको हमने पांच से साढ़े पांच घंटों में पूरा किया था| हिमाचल प्रदेश की एक गाड़ी के पीछे लिखा हुआ मैंने पढ़ा था "रास्ते चाहे जैसे मर्जी हो हम शौक से गुजरते हैं" | यह बात रोहड़ू से रामपुर बुशहर वाले आफबीट वाले रास्ते पर पूरी तरह लागू होती है| यह एक ऐसा रोमांचक रास्ता है जहाँ आपको कुदरत की बेएंतहा खूबसूरती देखने के लिए मिलेगी| कोई ट्रैफिक नहीं, शोर शराबा नहीं, छोटी सी सड़क, कभी चढ़ाई कभी उतराई | एक ऐसा रास्ता भी आता है जहाँ 30 किमी तक कोई सड़क भी नहीं मिलेगी सिर्फ मिट्टी का रास्ता जिसमें बारिश के बाद कीचड़ और पानी भरा हुआ मिलेगा| ऐसे रोमांचक सफर के बाद आप रोहड़ू से रामपुर बुशहर तक पहुंचते हो रास्ते में समरकोट, सुंगरी नामक जगहें आती है जो बहुत आफबीट है| रोहड़ू से समरकोट 17 किमी दूर है| रोहड़ू से आगे एक छोटी सी सड़क पर गाड़ी चलाते चलाते मैं एक घंटे बाद समरकोट नामक एक खूबसूरत गाँव में पहुँच जाता हूँ| समरकोट में पैटरोल पंप ⛽ भी है जहाँ मैंने गाड़ी में 1100 रुपये का पैटरोल भी डलवा लिया कयोंकि आगे रास्ता आफबीट है| हमने हाटकोटी से चलकर चाय नहीं पी थी तो समरकोट गांव के पैटरोल पंप के सामने एक छोटी सी पहाड़ी दुकान पर हमने चाय का आर्डर दे दिया| मेरी बेटी नव किरन के लिए एक गिलास दूध गर्म करवा दिया| उसने शीशी में दूध पिया| चाय पीते पीते ही मैंने दुकान वाली आंटी से समरकोट गांव के बीच पहाड़ी पर दिखाई दे रहे पहाड़ी शैली में लकड़ी और पत्थर के मिश्रण से बने हुए मंदिर के बारे में पूछा तो उसने बताया यह समरकोट का लोकल मंदिर है| उसने बताया वहाँ गाड़ी नहीं जाऐगी आपको पैदल ही चलना पड़ेगा| हमारे पास समय कम था तीन बजे थे रामपुर बुशहर अभी भी 65 किमी दूर था जिसके लिए चार घंटे लग जाने थे इसलिए हमने दूर से ही इस मंदिर की फोटो खींच ली और सुंगरी के लिए आगे बढ़ गए|
सुंगरी - सुंगरी रोहड़ू से रामपुर बुशहर सड़क पर एक पास है जो इस रास्ते को जोड़ता है| सुंगरी एक खूबसूरत आफबीट हिमाचली गाँव है जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 2800 मीटर के आसपास है| रोहड़ू से तीखी चढ़ाई के बाद 25-28 किमी दूर सुंगरी नामक जगह आती है| सुंगरी के चौक में तीन चार दुकाने मिलेगी| वैसे सुंगरी में हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग का एक रैस्ट हाऊस भी है जो शायद अंग्रेज़ों का बनाया है| सुंगरी के आसपास के कुदरती नजारे लाजवाब है| कोई शोर शराबा नहीं लोगों की पहुँच से दूर कुदरत की गोद बिना मोबाइल के नैटवर्क में, शहर के कंक्रीट और सुविधाओं से दूर जंगल, पहाड़ और कुदरत के करीब है सुंगरी | यहाँ पर मुरालहेशवरी महाकाली मंदिर बना हुआ है जो उस समय बंद था | जब हम सुंगरी पहुंचे तो बारिश हो रही थी | हमने चाय समरकोट में पी ली थी नहीं तो सुंगरी में पीते| रोहड़ू से सुंगरी तक रास्ता छोटा था पर ठीक था | जैसे ही हम सुंगरी से आगे बढ़े तो सड़क बिलकुल कच्ची हो गई| एक तो बारिश हो रही थी| दूसरा सड़क के नाम पर मिट्टी और गढ्ढे जिसमें पानी भरा हुआ था| मोबाइल फोन का नैटवर्क भी गायब था | चार बजे का समय था गहरे जंगल में घना अंधेरा छा रहा था| वाईफ बोली यह कैसा रास्ता आ गया है| मैंने कहा कोई बात नहीं सफर में हर चीज का मज़ा लेना चाहिए| एक एक किलोमीटर बड़ी मुश्किल से कम हो रहा था| मिट्टी वाले रास्ते की वजह से मेरी गाड़ी भी कीचड़ वाले पानी से मिट्टी से भर चुकी थी लेकिन धीरे धीरे हौसला रखते हुए मैं गाड़ी चला रहा था| 25 से 30 किलोमीटर तक रास्ता कच्चा ही रहा लेकिन नजारे लाजवाब थे पहाड़ के वियू| एक जगह पर पहाड़ से पानी आ रहा था| वहाँ टूटी लगी हुई थी पानी निकल रहा था मैंने ठंडा ठार पहाड़ का पानी पिया | अपने मूंह को ठंडे पानी से धोया| पानी की बोतल भरी | कुछ समय विश्राम किया| आगे चलकर एक पुल आया जहाँ पर दो रास्ते थे| वहाँ एक गाड़ी वाले से मैंने पूछा रामपुर बुशहर जाना है| उसने बताया दोनों रास्ते रामपुर जाते हैं एक रास्ता छोटा है लेकिन कच्चा है दूसरा रास्ता लम्बा है पर सही है| मैंने लम्बा रास्ता चुना | कुछ देर बात पक्की सड़क आ जाती है अब मैंने गाड़ी की स्पीड बढाई 40 तक जो पहले 15-20 तक चल रही थी| फिर हम नारकंडा-रामपुर वाले नैशनल हाइवे पर चढ़ जाते हैं| रामपुर बुशहर पहुँचते पहुँचते शाम के सात बजे जाते हैं| रोहड़ू से रामपुर बुशहर तक का 82 किमी का रोमांचक सफर पांच घंटे में पूरा होता है| रामपुर बुशहर के हिमाचल प्रदेश टूरिज्म के होटल सतलुज कैफे के सामने गाड़ी पार्क करने के बाद इस कैफे में मसाला चाय का आनंद लेते है| इस तरह रोहड़ू से रामपुर बुशहर का रोमांचक सफर पूरा होता है|