कांगड़ा घाटी में देखने लायक खूबसूरत जगहें

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Photo of कांगड़ा घाटी में देखने लायक खूबसूरत जगहें by Dr. Yadwinder Singh
Day 1


कांगड़ा घाटी- दोस्तों कांगड़ा घाटी का नाम हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत जगहों में आता है| यह खूबसूरत घाटी हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला में है| इस खूबसूरत घाटी में बहुत सारी खूबसूरत जगहें जो देखने लायक है जिनके बारे में इस पोस्ट में जानकारी दी गई है|
1. मशरूर शैल मंदिर
दोसतों होशियारपुर-कांगड़ा मार्ग पर एक जगह आती हैं रानीताल | वहां से सीधी सडक़ कांगड़ा चली जाती हैं जो वहां से 16 किमी दूर हैं|रानीताल से ही एक सडक़ लुंज की तरफ जाती हैं जो महरूर मंदिर जाने का रास्ता हैं।
बहुत सारे दोस्तों ने कांगड़ा घाटी की यात्रा की होगी लेकिन मसरूर शैल मंदिर नहीं गए होगे|मेरी नजर में यह मंदिर कांगड़ा घाटी का नगीना हैं|मैं चार बार जा चुका हूँ यहां| रानीताल से मुड़ कर आपको लुंज जाते हुए बाण गंगा नदी पर बना हुआ खूबसूरत पुल आता हैं। रानीताल से लुंज तक का रास्ता आपको बिल्कुल ग्रामीण हिमाचल प्रदेश के दर्शन करवाता हैं| आप मसरूर जाने के लिए पठानकोट- मंडी हाईवे से भी जा सकते हैं, हाईवे से एक छोटी रोड़ लुंज तक जाती हैं|लुंज से ही एक सड़क गगल तक जाती हैं| जहां कांगड़ा घाटी का खूबसूरत ऐयरपोर्ट हैं। हम हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण दर्शन करते हुए लुंज पहुंच गए|लुंज में PNB का बैंक और एटीएम हैं जो मैंने निशानी रखी हुई हैं जहां से मुड़ना हैं|लुंज से मसरूर शैल मंदिर पास ही हैं।
#मसरूर शैल मंदिर
मसरूर शैल मंदिर के बारे में कहा जाता हैं इसे पांडवों ने बनाया था| कयोंकि उन्होंने कांगड़ा घाटी में काफी समय बिताया हैं| ऐसा भी माना जाता हैं इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में हुआ हैं। मसरूर शैल मंदिर की रचना महाराष्ट्र के अजंता और ऐलोरा की संरचना से मिलती हैं| कई बार इसको ऐलोरा आफ हिमाचल प्रदेश भी कहा जाता हैं| दोस्तों अगर आप दूरी की वजह से ऐलोरा नहीं जा पाए तो मसरूर मंदिर जरूर देखना।
ऐसा माना जाता है मसरूर शैल मंदिर एक ही पहाड़ की चट्टान को काट कर बनाया गया है| अभी इसमें 15 छोटे बडे़ शैल मंदिर बने हुए हैं
ठाकुर द्वारा -  मसरूर शैल मंदिर का मेन मंदिर को ठाकुर द्वारा कहते हैं| अब इसमें राम जी, सीता जी और लक्ष्मण जी की मूर्ति रखी हुई हैं, कई मंदिर पहाड़ी की छत पर बने हुए हैं। 1905 के भूकंप में कांगड़ा घाटी का बहुत नुकसान हुआ|इस मंदिर को भी उस भूकंप ने नुकसान पहुचाया होगा।
मसरूर मंदिर के सामने एक खूबसूरत झील बनी हुई हैं| जब उस झील में मसरूर मंदिर का प्रतिबिंब पानी में दिखता हैं तो बहुत दिलकश नजारा पेश होता हैं।
हमने मसरूर पहुंच कर मंदिर मे माथा टेक कर झील परिक्रमा की| छत पर जाकर दिलकश नजारे देखे|मंदिर के खूबसूरत फोटोज खीचें। अब मसरूर मंदिर पुरातत्व विभाग की देखरख में हैं| मेरी नजर में इस खूबसूरत मंदिर को विश्व विरासत सथल बना देना चाहिए|
मसरूर मंदिर रानीताल से 23 किमी, कांगड़ा से 40 किमी दूर है। दोस्तों जब भी आप कांगड़ा घाटी जाए मसरूर शैल मंदिर जाना मत भूलना।

2. कांगड़ा किला 
कांगड़ा घाटी का नगीना हैं कांगड़ा का किला, धर्मशाला से 28 किमी और कांगड़ा शहर से 3 किमी दूर हैं यह ईतिहासिक और खूबसूरत किला जो दो नदियों बाणगंगा और मांझी नदी के संगम के ऊपर एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ हैं। दोस्तों यह किला कांगड़ा घाटी की शान हैं।
हम कांगड़ा किले पर पहुंचे जो बहुत भवय और ईतिहासिक हैं। मेरी नजर में इस किले को UNESCO world heritage site विश्व विरासत सथल में शामिल करना चाहिए। किले के गेट के बाहर एक छोटा सा आफिस बना हुआ हैं जिससे टिकट लेकर हमनें किले में प्रवेश किया। दोस्तों दिल्ली से उत्तर दिशा में यह भारत का सबसे बड़ा किला हैं|इतना विशाल हैं यह , हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा किला।

#कांगड़ा किला का ईतिहास

दोस्तों कांगड़ा किले का ईतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ हैं| महाभारत काल में कांगड़ा के राजा सुशर्मा चंद्र ने
इसे बनाया और कौरवों की ओर से महाभारत युद्ध में हिस्सा लिया। इस किले पर महमूद गजनी ने दसवीं सदी में, मुहम्मद तुगलक ने तेरवही सदी में हमला किया और बहुत लूटपाट की|  जहांगीर ने भी 1620 ईसवी में इस किले पर कबजा किया|उसके नाम पर किले में एक गेट भी बना हुआ हैं|  1781 में सिख जरनैल जस्सा सिंह कन्हैया ने भी इस उपर राज किया।
कांगड़ा के मशहूर राजा संसार चंद कटोच के समय पर कांगड़ा ने बहुत तरक्की की|  जब 1786 में गोरखाओं ने कांगड़ा पर हमला किया तो संसार चंद ने शेरे पंजाब महाराजा रणजीत सिंह से मदद मांगी| महाराजा ने गोरखाओं को हरा दिया लेकिन बदले में सिर्फ कांगड़ा किले पर अधिकार मांगा| फिर 1846 ईसवी तक सिखों का कांगड़ा किले पर राज रहा। उसके बाद यह किला अंग्रेजो के हाथ में आ गया |  आजादी के बाद  भारत सरकार के पास इसका अधिकार आ गया। किले के अंदर लक्ष्मी नारायण और जैन मंदिर हैं। हमने भी इस किले को खुले टाईम में देखा| किले से बहुत खूबसूरत दृश्य दिखाई देते हैं। सदियों के ईतिहास को समेटे हुए इस किले को देखने से मन तन निहाल हो गया।

मसरूर शैल मंदिर कांगड़ा घाटी

Photo of Kangra by Dr. Yadwinder Singh

मसरूर शैल मंदिर में मेरी तसवीर

Photo of Kangra by Dr. Yadwinder Singh

ठाकुर द्वारा मसरूर शैल मंदिर

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कांगड़ा किला

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कांगड़ा किला की मूर्ति कला

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मैं कांगड़ा किला में

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कांगड़ा किला में हम

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कांगड़ा किला के पास मंदिर

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Day 2


3. बैजनाथ मंदिर

दोसतों पालमपुर  से हम बैजनाथ मंदिर देखने के लिए चल पड़े। बैजनाथ मंदिर पालमपुर से 16 किमी दूर हैं | जलद ही हम बैजनाथ पहुंच गए, बैजनाथ कांगड़ा जिला का एक खूबसूरत कसबा हैं जो शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध हैं। बहुत सारे लोग इस मंदिर को 12 जयोतलिंगों में भी मानते हैं, लेकिन झारखंड वाले वैधनाथ धाम को गिना जाता हैं | इस शिव मंदिर की महिमा भी कम नहीं हैं। हमनें नागर शैली में बने इस खूबसूरत मंदिर के दर्शन किए| मंदिर में जयादा भीड़ न होने के कारण दर्शन बहुत अच्छे हुए| मन खुश और शांत हो गया दर्शन करके| मंदिर में की हुई पत्थर पर कलाकारी मंत्रमुग्ध करने वाली हैं | पत्थर से बनाए हुए नंदी बहुत खूबसूरत लगते है। शिवरात्रि पर पहां बहुत भारी मेला लगता हैं। इस मंदिर को दो भाईयों मानयाका और अहूका ने 1204 ईसवीं में बनाया था। 19 वी सदी में कांगड़ा के मशहूर राजा संसार चंद ने भी थोडा़ निमार्ण करवाया इस मंदिर का, यहां भगवान शिव को वैधयानाथ कहा जाता हैं, ( Lord of Physicians) डाकटरों के भगवान | यहां रहने खाने पीने की सारी सुविधा मौजूद है | एक और बात यहां की | बैजनाथ में दशहरा में रावण का पुतला नहीं जलाया जाता। शिव मंदिर के दर्शन करके हम पालमपुर लौट गए।

4. धर्मशाला हिल स्टेशन
धर्मशाला कांगड़ा जिला का मुख्यालय हैं, अंग्रेजो के समय में कांगड़ा जिला भारत के सबसे बड़े जिलों में एक था, धर्मशाला अंग्रेजो द्वारा बनाए गए 80 हिल स्टेशनों में से एक हैं। धर्मशाला शहर 1300 मीटर से लेकर 1800 मीटर की ऊंचाई तक बसा हुआ हैं, यह शहर एक सडक से जुड़ा हुआ हैं जो ऊपर ही ऊपर चढती जाती हैं।
धर्मशाला एक खूबसूरत हिल स्टेशन हैं, यहां की खूबसूरती आपका मन मोह लेती हैं। धर्मशाला से सटा हुआ मैकलोडगंज, फोरसाइथगंज में आज भी अंग्रेजो की छोड़ी हुई छाप मिल जाऐगी। आज धर्मशाला पूरे विश्व में दलाईलामा के मुख्यालय होने कारण मशहूर हैं, इसे मिनी लहासा भी कहा जाता हैं, लहासा तिब्बत की राजधानी हैं, अब तिब्बत पर चीन का कब्जा हैं, तिब्बत चीन से आजादी चाहता हैं, 1959 में दलाईलामा ने भारत में शरण मांगी थी, भारत सरकार ने तिब्बतियों को धर्मशाला में शरण देकर बसाया।
धर्मशाला और मैकलोडगंज में देखने के लिए बहुत कुछ है
युद्ध समारक
कांगड़ा कला संग्रहालय
कुणाल पथरी मंदिर
सेन्ट जाँन चरच
मेकलाउडगंज
भागसू फाल
डल झील
धर्मकोट
क्रिकेट मैदान

बैजनाथ मंदिर जिला कांगड़ा

Photo of Baijnath by Dr. Yadwinder Singh

बैजनाथ मंदिर का खूबसूरत दृश्य

Photo of Baijnath by Dr. Yadwinder Singh

नंदी जी

Photo of Baijnath by Dr. Yadwinder Singh

बैजनाथ मंदिर में मेरी तसवीर

Photo of Baijnath by Dr. Yadwinder Singh

धर्मशाला हिल स्टेशन

Photo of Baijnath by Dr. Yadwinder Singh

धर्मशाला

Photo of Baijnath by Dr. Yadwinder Singh
Day 3

5. चामुण्डा देवी मंदिर और गोपालपुर चिडियाघर
दोसतों धर्मशाला घूमने के बाद हम पालमपुर की ओर जाने लगे|  आज रात हमें पालमपुर ही रूकना  था लेकिन रास्ते में धर्मशाला से 16 किमी दूर बहुत ही मशहूर चामुण्डा देवी मंदिर हैं जिसके दर्शन करने के बाद हम पालमपुर की ओर बढ़े।
# चामुण्डा देवी मंदिर
यह प्रसिद्ध मंदिर धौलाधार की पहाड़ियों की पृष्ठभूमि में बनेर नदी के तट पर सिथत हैं, इसके पीछे एक शिवलिंग भी हैं | चामुण्डा जी की समुद्र तल से ऊंचाई 1000 मीटर के आसपास हैं| मंदिर के पास बहती बनेर नदी बहुत खूबसूरत दृश्य पेश करती हैं | हमनें माता जी के दर्शन किए | माथा टेकने के बाद कुछ समय बनेर नदी के तट पर बिताया |  कुछ लोग नदी में सनान कर रहे थे| यहां नदी में कोलड़ डिक्रंस को रख कर ठंडा किया जाता हैं|  फ्रिज की जरुरत ही नहीं, नदी का पानी ही बहुत ठंडा हैं। चामुण्डा जी में ठहरने के लिए बहुत होटल धर्मशाला बनी हुई है | हिमाचल प्रदेश टूरिज्म का भी यात्री निवास बना हुआ हैं।
#गोपालपुर चिडियाघर
धर्मशाला से 25 किमी और चामुण्डा जी से 9 किमी दूर पालमपुर वाले रोड़ पर गोपालपुर गाँव में गोपालपुर चिडियाघर बना हुआ हैं। हम इस चिडियाघर को देखने के लिए रूके। यह एक छोटा सा चिडियाघर हैं, जहाँ हिमालयन पक्षियों के साथ बहुत सारे जानवरों को रखा हुआ है जैसे तेदुआ, हिमालयन बलैक बीयर, सांभर डीयर, बारकिंग डीयर, जंगली सूर, गिरझें, अलग अलग तरह के मोर, ईगल आदि। वैसे मुझे पक्षियों और जानवरों को कैद में देखना अच्छा नहीं लगता पर चिडियाघर में बहुत अनदेखे पक्षी देखने को मिल जाते हैं|  इस चिडियाघर में हिमालयन पक्षियों को संभाल कर रखा गया हैं|  चिडियाघर सोमवार को बंद रहता हैं। इसको देखने के बाद हम पालमपुर की तरफ बढ़ गए।

6. पालमपुर
यह खूबसूरत शहर कांगड़ा घाटी का एक महत्वपूर्ण शहर हैं जो पठानकोट- मंडी नैशनल हाईवे पर हैं। पालमपुर को हिमाचल प्रदेश की टी सिटी या टी कैपिटल भी कह सकते हैं। पालमपुर अपने चाय के बागानों और धौलाधार के खूबसूरत दृश्यों के लिए मशहूर हैं। पालम का मतलब होता हैं- पानी, जिस जगह पर बहुत पानी हो, चाय के बाग पालमपुर की खूबसूरती को चार चांद लगा देते हैं।
#कांगड़ा चाय की कहानी
कांगड़ा घाटी में चाय अंग्रेजों के समय में डाकटर जैमसन
लाए थे जो north-west frontier province के बोटैनिकल गार्डन के 1849 में Superintendent थे|
कांगड़ा घाटी में चाय के बाग जयादातर पालमपुर के आसपास ही हैं| अंतरराष्ट्रीय लैवल पर कांगड़ा चाय को प्रसिद्धी 1883 में मिली|  उस समय जयादातर चाय के बाग यूरोपियन लोगों के पास ही थे|  लेकिन 1905 में आए कांगड़ा घाटी के भूकंप के बाद अंग्रेजो का पालमपुर से मोह भंग हो गया| इस भूकंप ने कांगड़ा घाटी में बहुत खलबली मचाई। चाय फैक्ट्री के बहुत सारे लोगों की मृत्यु हो गई|  इसके बाद अंग्रेजो ने पालमपुर के चाय के बागानों को लोकल लोगों को बेच दिया | इस तरह तब से लेकर आज तक कांगड़ा चाय पूरी कांगड़ा घाटी की पहचान बन गई हैं।
दोसतों घर में तो चाय हम रोज दो तीन बार पीते ही हैं| कभी चाय के बागानों के बीच हाथ फैला कर खड़ कर फोटो खिचवा कर देखना|  मन में इक खूबसूरत उमंग भर जाएगी। पालमपुर के पास हम भी एक चाय के बागान में रूके | वहां की लोकल कांगड़ा चाय का आनंद लिया | हाथ खोलकर चाय के बागान में फोटोज खिचवाई। यहां आपको बलैक टी, ग्रीन टी, यैलो टी और वाईट टी भी मिल जाएगी | जो बिल्कुल शुद्ध हैं, यह चाय रंग कम देती हैं कयोंकि यह शुद्ध हैं | बाजार वाली चाय रंग जयादा देती हैं उसमें कैमिकल मिला देते हैं | मैंने भी यहाँ से चाय के कुछ पैकेट खरीदे। चाय के बागान में बिताया समय यादगार बन गया | पालमपुर में एक कृषि विश्वविद्यालय भी हैं, जो बहुत खूबसूरत हैं हालांकि वहां मैं जा नहीं पाया | फिर हमनें पालमपुर में रहने के लिए कमरा ले लिया, कयोंकि रात को पालमपुर रहना था, कमरे में सामान रखकर हम पालमपुर के आसपास की जगह को घूमने निकल पड़े।
पालमपुर में बहुत सारे होमस्टे और होटल हैं| हिमाचल प्रदेश टूरिज्म के भी दो होटल हैं पालमपुर में पहला होटल टी बड़ जो चाय के बागानों के पास है | दूसरा नियूगल पालमपुर जिनकी बुकिंग आप हिमाचल प्रदेश की टूरिज्म वैबसाइट पर कर सकते हैं।

#बड़ोह मंदिर
बड़ोह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में धर्मशाला से 52 किमी, कांगड़ा से 23 किमी, पालमपुर से 43 किमी दूर है | पालमपुर से नगरोटा बांगवा से थोड़ा आगे जाकर हमने पठानकोट-मंडी हाईवे को छोडकर हिमाचल प्रदेश की पहाडों वाली छोटी सी संकरी सी सडक़ पकड़ ली |  अब सारा रासता चीड़ के जंगलों से भरा हुआ सुनसान था | मुझे हिमाचल प्रदेश के ऐसे रास्ते बहुत पसंद आते हैं, एक जगह पर बहुत बड़ा बांस का वृक्ष था | जिसके साथ मैने फोटो भी खिंचाई |  नजारे बहुत सुंदर थे उस सड़क पर ऐसे चलते चलते हम बड़ोह मंदिर पहुंच गए। यह मंदिर बी. आर. शर्मा जी ने सफेद मारबल से बनवाया हैं | एक खास बात  उस वक्त हिमाचल प्रदेश में सफेद मारबल से बना हुआ यह सबसे बड़ा मंदिर था  अब का नहीं पता |  हिमाचल प्रदेश में इस मंदिर में सबसे जयादा सफेद मारबल लगा हुआ हैं।
राधा कृष्ण और दुर्गा जी की मूर्ति बहुत आकर्षक हैं। मंदिर पहुंच कर हमने माथा टेका | मंदिर की बेमिसाल खूबसूरती ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया। मंदिर से दिखने वाले दृश्य भी बहुत मनमोहक थे। हमने पूरे आराम से मंदिर के दर्शन किए |
 

गोपालपुर चिड़ियाघर

Photo of Palampur by Dr. Yadwinder Singh

चिड़ियाघर में पंक्षी

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तेंदुआ

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पालमपुर के चाय के बागान में

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पालमपुर के चाय बागान

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चाय का बागान

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बड़ोह मंदिर

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राधा कृष्ण जी

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बड़ोह मंदिर की ओर जाते समय मेरी तसवीर

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बड़ोह मंदिर

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