हम सभी का ये सपना होता है कि एक बार तो कम से कम लद्दाख घूम ही लिया जाय। आज के समय मे लद्दाख जाने वाले सैलानियों की संख्या में पिछले कुछ सालों की तुलना में काफ़ी बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं इस क्षेत्र की अत्यधिक ऊंचाई और कठिन परिदृश्य के कारण यहां सैलानियों के लिए जरूरी सुविधाओं जैसे ठहरने के होटल, टैक्सी, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, भोजन, जल और जनसुविधाओं की उपलब्धता उतनी मात्रा मे नहीं बढ़ पायी है, जो इस बढ़ी हुई संख्या को संभाल सके। इसी कारण से लद्दाख टूरिज्म डिपार्टमेंट ने पैंगोंग झील और अन्य कुछ हाई अल्टिट्यूड वाले स्थानों को लेकर बहुत जरूरी दिशा निर्देश जारी किए हैं। अगर आप भी लद्दाख जाने का प्लान बना रहे हैं तो इसके बारे मे जान लीजिए --
पैंगोंग झील
160 किमी लंबे क्षेत्र मे फैली पैंगोंग झील का एक तिहाई हिस्सा भारत में और दो तिहाई हिस्सा चीन में पड़ता है। ये सामरिक और भौगोलिक रूप से ये एक अत्यंत कठिन और संवेदनशील इलाका है। जनसंख्या न के बराबर, प्राकृतिक खूबसूरती इतनी की आंखों में न समाए और विश्वस्तर पर बिल्कुल दुर्लभ परिदृश्य और परिवेश इसे अपने आप में दुनिया की सबसे अनोखी जगह बनाते हैं।
चारों ओर बहुत ऊंचे और शुष्क/निर्जन पहाड़ों से घिरी इस झील का बेहद सुंदर और नीला पानी सभी को मन्त्रमुग्ध कर देता है। साथ ही करीब 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये दुनिया की सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की झील है। इसका अद्भुत *नीले रंग का पानी इसके चारों ओर के परिदृश्य से बिल्कुल अलग ही दिखाई देता है। ( *आसमान साफ़ होने की स्थिति में)
इसीलिए लद्दाख जाने वाले हर व्यक्ति की लिस्ट में पैंगोंग झील देखने की ईच्छा जरूर होती है। यहां तेजी से बढ़ती हुई सैलानियों की संख्या( खासकर 3 इडियट्स फिल्म के बाद) ने उपलब्ध सीमित संसाधनों पर काफ़ी दबाव बना लिया है। जिसकी वज़ह से सैलानियों को कई दिक्कतों जैसे रुकने के स्थान, ट्रांसपोर्ट( टैक्सी/ बाइक) की कमी सामना करना पड़ रहा है। इसी कारण से लद्दाख टूरिज्म ने ये कुछ बेहद जरूरी निर्देश, सैलानियों को होने वाली समस्याओं से बचाने के लिए जारी किए हैं।
एडवायजरी
1.
पैंगोंग झील आने के लिए हर हाल में पहले से रुकने और टैक्सी की एडवांस बुकिंग होने पर ही पैंगोंग झील को विजिट करने के निर्देश जारी किए हैं।
पैंगोंग झील के साथ-साथ हाई अल्टिट्यूड वाले कुछ अन्य स्थानों जैसे -
A. खारदूंला पास
काफ़ी समय तक दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल सड़क होने का रिकॉर्ड बनाए रखने वाला ये रास्ता 5359 मीटर की काफ़ी अधिक ऊंचाई पर स्थित है। नुब्रा घाटी जाने का रास्ता यहीं से है।
B. सो मोरीरि झील
अत्यधिक सुंदर और शांत इस नीले पानी की झील को देखने दुनिया भर से दीवाने आते हैं। अधिक ऊंचाई पर स्थित भारत की सबसे बड़ी झील है जो पूरी तरह भारत के अंदर है। कम टूरिस्ट, स्थानीय लोगों की इसमे अत्यधिक श्रद्धा और इसकी शांति इसकी मुख्य विशेषताएं हैं। 4522 मीटर की हाइट पर स्थित ये झील रहने के हिसाब से काफी अधिक कठिन माहौल में स्थित है।
C. चांग ला पास
चांग ला लद्दाख में 5,391 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक ऊंचा पहाड़ी दर्रा है। ये लेह से पैंगोंग झील जाने के रास्ते में पड़ता है।
D. पेनजेला पास
4400 मीटर ऊँचाई पर स्थित ये एक पहाड़ी दर्रा है जो करगिल से पादुम और जंस्कार घाटी होते हुए लेह जाने वाले रास्ते पर पड़ता है।
को विजिट करने के लिए जरूरी नियम और शर्तों सहित निर्देश जारी किये हैं।
2.
खारदूंला पास, सो मोरीरि झील, चांग ला पास, पेंजेला पास और पैंगोंग जैसे हाई अल्टिट्यूड वाले इलाकों को विजिट करने से पहले, आपको लेह पहुंचने पर लेह शहर मे कम से कम 48 घंटों तक इस जगह के अनुरूप अभ्यस्त होने के लिए (एक्लेमटाईजेसन) रुकना ही होगा।
3.
पैंगोंग झील एक वन्यजीव अभ्यारण्य है और जैविक रूप से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। अतः सभी सैलानियों को अनिवार्य रूप से इससे संबंधित नियमों का पालन करना, क्षेत्र की सुंदरता और शांति को भंग नहीं करना, वर्जित जगह ना जाना, वर्जित क्रियाकलापों को ना करना तथा सफाई और प्रदूषण के सम्बंध में सभी दिशा निर्देशों का पालन करना होगा। अभी हाल ही पैंगोंग झील में दारू रखकर ऑडी चलाने और नुब्रा घाटी के हुंडर रेगिस्तान में वर्जित इलाके में फ़ौरचूनर गाड़ी चलाने के मामलों ने इस पर सख्ती करने के लिए प्रशासन को मजबूर कर दिया है। वहां की संस्कृति और परंपराओं के सम्मान करने को भी अनिवार्य किया गया है।
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