
यात्रा परिचय यात्रा का संक्षिप्त विवरण
लगभग 18500 फीट की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण श्रीखण्ड महादेव की यात्रा की गिनती भारत की कठिनतम धार्मिक यात्राओं में की जाती है श्रीखण्ड महादेव के पवित्र शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 72 फीट है जहां तक पहुचने के लिये लगभग 35 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है । रामपुर से से निरमण्ड़ 17 किलोमीटर, निरमण्ड़ से बागीपुल 17 किलोमीटर, बागीपुल से जांओ 6 किलोमीटर एवं जाओं से सिंहगाड़ लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
यात्रा का पौराणिक महत्व
श्रीखण्ड की पौराणिक मान्यता के अनुसार भस्मासुर राक्षस ने अपनी तपस्या से भगवान शिव से वरदान मांगा कि वह जिस पर भी हाथ रखेगा वह भस्म हो जायेगा राक्षसी भाव । होने के कारण उसने माता पार्वती से शादी करने की ठान ली इसलिये उसने भगवान शिव के ऊपर हाथ रखकर उन्हें भस्म करने की योजना बनाई पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने भस्मासुर से बचने के लिये देवढांक में स्थित गुफा मे शरण ली। इसी गुफा से भगवान शिव श्रीखण्ड नामक स्थान पर प्रकट हुये जिसे श्रीखण्ड महादेव से जाना गया । भस्मासुर को नष्ट करने । के लिये भगवान विष्णु ने माता पार्वती का रूप धारण किया और अपने साथ नृत्य के दौरान भस्मासुर ने अपने ही सिर पर हाथ रख लिया और भस्म हो गया मान्यता है कि इसी कारण आज भी वहां की मिट्टी और पानी लाल है यात्रा के दौरान पड़ने वाले प्रमुख प्रशासनिक कैम्प निम्न है :
1. सिंहगाड़
सबसे पहला प्रशासनिक बेस कैम्प सिंहगाड़ में स्थित है सिंहगाड़ पहुंचने के लिये जाओं से 3 किलोमीटर का पैदल रास्ता है । तथा यात्रा समय लगभग एक घण्टा है । सिंहगाड़ में यात्रियों का पंजीकरण किया जाएगा । सिंहगाड में यात्रियों के ठहरने के लिये निजी कैम्प एवं भोजन इत्यादि के लिये लंगर उपलब्ध हैं । यात्री किसी भी प्रकार की पूछताछ हेतू सेक्टर मेजिस्ट्रेट को सम्पर्क कर सकते है।





2. थाचडू
अगला बेस कैम्प सिंहगाड़ से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां तक पहुंचने के लिये यात्रियों को खड़ी चढ़ाई चढ़कर जाना पड़ता है। तथा पहुंचने में तकरीबन 5-6 घण्टे का समय लगता है । इस कैंप में भी यात्रियों को चिकित्सा सुविधा 24 घंटे उपलब्ध है। ठहरने के लिये यात्रियों को प्राइवेट टेंट एवं लंगर इत्यादि उपलब्ध है ।



3. कुन्शा
अगला प्रशासनिक बेस कैम्प कुन्शा में स्थित है । कुन्शा थाचडू से लगभग 4.5-5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । थाचडू से कुन्शा पहुँचने के लिये लगभग 2 से 3 घण्टे का समय लगता है । कुन्शा में भी यात्रियों के लिये मेडिकल सुविधा 24 घण्टे उपलब्ध है यहां पर भी यात्रियों में ठहरने के लिये टेंट एंव लंगर इत्यादि उपलब्ध है।





4. भीमडवारी
भीमडवारी कुन्शा से 4.5-5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कुन्शा से भीमडवारी हेतू 2.5 घटे की चढ़ाई चढ़नी पडती है। भीमडवारी में यात्रियों को मेडिकल सुविधा 24 घंटे उपलब् है । यहां भी यात्रियों को ठहरने के लिये टेंट मौजूद है।

5. पार्वती बाग
पार्वती बाग भीमडवारी से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । पार्वती बाग में केवल एक बचाव दान तथा पुलिस की टीम उपलब्ध रहेगी । यहां पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं होगी । किसी आपातकालीन स्थिति में यात्री बचाव दल एवं पुलिस को सूचना कर सकते है।




6. श्रीखण्ड कैलाश
पार्वती बाग से श्रीखण्ड महादेव लगभग 5-6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तथा वहां पंहुचने में लगभग 4-5 घण्टे की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। दर्शन के पश्चात यात्री वापिस आकर भीमडवार में रात्रि ठहराव कर सकते हैं।


















क्या करें?
1. यात्री अपना पंजीकरण अवश्य करायें ।
2. चिकित्सा प्रमाण पत्र अपने साथ लेकर आयें तथा बेर कैप्प सिंहगाड़ में स्वास्थ्य जांच अवश्य करायें । पूर्णतया स्वस्थ होने पर ही यात्रा करें ।
3. अकेले यात्रा न करें केवल साथियों के साथ ही यात्रा करें ।
4. चढ़ाई धीरे-धीरे चढ़े सांस फूलने पर वहीं रूक जायें ।
5. छाता बरसाती गर्म कपड़े गर्म जूते टार्च एवं डण्डा अपने साथ अवश्य लायें ।
6. प्रशासन द्वारा निधार्रित रास्तों का ही प्रयोग करें।
7. किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या हेतू निकटतम कैंप में सम्पर्क करें ।
8. दुर्लभ जड़ी बूटियों एंव अन्य पौधों के संरक्षण में सहयोग करें ।
9. इस यात्रा को पिकनिक अथवा मौजमस्ती के रूप में न लें व केवल भक्तिभाव एंव आस्था से ही तीर्थ यात्रा करें ।
क्या न करें?
1. रात को सफर बिल्कुल न करें ।
2. बिना पंजीकरण एवं स्वास्थ्य जांच के यात्रा न करें ।
3. अपने साथियों का साथ न छोड़ें।
4. जबरदस्ती चढ़ाई न चढ़ें। यह घातक हो सकता है।
5. फिसलने वाले जूते न पहने ।
6. किसी भी प्रकार के शॉर्ट कट का प्रयोग न करें ।
7. खाली प्लास्टिक की बोतलें एंव रैपर इत्यादि इधर उधर न फेंके बल्कि अपने साथ वापिस लाकर कूड़ा दान में डालें।
8. जडी बूटियों एंव दुर्लभ पौधों से छेड़ छाड़ न करें ।
9. किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों मांस मदिरा इत्यादि का सेवन न करें । यह एक धार्मिक यात्रा है इसकी पवित्रता का ध्यान रखें।
10. श्रीखण्ड महादेव की पवित्र चटान पर किसी भी प्रका का चढ़ावा अथवा त्रिशूल इत्यादि लगाने के लिये न चढ़े। पवित्र चट्टान अत्यन्त पावन शिवलिगं का स्वरूप है। इसके ऊपर पैर रखकर इसकी पवित्रता नष्ट न करें। सफाई का विशेष ध्यान रखें ।
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