नग्गर: कुल्लू-मनाली के बीच छिपा ये कस्बा, आज भी है पयर्टकों की भीड़ से दूर 

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Photo of नग्गर: कुल्लू-मनाली के बीच छिपा ये कस्बा, आज भी है पयर्टकों की भीड़ से दूर  1/1 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

आप किसी भी मुसाफिर से पूछ कर देख लीजिए, ये एक जग ज़ाहिर बात है कि हिमाचल घूमने का अगर कोई सबसे अच्छा साधन है तो वो है HRTC की बसें | HRTC की बसों में हिमाचल घूमते हुए आँखों पर पट्टी, कानों मे संगीत लगाकर जब आप नींद की आगोश में आ तो जाते हैं पर छोटे- मोटे खड्डों में उच्छलती बस ऐसी लगती है मानो कोई सोते समय आपको पालने मे झुला रहा हो | ऐसी गहरी और मज़ेदार नींद लेने का सुख बसों और रेलों के लंबे सफ़र में ही मिल पाता है |

आरामदायक सीटों की वजह से सफ़र बहुत आराम से कटता है| वरना हिमाचल की घुमावदार सड़कों पर लंबा सफ़र करना किसी सज़ा से कम नहीं लगता |

मैं ऐसी ही एक आरामदायक सीट पर गहरी नींद मे खोई थी की अचानक मेरे कानों में बस के कंडक्टर की कर्कश आवाज़ पड़ी...

"मंडी मंडी मंडी....मंडी वाले तैयार हो जाओ" आने वाले बस स्टॉप पर उतरने वाली सवारियों को उठाने की जल्दबाज़ी में बस कंडक्टर ने पूरी बस की सवारियों को नींद से जगा दिया था | आँखें मलते हुए कच्ची नींद में ही मैंने अपना मोबाइल फोन जेब से निकाला और इंटरनेट चालू कर के नक्शे में नग्गर को ढूँढने की कोशिश की | पता चला की नग्गर अभी भी पाँच से छह घंटे की दूरी पर है | अधूरी नींद से जागने और आधुनिक उपकरणों पर भरोसा ना होने की वजह से मैने भी कंडक्टर से ऊँची आवाज़ मे पूछ ही लिया

"नग्गर के लिए कहाँ उतरना है? "

कंडक्टर ने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे मैंने बात नहीं पहेली पूछी हो | फिर गर्दन घुमाकर अपने से ज़्यादा तजुर्बेदार बस चालक से पूछा |

"पटलिकुहल" चालक ने मेरे उतरने का स्थान मेरे साथ साथ 40 अन्य सवारियों को भी बता दिया |

श्रेय: आशीष गुप्ता

Photo of नग्गर, Himachal Pradesh, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

अगर आप नग्गर की यात्रा कर रहे हैं, तो पटलीकुहल में उतरें, जो कुल्लू के एक घंटे की दूरी पर है। पटलीकुहल कुल्लू और मनाली से समान दूरी पर है। पंजाब और हिमाचल के अधिकांश यात्री मनाली से दिन की यात्रा करने यहाँ आते हैं, पर मैं सलाह दूँगा आप यहाँ ज़्यादा वक्त बिताएँ।

पर्यटकों में नग्गर के मशहूर होने से पहले यहाँ कुल्लू राज्य की सिंहासन हुआ करता था। 1,400 सालों तक ये छोटा सा कस्बा, रियासत के कई राजाओं और रानियों का घर हुआ करता था। नग्गर का महत्व वैसे तो पास के पसीदंदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन, कुल्लू और मनाली, की वजह से ही है, लेकिन अगर एक बार नग्गर कैसल से इस घाटी का नज़ारा देख लें तो शायद शिमला-मनाली भूल जाएँ।

इस अजीबो ग़रीब कस्बे को पूरी तरह से घूमने और अनुभव लेने के लिए आपको यहाँ कम से कम तीन रातें तो गुज़ारनी ही पड़ेंगी |

आपके लिए पेश हैं यहाँ की कुछ ऐसी जगहें जो आप घूम सकते हैं | समझने वाली बात है की नग्गर एक छोटा सा कस्बा है| तो यहाँ की सबसे ज़्यादा दूरी वाली जगह पर भी पैदल चलकर मात्र एक घंटे मे पहुँचा जा सकता है | खुशी की बात यह है कि हिमाचल में कुल्लू और मनाली के बीच छुपे इस छोटे से कस्बे मे इंटरनेट या फोन की सुविधा ठीक है इसलिए यहाँ के मंदिर और रोरिच गैलरी सहित सभी सैलानियों के आकर्षण गूगल मैप्स पर देखे जा सकते हैं |

नग्गर का पुराना महल

श्रेय: स्रेष्टी वर्मा

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श्रेय: स्रेष्टी वर्मा

Photo of नग्गर: कुल्लू-मनाली के बीच छिपा ये कस्बा, आज भी है पयर्टकों की भीड़ से दूर by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

आज से 500 साल पहले का बना नग्गर कस्बे का भव्य किला नग्गर के पुराने शानदार दिनों की याद दिलाता है| अब इस किले का संचालन HPTDC द्वारा किया जाता है और आप इस भव्य महल में ठहरने के लिए एक कमरा भी आरक्षित करवा सकते हैं| वाजिब कीमतों पर सरकार द्वारा संचालित महल में रात गुज़ारने का मौका किसी सपने से कम नहीं है| अगर आप यहाँ रात मे रुकना नहीं भी चाहते और सिर्फ़ इसे घूमना चाहते है तो इस महल के भीतर बने कैफ़े मे बैठकर एक कप कॉफी पी सकते हैं | साथ मे आपको मिलेगा चारों तरफ की पहाड़ियों का विहंगम दृश्य|

निकोलस रोरिच आर्ट गैलरी

श्रेय: डिमीट्री रोजकोव

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नग्गर के महल से मात्र तीस मिनट की दूरी पर स्थित रोरीच मेमोरियल उन रूसी मुसाफिरों के लिए एक तीर्थ स्थल से कम नही है जो प्रतिष्ठित चित्रकार, दार्शनिक और लेखक निकोलस रोरीच के काम से परिचित एवं प्रभावित हैं | कहते हैं जब कलाकार रोरीच अपनी पत्नी के साथ नग्गर मे आया तो यहाँ की सुंदरता और शांति ने उसे एसा मंत्रमुग्ध किया कि वो अपनी पत्नी सहित यहीं कुटिया बनाकर रहने लगा |

रोरीच के काम के प्रशंसकों मे भारत के दो सुप्रसिद्ध प्रधानमंत्रियों के नाम शुमार हैं जो रोरीच के यहाँ लगातार मिलने भी आते थे | उन दो शक्सियतों का नाम है पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गाँधी| यहाँ की गॅलरी मे आज भी इन दोनों प्रभावशाली व्यक्तित्वों के साथ आध्यात्मिक और दार्शनिक रोरीच तस्वीर लगी हुई है|

दीप्ति नवल स्टूडियो

श्रेय: दीप्ती नवल

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रोरीच मेमोरियल के बहुत करीब स्थित मशहूर अभिनेता दीप्ति नवल का पत्थर से बना कॉटेज है जिसमे अभी भी इस अभिनेता की कलाकृतियाँ जैसे पेंटिंग्स, फोटोग्राफ, फिल्म पोस्टर, फिल्म रील जैसी कई वस्तुएँ रखी हुई हैं | इस जगह पर अपनी कलात्मक कुटिया बनाने का कारण बताते हुए दीप्ति नवल कहती हैं " रोरिच ने रूस और न्यू यॉर्क में अपनी अच्छी भली ज़िंदगी छोड़ कर नग्गर में बसने और एक नई ज़िंदगी शुरू करने का फ़ैसला लिया था | मैं यहाँ तब से आ रही हूँ जब से मैं चार साल की था | मेरे पिताजी उदय नवल कला प्रेमी होने के साथ साथ रोरिच को भी अच्छे से जानते थे| इसीलिए इन चीज़ों से मुझे मेरी ज़िंदगी की प्रेरणा मिली है |'

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर

श्रेय: स्रेष्टी वर्मा

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यह प्राचीन मंदिर नग्गर के महल और रोरि कॉटेज के बीच में है | मंदिर ये मंदिर स्थानीय देवी को समर्पित है और पूरी तरह पत्थर से बना है। मंदिर के बारे मे ज़्यादा पौराणिक कथाएँ ना तो प्रचलित हैं और ना कहीं कुछ लिखा गया है, लेकिन आस-पास रहने वाले स्थानीय लोग इस मंदिर को बहुत शुभ मानते हैं।

गौरी शंकर मंदिर

श्रेय: ए मोहन

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नग्गर के महल से कुछ ही दूरी पर स्थित इस मंदिर में शिव और पार्वती की पूजा की जाती है| गौरी और शंकर का यह मंदिर ग्यारहवीं शताब्दी में बना था| इस मंदिर को गुर्जरा-प्रतिहार संस्कृति की अंतिम वास्तुशिल्प संरचना माना जाता है।

जाना झरना

अगर आप पूरे एक दिन के रोमांचक अनुभव के लिए तैयार हैं तो जाना गाँव और झरने की चढ़ाई कर सकते हैं | जाना गाँव नग्गर से 13 कि.मी. दूर है | अगर आप चाहें तो जिस घर / होस्टल मे आप रह रहे हैं वहाँ एक गाइड की व्यवस्था करने की गुज़ारिश कर सकते हैं | अगर थोड़ा और लंबा रोमांच चाहिए तो चंदरखानी दर्रे को पकड़ के पहाड़ के दूसरी ओर बसे मलाना गाँव तक जा सकते हैं |

श्रेय: अक्षत शर्मा

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नग्गर मे कहाँ खाएँ?

नग्गर कस्बे के सारे कैफ़े और कॉफी शॉप्स नग्गर के महल के आस पास बने हुए हैं | चाहे आधुनिक भोजन करना हो या परंपरागत हिमाचली भोजन का स्वाद लेना हो, नग्गर के महल के अंदर बने कैसल रेस्तराँ में जाया जा सकता है| घूमते-फिरते अगर एक छोटा सा कॉफी ब्रेक लेने का मन करे तो अपनी किताब उठाइए और पास मे ही स्थित दो जर्मन बेकरियों में से किसी को भी चुन लीजिए| लकड़ी के तंदूर मे पका पिज्जा खाना है तो नाइटींगल रेस्तरां की ओर रुख़ कीजिए| ये रेस्तराँ महल से कुछ ही मीटर की दूरी पर रोरिच मेमोरियल जाने वाली रोड पर स्थित है | अगर देसी खाने के शौकीन हैं तो बस अड्डे के आस पास बहुत सारे ढाबे मिल जाएँगे |

नग्गर मे कहाँ ठहरें

सोहम का शातो डे नग्गर नाम से मशहूर होम स्टे सैलानियों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है| मात्र ₹1200 प्रति रात की दर से इसे बुक किया जा सकता है| बुक करने के लिए यहाँ क्लिक करें या 9805545408 पर संपर्क करें|

श्रेय: सोहम्स शातो डे नग्गर

Photo of नग्गर: कुल्लू-मनाली के बीच छिपा ये कस्बा, आज भी है पयर्टकों की भीड़ से दूर by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

दूसरे भरोसेमंद होटल और रिसॉर्ट्स HPTDC संचालित नागगर कैसल (01902-248316), रागिनी गेस्ट हाउस (9318585385), होटल शीतल (9218073211), पाइन पैलेस (98058 97889) और नग्गर डिलाइट (9817073683) हैं।

जाने के लिए सबसे अच्छा समय

नग्गर जाने के लिए सितंबर से नवंबर के बीच सबसे सही समय होता है क्योंकि इस समय तक बारिश थम जाती है और सर्दी की शुरुआत नहीं होती |

दिसंबर से फ़रवरी तक होने वाली बर्फ़बारी से रास्ते बंद हो जाते हैं मगर वैसे देखा जाए तो नग्गर तक पूरे साल भर ही जाया जा सकता है |

श्रेय: आशीष गुप्ता

Photo of नग्गर: कुल्लू-मनाली के बीच छिपा ये कस्बा, आज भी है पयर्टकों की भीड़ से दूर by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

कैसे पहुँचें

नग्गर पहुँचने का सबसे अच्छा रास्ता सड़कमार्ग द्वारा है| नग्गर एक छोटा सा कस्बा है जहाँ आप पैदल ही कहीं भी आसानी से आ-जा सकते हैं| फिर भी अगर आप जाना गाँव या रोरिच मेमोरियल तक की टैक्सी करना चाहें तो आप जिस घर में रह रहे हैं वहाँ संपर्क करें |

दिल्ली से नग्गर लगभग 516 कि.मी. दूर है | अगर आप खुद गाड़ी चला कर ले जा रहे हैं तो आपको 10-12 घंटे लग सकते हैं | अगर आप दिल्ली के इंटर स्टेट बस टर्मिनल से HPTC बस लेते हैं तो वो बस आपको पटलिकुहल लगभग उतने ही समय मे उतार देगी | पटलिकुहल से नग्गर तक के लिए आपको स्थानीय बस या किराए की टैक्सी मिल जाएगी जो मात्र ₹300-400 में आपको पहुँचा देगी | नग्गर का निकटतम हवाई अड्डा यहाँ से 40 कि.मी. दूर भुंतार मे है |

दूर दराज की यात्रा करने से पहले आप ये सुनिश्चित कर लें कि आप किसी भी मुश्किल से निकलने का जज़्बा रखते है| पहाड़ों मे पूरी ज़िम्मेदारी के साथ घूमें और प्रकृति की इज़्ज़त करें | सैलानियों को किस तरह पर्यावरण के प्रति जागरुक होना चाहिए ये जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।

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