हमारे देश में खूबसूरत हिमाचल प्रदेश पर्यटकों के लिए सबसे पसंदीदा राज्यों में से एक है। सुन्दर बहती नदियां, हरियाली ओढ़े पहाड़ और बर्फ की चादर से ढ़की हिमालय की चोटियों के नज़ारे यहाँ हर किसी को प्रकृति के बेहद करीब ले जाते हैं। ऐसे खूबसूरत और यादगार पलों को जीने के लिए देश-विदेश से लाखों पर्यटक हर साल हिमाचल की मनमोहक और पवित्र भूमि पर आते रहते हैं। लेकिन चूँकि दिनों-दिन पर्यटन के लिए लोगों का रुझान बढ़ रहा है और इसके साथ ही हिमाचल में भी पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसी के साथ सभी लोकप्रिय हिल स्टेशंस पर खास तौर पर सीजन के समय पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ रहने लगी है।
लेकिन क्या आपको पता है कि आज भी ऐसी कई जगहें हिमाचल में मौजूद हैं जो अधिकतर पर्यटकों से छिपी हैं और जहाँ आप भीड़ से दूर बेहद सुकून से खूबसूरत प्राकृतिक नज़ारों के बीच कुछ दिन गुजार सकते हैं। ऐसी ही एक जगह के बारे में हम आज इस लेख में बताने वाले हैं। तो चलिए शुरू करते हैं...
मूरंग, हिमाचल प्रदेश
शहरों की भागदौड़ और दम घोंटने वाले अनेक तरह के प्रदूषणों से कोसों दूर 'मूरंग' हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में एक ऐसा खूबसूरत स्थान है जहाँ नीले आसमान के नीचे खड़े होकर आप चारों ओर घनी हरियाली से ढके ऊँचे-ऊँचे पर्वतों के साथ हिमालय की बर्फ से ढ़की चोटियों के सुन्दर नज़ारे तो देख ही सकते हैं, साथ ही एकदम शांति में बहती ताज़ी हवाओं के साथ इन पलों को हमेशा के लिए अपने जीवन की सबसे सुन्दर और जीवंत यादों में शामिल कर सकते हैं। सतलुज नदी के किनारे बसा ये छोटा सा मनमोहक पहाड़ी शहर अभी तक बहुत से पर्यटकों की जानकारी से दूर है और शायद इसीलिए इसने अपनी प्राकृतिक खूबसूरती अभी तक संभाल के रखी है और हम सभी को इसे ऐसे ही बनाये रखने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए।
मूरंग समुद्रतल से 3500 मीटर से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित है और इसके अलावा चारों ओर घने जंगल से भी घिरा है, इसकी ऐसी भौगोलिक स्थिति भी अपने आप में इसे अनोखी प्राकृतिक खूबसूरती प्रदान करती है।
इन सब से अलग मूरंग एक प्राचीन नगरी भी है और इसका इतिहास पांडवों से जुड़ा हुआ भी बताया जाता है। प्राकृतिक खूबसूरती के साथ यहाँ देखने वाली जगहों में कुछ बेहद प्राचीन स्थल भी शामिल हैं।
मूरंग फोर्ट
हिमाचल प्रदेश में स्थित मूरंग अपने बेहद प्राचीन किले के लिए भी जाना जाता है, जिसे मूरंग किले के नाम से जाना जाता है। इस किले का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा बताया जाता है। सतलुज नदी के किनारे पर बने इस किले के लिए ऐसी मान्यता है कि इसका निर्माण पांडवों ने करवाया था जो कि सतलुज नदी के किनारे एक पहाड़ी पर स्थित है। ऊपरी मंजिल पर बरामदे में लकड़ी के बीम और कुछ खम्भे देखकर आप अंदाज़ा लगा लेंगे कि यहाँ एक और मंजिल हुआ करती थी जो कि अभी नहीं है। लकड़ी से बना यह किला किसी रहस्यमयी पुरानी ईमारत से कम नहीं लगता और खास तौर पर यह जहाँ खड़ा है वह स्थान भी इसे अपने आप में अनोखा बनाता है। इसके अलावा यहाँ आपको लकड़ी पर की हुई कुछ शानदार नक्काशी के नमूने भी देखने को मिलेंगे जो आपकी इस किले की यात्रा को और भी यादगार बना देंगे।
मूरंग में देखने के अन्य स्थान
मूरंग किला इस खूबसूरत जगह का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल तो है ही लेकिन इसके अलावा भी मूरंग में देखने के लिए और भी अनेक सुन्दर जगहों की कमी नहीं है। मूरंग अपने खुबानी (Apricot) के बगीचों के लिए भी पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। अप्रैल के महीने में यहाँ कई तरह के सुन्दर फूल खिलते हैं और अप्रैल ही क्या पूरी बसंत ऋतू में मूरंग वास्तव में देखने लायक होता है जब लाल और गुलाबी रंग के अनगिनत फूल मूरंग को रंग बिरंगी चादर ओढ़ाकर इसकी खूबसूरती कई गुना बढ़ा देते हैं।
इसके साथ ही आप यहाँ मौजूद मूरंग मंदिर और मूरंग बौद्ध मठ भी जाकर कुछ देर आध्यात्मिक शांति में भी बिता सकते हैं। खुबानी के बगीचों से अगर आपका दिल भर गया हो तो आप मूरंग से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर रेकोंग पियो भी जा सकते हैं जहाँ आपको अद्भुत प्राकृतिक खूबसूरती के बीच बहुत से सेब के बगीचें भी देखने को मिलेंगे।
मूरंग और रेकोंग पियो से किन्नौर कैलाश पर्वत के अद्भुत दर्शन भी आप कर सकते हैं जो कि धार्मिक दृष्टि से एक बेहद महत्वपूर्ण स्थान है।
घूमने के लिए बेस्ट समय
वैसे तो मूरंग की खूबसूरती साल के हर मौसम में अपनी एक अलग ही सुन्दर छवि सामने रखती है और किसी भी मौसम में यह अद्भुत शहर आपको निराश नहीं करेगा। लेकिन जैसा कि हमने आपको बताया कि मूरंग समुद्रतल से करीब 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिससे यहाँ बर्फ़बारी बेहद अधिक होती है और ठण्ड भी कपकपा देने वाली होती है। तो अगर आप इनसे बचना चाहते हैं तो यहाँ जाने के लिए सबसे बेहतरीन समय अप्रैल महीने से लेकर अक्टूबर महीने तक का रहेगा जब आपको चारों और हरियाली के साथ ऊँची-ऊँची बर्फ से ढ़की हिमालय की पर्वतमालाओं के दृश्य भी बड़े शानदार लगने वाले हैं। इसके अलावा आपको हरियाली के साथ ही मूरंग को रंग बिरंगे फूलों से ढका भी देखना है तो मार्च से जून तक का समय इसके लिए बेस्ट रहेगा।
यहाँ कैसे पहुंचे?
आपको बता दें की मूरंग में न तो कोई रेलवे स्टेशन है और न ही कोई एयरपोर्ट तो यहाँ तक पहुँचने के लिए आपको सड़क मार्ग से सफर तो करना ही पड़ेगा।
हवाई मार्ग द्वारा
अगर आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको पहले शिमला एयरपोर्ट तक की फ्लाइट लेनी होगी फिर शिमला पहुंचकर रेकोंग पियो या कल्पा के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं। कल्पा-रेकोंग पियो से आपको मूरंग के लिए बस वगैरह आसानी से मिल जाएगी। दोनों जगहों से मूरंग की दूरी करीब 35-40 किलोमीटर की रहती है। वहीं शिमला से कल्पा करीब 210 किलोमीटर और मूरंग करीब 245 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग द्वारा
रेल मार्ग से आने के लिए भी आपको पहले शिमला पहुंचना होगा जिसके लिए आप देश के किसी भी बड़े शहर से पहले कालका रेलवे स्टेशन तक ट्रेन के माध्यम से आ सकते हैं और फिर टॉय ट्रेन के माध्यम से आप कालका से शिमला पहुँच सकते हैं। इसके अलावा कालका से सीधे कल्पा की बस या फिर टैक्सी भी आप ले सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा
अगर आप दिल्ली से भी सीधे यहाँ पहुंचना चाहें तो दिल्ली से रेकोंग पियो की बस पकड़कर भी आप पहुँच सकते हैं। इसके अलावा खुद के वाहन या फिर टैक्सी वगैरह से तो आप किन्नौर जिले में स्थित मूरंग आसानी से पहुँच ही सकते हैं।
तो अगर आप शहरों के शोरगुल के माहौल से एकदम विपरीत एकदम शांति में प्रकृति के बेहद करीब जाना चाहते हैं तो मूरंग आपके लिए एकदम परफेक्ट जगह रहेगी। बस ध्यान रखें कि यहाँ की खूबसूरती हमारी वजह से बिलकुल भी कम न हो और इसके लिए हम हर संभव कोशिश करें और किसी भी तरह कि गन्दगी इन खूबसूरत पहाड़ों में बिलकुल भी न फैलाएं। इस खूबसूरत जगह से जुडी जितनी भी जानकारियां हमारे पास थीं हमने इस लेख के माध्यम से आपसे साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये जानकारियां अच्छी लगी तो प्लीज इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।
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