बड़े शहरों में भागती-दौड़ती जिंदगी के बीच जहाँ लोगों को मिलने वाली सुविधाएं लगातार बढ़ रही हैं वहीं उनकी बढ़ती महत्वाकांक्षाएं लोगों के जीवन को लगातार अधिक व्यस्त और तनाव से भरा हुआ भी बनाती जा रही हैं। एक ओर जहाँ दैनिक जीवन का तनाव लोगों को परेशान करता है वहीं अप्रैल के महीने से तो गर्मी का मौसम भी हमारी परेशानियों को दोगुना करने में कोई कमी नहीं छोड़ता और इसीलिए हम में से बहुत से लोग शहरों की तनाव भरी जिंदगी, भीड़-भाड़ और तेज़ गर्मी से दूर पहाड़ों के सुकून भरे वातावरण में कुछ दिन गुजारने जाया करते हैं। लेकिन यह बात भी हम सभी जानते हैं कि जैसे-जैसे शहरी जीवन में तनाव बढ़ता जा रहा है वैसे ही उसे दूर भगाने के लिए पहाड़ों में आये पर्यटकों की संख्या भी बहुत तेजी से बढ़ रही है। इसीलिए अगर आप किसी लोकप्रिय हिल स्टेशन पर गर्मी के मौसम में जाने का सोच रहे हैं तो हो सकता है वहां भी आपको शहरों की भीड़-भाड़ भरी जिंदगी से ज्यादा कुछ अलग महसूस न हो।
लेकिन ये बात भी हम सभी समझते हैं कि हमारी सुकून की तलाश के लिए पहाड़ों से अच्छा विकल्प कोई हो ही नहीं सकता और इसीलिए आज हम आपको हिमाचल प्रदेश में बेहद लोकप्रिय हिल स्टेशन मनाली से करीब 25 किलोमीटर दूर एक अनूठे पारम्परिक हिमाचली गाँव के बारे में बताने वाले हैं जहाँ के सैंकड़ों वर्ष पुराने घर और मंदिरों के साथ वहां की सादा जीवनशैली आपके शहरी जीवन से उपहार में मिले हर तनाव को कुछ ही समय में दूर कर देगी। तो चलिए बताते हैं आपको हमारी इस गाँव से जुडी सुन्दर कहानी...
नग्गर से रूमसू का सफर
अगर मनाली की बात करें तो यहाँ के ऊँचे-ऊँचे हरियाली और बर्फ से ढके हिमालय के पर्वतों के नज़ारे तो हर किसी को इस सुन्दर हिल स्टेशन का दीवाना बना ही देते हैं वहीं मनाली से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा शहर नग्गर अपने शांत वातावरण, खूबूसरत प्राकृतिक नज़ारों और नग्गर कैसल के लिए जाना जाता है। अगर आपने नग्गर कैसल नहीं देखा है तो इस जरूर देखें और आप चाहे तो यहाँ हिमालय के सुन्दर नज़ारों को देखते हुए यहाँ किले में ही बने रेस्टोरेंट में लंच या ब्रेकफास्ट भी कर सकते हैं।
नग्गर कैसल से करीब 1 किलोमीटर आगे चलकर आप पहुँच जाते हैं निकोलस रोरिक आर्ट गैलरी जो वास्तव में एक बेहद प्रसिद्द रूसी कलाकार और दार्शनिक निकोलस रोरिक का निवास स्थल हुआ करता था। यहाँ भी आप चाहे तो कुछ समय बिता सकते हैं और फिर वहां से थोड़ा आगे एक मोड़ पर नीचे की तरफ आपको दिखेगा माँ त्रिपुरा सुंदरी मंदिर। पैगोडा शैली में बना यह सुन्दर मंदिर इस रास्ते से गुजरते हर व्यक्ति का ध्यान अपनी ओर जरूर खींचता है।
यहाँ से करीब 2 किलोमीटर आगे चलकर आप शरण गांव पहुँच जाते हैं जिसे केंद्र सरकार द्वारा क्राफ्ट हैंडलूम गाँव के रूप में चुने गए देश के 10 गांवों में से एक है। यहाँ से करीब 2 किलोमीटर और आगे चलकर आप रूमसू गाँव पहुँच जाते हैं।
आपको बता दें की आप चाहें तो नग्गर से रूमसू के लिए पैदल मार्ग भी चुन सकते हैं। यह मार्ग सड़क मार्ग से छोटा है और साथ ही अगर आप पैदल जा सकते हैं तो इस मार्ग में दिखने वाले सुन्दर नज़ारे आपकी थकान ऐसे ही दूर कर देंगे।
रूमसू गाँव
रूमसू गाँव पहुँचते ही हमने अपनी कार वहीं रोड पर साइड में पार्क कर दी और गाँव की ओर जाते हुए रास्ते में पहले हमें दिखी एक छोटी दुकान जहाँ आप कुछ स्नैक्स वगरे ले सकते हैं और साथ ही चाय, मैगी वगैरह का नाश्ता भी आप चाहें तो यहाँ कर सकते हैं। इसके साथ वाली दुकान में एक आंटी मशीन से ऊनी शॉल वगैरह बनाती दिखी। उनसे बात करने पर पता लगा कि वो बहुत सालों से यह काम कर रहीं थी। वहां से नीचे की ओर थोड़ा आगे जाने पर हमें दो रास्ते दिखे जिसमें दांयी तरफ बेहद ऊँचे और विशाल देवदार के वृक्ष देख हम उनकी तरफ मुड़े और वहां से थोड़ा आगे एक खुला मैदान और कुछ पुराने बने घर देखकर हम आगे बढ़ते चले गए।
चारों ओर के इतने खूबसूरत नज़ारों के बीच यहाँ बने दो मैदान जिनमें एक में छोटे बच्चे खेल रहे थे और दूसरे में कुछ बड़े लड़के क्रिकेट खेल रहे थे, जिन्हें देखकर अपने बचपन को इस जगह जीने हमारा का बड़ा मन किया लेकिन दिन ढलने को था तो हमने पहले इस सुन्दर गाँव को पहले अच्छे से अनुभव करने का सोचा। वहीं मैदान के एक तरफ बेहद प्राचीन लकड़ी से बना जमलू देवता का मंदिर था और थोड़ा आगे जाने पर कुछ नए और कुछ सैंकड़ों वर्षों पुराने काठकुणी शैली के घर और मंदिर दिखे जिनकी बनावट ही इतनी आकर्षक थी की एक ही झटके में हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर ले तो कुछ घर आधुनिक तरीके से बने भी दिखे।
वहीं घरों के साथ कुछ सेब और अन्य फलों के खेतों को जब उनके पीछे दिखने वाले बर्फ से ढके ऊँचे-ऊँचे और साथ ही हरियाली ओढ़े अन्य पर्वतों के बैकग्राउंड के साथ देखते हैं तो मानो सिर्फ यह दृश्य ही आपके यहाँ आने का उद्देश्य सफल कर देता है।
लेकिन सिर्फ यही नहीं यहाँ के लोगों के सादा जीवनशैली और उनका प्रेम से भरा व्यवहार आपको रूमसू गाँव की यात्रा को हमेशा के लिए यादगार बना देगा।
रूमसू गाँव में दिखी सुन्दर जीवनशैली
रूमसू गाँव में जैसे ही आप पहुंचेंगे आप स्वयं अनुभव करेंगे की यहाँ के लोग कितनी खूबूसरती से प्रकृति के साथ बहुत ही सहज तरीके से अपना जीवन जीते हैं। यहाँ घूमते हुए मानो हम टाइम ट्रेवल में जी रहे थे, सैंकड़ो वर्ष पुराने घर और कुछ बेहद सुन्दर बनावट वाले ऐतिहासिक मंदिर आपको आज से सैकड़ों वर्षों पहले वाले सुन्दर जीवन का अनुभव देते हैं साथ ही गाँव में जहाँ भी आप जायेंगे वहां से आपको बेहद आकर्षक हिमालय के नज़ारे दिखाई देंगे और इनके साथ आपका समय इतना जल्दी यहाँ बीतेगा जिसकी आपने उम्मीद नहीं की होगी।
वहीं मुख्य चौक के बगल में हमें 2 हिमाचली महिलाएं हाथो से ऊन बनाती दिखी। बड़ी उत्सुकता से हम उनके पास गए और समझने लगे की कैसे भेड़ के बालो से ऊन बना करता है। उन्होंने हमें समझाया तो सही और साथ में हमें भी अपने हाथ इस कौशल के लिए आजमाने के लिए कहा। कुछ देर की परेशानी के बाद हमने कुछ हद तक इस सुन्दर कला को सीखा और यह अनूठा अनुभव भी हमारी रूमसू गाँव की यादों में हमेशा के लिए शामिल हो गया।
तो इस तरह अगर आप कुल्लू या मनाली के पास किसी सुकून और प्राकृतिक खूबसूरती से भरी जगह पारम्परिक हिमाचली जीवनशैली के साथ कुछ दिन या कुछ समय बिताना चाहते हैं तो आपको रूमसू गाँव की यात्रा जरूर करनी चाहिए। यहाँ अगर आप रुकना चाहें तो आपको कोई होटल वगैरह तो नहीं मिलेगा लेकिन कुछ होमस्टे जरूर आपको मिल जायेंगे जहाँ आप अपनी सुविधानुसार कुछ दिनों के लिए या फिर कुछ महीनो के लिए भी रुक सकते हैं।
तो इस सुन्दर गाँव से जुड़ी जितनी भी जानकारी हमारे पास थी हमने आपसे इस लेख के माध्यम से साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और साथ ही ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।
अगर आप ऐसी ही कुछ और जानकारियों के बारे में जानना चाहते हैं तो आप हमारे यूट्यूब चैनल WE and IHANA पर या फिर हमारे इंस्टाग्राम अकाउंट @weandihana पर भी जा सकते हैं।
क्या आपने हाल में कोई की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।