"साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन
तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है।"
आल-ए-अहमद सुरूर साहब ने नहींं सोचा होगा कि उनका ये शेर फक्कड़ मुसाफ़िरों का कलाम बन जाएगा। कुछ ही दिनों पहले मैं किन्नौर की यात्रा करके आया। चीन की सीमा से सटा एक छोटा सा स्वर्ग, जो हर दौर में मुसाफ़िरों का आरामगाह बना, पेश है उसका क़िस्सा-ए-हकीक़त।
कहानी किन्नौर की
किन्नौर का ऐतिहासिक दस्तावेज़ कहता है कि उसका अस्तित्त्व राजाओं के ज़माने से है। उसके पहले बतौर ज़मीन कोई पहचान नहीं थी उसकी, बस ये हिमाचल की एक ख़ूबसूरत जगह भर थी। एक-एक करके इस पर शुंग, नंद और मौर्य वंश का शासन हुआ। हिमाचल की ही किराट, कंबुज, पानसिका और वल्हिका जातियों की मदद से मौर्य वंश ने शासन जमाया। उसके बाद अशोक ने अपनी विजय पताका के जो झंडे गाड़े, सबको मालूम है। बाद में आने वाले कनिष्क ने इसे और आगे बढ़ाया। उत्तर में कश्मीर और एशिया के दूसरे छोरों तक पहुँच बनाई।
कुल मिलाकर दुनिया के कुछ गिने चुने नामी राजाओं, जिन्होंने पूरी दुनिया पर राज करने की कोशिश की, उनके विशाल साम्राज्य के एक छोटे हिस्से से ज़्यादा पहचान नहीं थी किन्नौर की। 1947 को जब भारत आज़ाद हुआ, तब भी महासु तहसील का एक छोटा सा हिस्सा था किन्नौर, जिसे अपनी पहचान 1960 में एक अलग ज़िले के रूप में मिली।
पर्यटन स्थल
किन्नौर अपने आप में बड़ा ज़िला है जो पहाड़ पर बना है। पहाड़ पर आप घूमने निकलिए तो केवल एक जगह ख़ूबसूरत नहीं होती, पूरा माहौल ही मज़ेदार होता है।
किन्नौर में आए हैं तो गाड़ी रेंट पर ले सकते हैं; सफ़र आसान होगा ही, साथ ही आपको पब्लिक ट्रांसपोर्ट के भरोसे कम रहना होगा। इसके साथ ख़ूब सारा पेट्रोल अपने पास रखें क्योंकि इस पूरे ज़िले में पेट्रोल पंप बहुत कम हैं ।
कभी किन्नौर ज़िले का मुख्यालय यहीं हुआ करता था, अब वो रिकॉन्ग पिओ में जा चुका है। कल्पा में नारायण-नागनी मंदिर पूरे इलाक़े के सुन्दरतम मंदिरों में एक है। इस मंदिर को स्थानीय लोगों ने अपने ही हुनर से इतना सुन्दर बनाया है। इसके साथ ही हु-बु-इयान-कार गोम्पा नामक बौद्ध मठ भी है। पूरे किन्नौर में ही आपको बौद्ध धर्म के ढेरों भिक्षु मिल जाएँगे। कहते हैं कि कैलाश पर्वत में रहने वाले शिव सर्दियों के दिनों में कुछ समय कल्पा में बिताने आते हैं। सूरज की पहली किरण सामने के पहाड़ों पर यूँ बिखेरती है मानो दूध में चुटकी भर केसर छिड़क दिया गया हो। ये नज़ारे दिल्ली में रहने वालों को कब ही नसीब हैं।
सांगला, हिमाचल के करछम से 17 किमी0 दूर इस गाँव के सामने का नज़ारा शब्दों में बयाँ करूँ तो समझिए पहाड़ हैं, उन पर बर्फ़ चढ़ी हुई है। ठीक ऐसे ही जैसे शिवलिंंग पर दूध बूँद बूँद अर्पित किया गया हो। इसके पास में ही बहती है बसपा नदी। फ़ोटोग्राफ़रों को तो ऐसी जगह आकर इंटर्नशिप करनी चाहिए। बसपा घाटी के अप्रतिम दृश्य आपको सांगला आकर ही मिलते हैं।
रिकॉन्ग पिओ किन्नौर के प्रशासनिक दृष्टिकोंण से बहुत महत्त्वपूर्ण है, ज़िले का मुख्यालय जो है यहाँ। शिमला से काज़ा जाने वाली बस का मेन स्टॉप भी यहीं है। यहाँ से आपको सारी घूमने लायक जगहों की बसें मिल जाएँगी। भगवान शिव की 79 फ़ीट ऊँची प्रतिमा है जो लोगों के लिए एक दर्शनीय स्थल भी है। होटल और होमस्टे भी ख़ूब संख्या में हैं। रिकॉन्ग पिओ में एक बौद्ध मठ भी है, दर्शन के हिसाब से अप्रतिम।
4. चितकुल
चितकुल हिमाचल की उन जगहों में एक है जिस पर पहले भी ख़ूब लिखा जा चुका है। बसपा घाटी का सबसे ऊँचा गाँव है, बसपा नदी के ठीक बगल में। मति देवी के तीन मंदिर हैं यहाँ पर, जिन्हें आज से 500 साल पहले गढ़वाल के ही एक निवासी ने बनवाया था।
अखरोट की लकड़ी से बना हुआ देवी का सन्दूक है, जिस पर कपड़ों को चढ़ाया गया है। याक की पूँछ से इस सन्दूक को बाँधा गया है। गाँव के लोग मति देवी को बहुत मानते हैं। इन मंदिरों का दर्शन भी करें।
5. चांगो
कल्पा से 122 किमी0 दूर स्पीति नदी के पास स्थित है चांगो। पूरे हिमाचल की ही तरह यहाँ भी भगवान बुद्ध को बहुत पूजा जाता है। बौद्ध धर्म को मानने वालों के साथ हिन्दू देवी देवताओं में ग्यालबो और डबलांद युलसा की भी पूजा होती है।
किसी दूसरी संस्कृति को जानने से आप ख़ुद को भी पहले से कुछ ज़्यादा जान पाते हैं। कुछ ऐसा ही पता चलता है चांगो आकर।
घूमने का सही समय
अगर आप बर्फ़ से प्यार करते हैं तो पक्के प्यार का पक्का वादा निभाने ज़रूर आएँ। सही समय है अप्रैल से अक्टूबर का। यहाँ आकर पता चलेगा कि आपका ये प्यार कितना टिकाऊ है।
खाने के लिए
गेहूँ, ओगला, फाफड़ा, जौ, मटर, काली मटर के बने व्यंंजन किन्नौर के लोग ख़ूब पसन्द करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि माँसाहार पसन्द नहीं किया जाता। बकरी और मुर्गे का गोश्त भी ख़ूब चाव से खाया जाता है। शराब पीना भी यहाँ का मुख्य आहारों में एक है।
1. लिटिल शेफ़ रेस्तराँ
रिकॉन्ग पिओ पर स्थित यह रेस्तराँ बहुत मशहूर है। भारतीय और चाइनीज़ खाने का स्वाद लेने के लिए यह जगह बहुत अच्छी है। क़रीब ₹400 में आपको दिल ख़ुश करने वाला खाना हो जाएगा।
2. होटल महफ़िल
नाम ही शायराना है टीबीपी रोड के नज़दीक इस होटल का। बस स्टैण्ड के ठीक बगल में स्थित इस होटल में क़रीब ₹250 तक में आपको वेज-नॉनवेज खाना मिल जाएगा। इसके साथ ही आप बियर लेना चाहें तो वो भी ले सकते हैं।
इनके अलावा देसी खाना खाने के लिए आपको ढेर सारे रेस्तराँ मिल जाएँगे।
कैसे पहुँचें
कहीं पर पहुँचने के तीन रास्ते होते हैं। रेल मार्ग, हवाई मार्ग और सड़क मार्ग।
रेल मार्ग और हवाई मार्ग से आप सबसे नज़दीक शिमला पहुँच सकते हैं। शिमला से रिकॉन्ग पिओ तक की दूरी 235 किमी0 है। शिमला से आपको बस लेनी होगी। टैक्सी या जीप से भी आप आ सकते हैं।
ठहरने के लिए
ठहरने के लिए किन्नौर की वेबसाइट पर आप अपने लिए ठीक दाम में कमरे देख सकते हैं। वेबसाइट पर पहुँचने के लिए यहाँ क्लिक करें।
तो कब बनाया है आपने यहाँ जाने का प्लान, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ। अपने सुझाव भी आप हमारे साथ यहाँ साझा कर सकते हैं।
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