दोसतों घर से सुबह जल्दी निकल कर हम जालंधर, होशियारपुर कांगड़ा होते हुए शाम तक हम धर्मशाला पहुंच गए थे| जहां आप आराम से अपने बजट के अनुसार कमरा ले सकते हो| हमनें भी सबसे पहले कमरा लिया, खाना खाकर सो गए| सुबह से निकले हुए थे| अगले दिन सुबह हमनें धर्मशाला शहर और आसपास घूमना था।
धर्मशाला कांगड़ा जिला का मुख्यालय हैं, अंग्रेजो के समय में कांगड़ा जिला भारत के सबसे बड़े जिलों में एक था, धर्मशाला अंग्रेजो द्वारा बनाए गए 80 हिल स्टेशनों में से एक हैं। धर्मशाला शहर 1300 मीटर से लेकर 1800 मीटर की ऊंचाई तक बसा हुआ हैं|यह शहर एक सडक से जुड़ा हुआ हैं जो ऊपर ही ऊपर चढती जाती हैं।
धर्मशाला एक खूबसूरत हिल स्टेशन हैं, यहां की खूबसूरती आपका मन मोह लेती हैं। धर्मशाला से सटा हुआ मैकलोडगंज, फोरसाइथगंज में आज भी अंग्रेजो की छोड़ी हुई छाप मिल जाऐगी। आज धर्मशाला पूरे विश्व में दलाईलामा के मुख्यालय होने कारण मशहूर हैं, इसे मिनी लहासा भी कहा जाता हैं | लहासा तिब्बत की राजधानी हैं, अब तिब्बत पर चीन का कब्जा हैं, तिब्बत चीन से आजादी चाहता हैं| 1959 में दलाईलामा ने भारत में शरण मांगी थी, भारत सरकार ने तिब्बतियों को धर्मशाला में शरण देकर बसाया था|
क्या देखें?
दोस्तों हमनें रहने के लिए कमरा भागसू में लिया था, भागसू मैकलोडगंज से 2 किमी दूर है| सुबह जब हम ऊठे तो ऊँचे पहाड़ों के दिलकश नजारों ने मन मोह लिया। सुबह सुबह हमनें सैर करने के लिए भागसू फाल जाने का निणर्य किया, आराम से हम 4 लोग मैं, मामा जी, उनका बेटा और उसका दोसत भागसू फाल की ओर बढऩे लगे| दोपहर या शाम को भागसू फाल में बहुत भीडभाड़ रहती हैं, सुबह सुबह भागसू फाल जाने वाला रास्ता बिल्कुल खाली था| हम कुदरती नजारे का आनंद लेते हुए भागसू फाल पहुंचे, वहां कुछ समय बिताने के बाद हम वापिस कमरे में आ गए। तैयार होकर ब्रेकफास्ट करके हम मैकलोडगंज की तरफ बढ़ गए।
2. मैकलोडगंज
धर्मशाला से 9 किमी दूर हैं मैकलोडगंज, यह दलाईलामा का मुख्यालय हैं| यहां देखने के लिए बौद्ध मठ हैं| तिब्बतियों का मंदिर, उनका हसतकला केंद्र आदि, यहां तिब्बतियों का टिकाना हैं| हमने मैकलोडगंज के मेन चौराहे पर एक बेकरी से पेस्ट्री और कुछ सनैकस खाकर मैकलोडगंज को घूमना शुरू किया| थोड़ा पैदल चल कर हम तिब्बती मंदिर पहुंचे जहां पर दलाईलामा का निवास स्थान है| हमने इस मंदिर को देखा यहां फोटोशूट नहीं कर सकते | फिर मैकलोडगंज की मारकीट देखी, यहां तिब्बती सामान मिलता हैं| एक बौद्ध मठ के दर्शन किए जो मैकलोडगंज बाजार में ही हैं।मैकलोडगंज से 2 किमी दूर एक छोटी सी डल झील देखने के लिए गए|देवदार के वनों के बीच यह एक सुंदर झील हैं, लेकिन जब हम वहां गए तो झील सूखी हुई थी।
मैकलोडगंज को अपर धर्मशाला भी कहा जाता हैं, मैकलोड़ नाम के पंजाब के गवर्नर थे ब्रिटिश काल में (1865- 1870) तक, उनके नाम पर मैकलोडगंज का नाम पड़ा। धर्मशाला भारत के सबसे जयादा बरसात वाले क्षेत्र में आता हैं| 3000 mm तक यहां हर साल बारिश होती हैं, चिरापूजी मेघालय के बाद यहां सबसे जयादा बारिश होती हैं।
3. सेन्ट जोनस चर्च
मैकलोडगंज से धर्मशाला के बीच में एक खूबसूरत चर्च आती हैं| जिसे सेन्ट जोनस चर्च कहा जाता हैं| यह खूबसूरत जगह घने देवदार के वृक्षों के बीच हैं और रमणीक हैं| इसमें ही भारत के एक वायसराय लार्ड एलिगन का समारक हैं, जिसका निधन 1863 में धर्मशाला में हुआ था | चर्च को देख कर हम नीचे धर्मशाला की ओर बढ़ गए।
4. कांगड़ा कला संग्रहालय
यह खूबसूरत संग्रहालय धर्मशाला के कोतवाली बाजार में बना हुआ हैं| कांगड़ा घाटी की पेटिंगस को संभाल कर रखा हुआ है| आप इस संग्रहालय में कांगड़ा घाटी की कला और हसतशिलप के दर्शन कर सकते हो, इसके अंदर फोटो नहीं खींच सकते।
5. युद्ध समारक
जब हम धर्मशाला में प्रवेश करते हैं, उसी जगह के पास यह युद्ध समारक बना हुआ हैं| यह समारक हिमाचल प्रदेश के सवतंत्रता प्रेमियों और युद्ध नायको की याद में बना हुआ हैं, ऐसे वीर बहादुरों को शत शत नमन करता हूँ| इस समारक में जाने के लिए मामूली शुल्क पर टिकट लगती हैं। इसे देखकर हम धर्मशाला में अपने आखिरी पडा़व की ओर बढ़े।
6. क्रिकेट स्टेडियम धर्मशाला
दोस्तों यह स्टेडियम दुनिया के सबसे खूबसूरत क्रिकेट स्टेडियम की कतार में शामिल हैं| मैंने अक्सर मैच के दौरान टीवी पर लाईव इस खूबसूरत सटेडीयम को देखा था| अब इसके अंदर जाकर देखने का मौका मिला| यह सटेडीयम बहुत ही खूबसूरत बना हुआ हैं| पीछे दिखने वाली बरफ से लदी हुई पहाड़ियों से दिल बाग बाग हो जाता हैं। सटेडीयम की खूबसूरती को निहार कर हम अपने अगले पड़ाव की ओर बढ़ गए।
कहाँ ठहरें?
धर्मशाला में रहने के लिए बहुत महंगे, सस्ते होटलों की भरमार हैं, हिमाचल प्रदेश टूरिज्म के भी यहां होटल बने हुए हैं, जैसे होटल धौलाधार, होटल भागसू, होटल कशमीर हाऊस, होटल कुणाल, होटल कलब हाऊस जिनकी बुकिंग आप हिमाचल प्रदेश टूरिज्म की वैबसाइट से कर सकते हो |
कैसे पहुंचे?
धर्मशाला पहुंचने के लिए आपको चंडीगढ़ और दिल्ली से सीधी बस मिल जाऐगी | आप रेलमार्ग से पठानकोट भी पहुंच सकते हो| वहाँ से बस या टैक्सी करके धर्मशाला आ सकते हो | दो तीन दिन का प्रोग्राम बना सकते हो|
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