हरियाणा में इको टूरिज़्म - एक लेख में समझें विस्तार से

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Photo of हरियाणा में इको टूरिज़्म - एक लेख में समझें विस्तार से by Nikhil Vidyarthi

हरियाणा सरकार की पारिस्थितिकी पर्यटन (इको टूरिज़्म) को ले कर जो चिंता है वह उसकी टैग लाइन में साफ दिखती है। 'धर्मो रक्षति रक्षितः' अर्थात- जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। यहाँ धर्म से अभिप्राय हम प्रकृति से समझ सकते हैं। 'धर्मो रक्षति रक्षितः' का यह सिद्धांत प्रकृति माता पर भी लागू है। क्या यह सोचने वाली बात नहीं कि प्रकृति अपने विस्तार को खत्म कर दे तो मनुष्य कहाँ विश्राम करेंगे! हरियाणा सरकार की प्रकृति और पर्यावरण के लिए इस सहज चिंता ने ही राज्य में पारिस्थितिकी पर्यटन की अवधारणा को प्रासंगिक बनाया है।

हरियाणा शब्द का शाब्दिक अर्थ 'भगवान का निवास' होता है। यही वह स्थान था जहाँ आर्यों के पहले भजन गाए गए और सबसे प्राचीन पांडुलिपियां भी यही लिखी गई। समूचे राज्य भर में सदियों पुराने स्मारकों, मंदिरों, उद्यानों, मेलों जैसे आकर्षणों की कमी नहीं है।

यह समृद्ध और जैव-विविधता से संपन्न राज्य है। जो भारत के उत्तर-पूर्व की शिवालिक से दक्षिण में अरावली पर्वतमाला और दक्षिण-पश्चिम में यमुना-घग्गर मैदान से लेकर अर्ध-रेगिस्तानी रेतीले मैदान तक में फैले विभिन्न प्रकार के प्रकृतिक ठौर-ठिकानों में फैली है।

ये सभी विविध ठौर-ठिकाने कांटेदार पर्णपाती जंगल से लेकर देवदार के पेड़ों से समृद्ध है। जिसमें विभिन्न प्रकार के पशु और पौधों की प्रजातियों का ठिकाना हैं। जिसमें जीवों की प्रजातियों के बारे में बात करें तो काला हिरण, पैंथर, नीलगाय, लोमड़ी, सियार, हिरण, जंगली कुत्ते, तोते, मोर, तीतर आदि प्रमुखता से शामिल हैं। राज्य में पक्षियों की 300 से भी अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

राज्य के कई लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं जहाँ विभिन्न प्रकार की वनस्पति और जीवों की प्रजातियाँ पाई जाती है। ऐसी जगहें हैं- थापली, मोरनी हिल्स, कलेसर, आदिबद्री, चुहारपुर हर्बल पार्क, बैनसेंटर आदि। विविध स्थलाकृति और वन राज्य की प्राकृतिक संपदा को बढ़ाते हैं। हरियाणा सरकार के वन विभाग ने राज्य में कई इको-टूरिज्म स्पॉट बनाए हैं। इको-टूरिज्म स्पॉट के प्रयासों से इस क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि हुई है।

राज्य सरकार पारिस्थितिकी पर्यटन के माध्यम से यहाँ इको-लॉज, स्विस टेंट, जंगल रिसॉर्ट्स, वॉच टावर, नेचर वॉक, हर्बल पार्क, आउटडोर कैंप जैसी गतिविधियों से पर्यटन उद्योग में तेजी लाने की ओर अग्रसर है। राज्य सरकार की एक और पहल 'पर्यावरण-पर्यटन कार्यक्रम' भी है। जो राज्य में पर्यावरण पर सामान्य पर्यटन के नकारात्मक पहलुओं को कम करने में मददगार रही है।

हरियाणा पर्यटन विभाग की नव दृष्टिकोण रंग ला रही है

राज्य के पर्यटन विभाग ने पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए नया दृष्टिकोण चुना है। जिसका उद्देश्य प्राकृतिक क्षेत्रों का संरक्षण, पर्यावरण के सांस्कृतिक और प्राकृतिक इतिहास की सराहना, पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता का ध्यान रखना और आर्थिक अवसर की उगाहीा करना है।

वन विभाग पर्यावरण को बचाने के लिए खूब उपाय कर रही है

हरियाणा की वन विभाग प्रकृति पसंद पर्यटको के रहने के लिए लॉग हट्स, इको-लॉज और जंगल रिसॉर्ट्स का निर्माण कर रही है। जो पर्यावरण-पर्यटन को प्रोत्साहित करने और पर्यावरण को बचाने की महत्वपूर्ण पहल है। इन प्राकृतिक निवासों को पर्यावरण के अनुकूल फर्नीचर, बांस और प्राकृतिक वनस्पतियों से बनाए गए हैं। थापली, मोरनी और चूहड़पुर जैसे जगहों पर तो टेंट और ट्री हाउस आधुनिक सुविधाओं से भी लैस हैं। ये आवास उपयोगी हर्बल पार्क और पानी के स्थानों से घिरे हुए हैं। इनमें कार्यशाला और सेमिनार आयोजित करने की सुविधाएँ भी दी गई हैं।

मोरनी और टिक्कर ताल के प्रकृति शिविर आपको स्वस्थ प्रदूषण मुक्त प्राकृतिक वातावरण के बीच रोमांच का आनंद देती है। इको-लॉज, टेंट और वूड हाउस पर्यटकों को प्रकृति की गोद में होने का एहसास देती है। ये इको-हट्स और टेंट लॉज कई वनस्पतियों और जीवों का एक आकर्षक और प्राकृतिक दृश्य प्रदान करते हैं।

मोरनी हिल्स की असीम सुंदरता अद्वितीय है

मोरनी एक छोटा सा गाँव है। जो मोरनी नाम के ही पहाड़ियों में स्थित है। इस खूबसूरत हिल स्टेशन के प्राकृतिक परिवेश की खोज करना यहाँ घूमने आने वाले लोगों को बेहद आनंददायक अनुभव देती है।

कालेसर यमुना नदी के किनारे स्थित है। जो पहाड़ी पर 60 एकड़ पर फैला हुआ है। कालेसर राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा प्रकृति से जुड़ने का पूर्ण अनुभव देती है।

औषधीय पौधों के लिए प्रसिद्ध यमुनानगर का हर्बल पार्क

चूहड़पुर का हर्बल पार्क उत्तर भारत में सबसे प्रसिद्ध प्रकृति शिविरों में से एक है। जो अपने औषधीय पौधों के लिए ख्यातिलब्ध है। जहाँ पर्यटकों को प्रकृति की सैर, नौकायन और योग जैसी कई पारिस्थितिक और मनोरंजक गतिविधियाँ करने का अवसर मिलता है।

हरियाणा में वानिकी परिदृश्य का अवलोकन

हरियाणा मुख्य रूप से भारत का कृषि प्रधान राज्य है। जहाँ कुल भौगोलिक क्षेत्र का 80% हिस्सा कृषि कार्यों में आते हैं। वन प्रकारों के चैंपियन और सेठ वर्गीकरण (1968) के अनुसार, हरियाणा में तीन प्रकार के वन हैं- उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन, उष्णकटिबंधीय कांटेदार वन और उपोष्णकटिबंधीय देवदार वन। यह सभी 10 प्रकार के वनों में विभाजित हैं। राज्य में पक्षियों की 500 से अधिक प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं। जो देश का लगभग 40% है। पहाड़ियों में जल संरक्षण और निकटवर्ती खेतों तक इसकी उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ मृदा और नमी संरक्षण कार्यों पर विशेष जोर दिया जा रहा है। लोगों को प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के करीब लाने के मकसद से लगभग हर जिले में हर्बल पार्क विकसित किए गए हैं।

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