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मध्य प्रदेश देश का एक खूबसूरत राज्य है जो सांस्कृतिक, प्राकृतिक और ऐतिहासिक रूप में भारत के लिए काफी महत्व रखता है। यहां मौजूद प्राचीन धरोहर, मंदिर, और खूबसूरत झील और झरने इस राज्य को पर्यटन के लिए शानदार और एडवेंचर बनाती है। देश के ही नहीं बल्कि दुनिया भर के सैलानी मध्य प्रदेश की खूबसूरती देखने आते हैं। नर्मदा, चंबल, सोन, ताप्ती, और शिप्रा नदी के किनारे बसा ये राज्य अपने कई ऐतिहासिक किलों और इमारतों के लिए भी जाना जाता है। ग्वालियर शहर मध्य प्रदेश का एक ऐसा शहर है जो अपनी कई ऐतिहासिक पर्यटक जगहों के लिए जाना जाता है।
ग्वालियर में मौजूद 'जय विलास महल' एक ऐसा ही प्राचीन और ऐतिहासिक महल है जो आज भी बड़े शान से खड़ा है। इस महल को 'सिंधिया महल' के नाम से भी जाना जाता है। महल को देखने के लिए हर रोज हजारों की संख्या में सैलानी आते हैं। महाराज जयाजीराव सिंधिया द्वारा बनवाया गया यह महल क्यों इतना खास है, आइए जानते हैं।
जय विलास महल का इतिहास
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ग्वालियर में मौजूद इस भव्य और ऐतिहासिक पैलेस का निर्माण वर्ष 1874 में ग्वालियर के महाराजा जयाजीराव सिंधिया ने करवाया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस महल का निर्माण ब्रिटिश अधिकारी किंग एडवर्ड के आगमन के दौरान किया गया था। वर्ष 1964 में इस महल के मुख्य भाग को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। इस महल में जीवाजीराव सिंधिया संग्रहालय है जो सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इस संग्रहालय को राजमाता विजयाराजे सिंधिया के आदेशानुसार बनवाया गया था।
महल की संरचना
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जय विलास महल यूरोपीय वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। इस महल को बनाने के लिए महाराजा माधवराव सिंधिया ने विदेशी कारीगरों को बुलाया था। कहा जाता है कि इस महल की पहली मंजिल टस्कन, दूसरी इतालवी-डोरिक और तीसरी कोरिंथियन शैली में बनवाई गई हैं। फ्रांसीसी आर्किटेक्ट मिशेल फिलोस ने इस पैलेस का निर्माण करवाया था। इस महल के फर्श को इतावली संगमरमर से बनवाया गया है। इस महल के कई हिस्सों को गिल्ट और सोने के सामान से सुसज्जित किया गया है।
3500 किलो का झूमर
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इस महल में एक विशाल झूमर है जिसकी चर्चा प्राचीन कल से लेकर आज तक भी की जाती है। कहा जाता है कि इस महल में लगभग 3500 किलो का विशाल झूमर लगाया गया था जो बेहद ही खूबसूरत और अनोखा है। आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि इस झूमर को लगाने के लिए 10 हाथियों की मदद ली गई थी। जी हां, दरअसल ऐसा छत की मजबूती जांचने के लिए किया गया था। इन हाथियों को लगभग 7 दिनों तक छत पर रखा गया था, सिर्फ ये मालूम करने के लिए की क्या यह छत 3500 किलो के झूमर का भार सहन कर सकती है या नहीं।
चांदी की ट्रेन
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इस महल की एक और खासियत सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। कहा जाता है कि इस महल के डाइनिंग हॉल में मेहमानों के खाना परोसने के लिए डाइनिंग-टेबल पर चांदी की ट्रेन लगी है, जो मेहमानों को खाना परोसती है। इस पैलेस में औरंगजेब और शाहजहां की तलवार भी म्यूजियम में मिलेंगी। इटली और फ्रांस की कलाकृतियां भी इस महल की दीवारों पर देखा जा सकता है।
महल के ट्रस्टी
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ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया इस महल की ट्रस्टी हैं। सिंधिया परिवार इसी महल के आधे हिस्से में रहता है।
टिकट की कीमत
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भारतीय नागरिकों को यहां घूमने के लिए 300 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से टिकट लेना होता है।
महल के खुलने का समय
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यह महल सुबह 10 बजे से शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है।
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