गुजरात के प्रसिद्ध कष्टभंजन हनुमान मंदिर सारंगपुर की यात्रा

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Photo of गुजरात के प्रसिद्ध कष्टभंजन हनुमान मंदिर सारंगपुर की यात्रा by Dr. Yadwinder Singh

राजकोट के होमियोपैथिक कालेज में पढ़ाते समय अप्रैल 2024 के एक शनिवार की शाम को मैंने अपने सहपाठी टीचर के साथ सारंगपुर हनुमान मंदिर जाने का प्रोग्राम बनाया| हमने कालेज के होस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स से जब बाईक मांगी तो उन्होंने कहा सर हम भी साथ चलेंगे| इस तरह हमने दो बाईक पर पांच लोगों ने जाने का प्रोग्राम बना लिया| एक बाईक पर मैं और मेरे सहपाठी टीचर डाक्टर रिंकू जो मध्यप्रदेश के मुरैना से संबंधित है और मेरे साथ ही राजकोट के होमियोपैथिक कालेज में नौकरी करते हैं| दूसरी बाईक पर तीन स्टूडेंट्स जाने के लिए तैयार हो गए|शनिवार को रात आठ बजे हमने चलने का समय निश्चित कर लिया| रात का खाना खाने के बाद हम आठ बजे चलने के लिए तैयार हो गए| हमारे कालेज से सारंगपुर हनुमान मंदिर की दूरी 120 किलोमीटर के आसपास है| अपने कालेज से हम रात को आठ बजे निकल पड़े सारंगपुर हनुमान मंदिर की ओर| कालेज से जाते हुए लिंक रोड़ पर चलते हुए तकरीबन 25 किलोमीटर चलने के बाद हम एक जगह पर चाय पीने के लिए रुकते है| बाईक पर सफर करते समय एक या दो घंटे बाद जरूर रुकना चाहिए| मुझे गुजरात की चाय बहुत पसंद है| चाय पीने के बाद मूंह हाथ धोकर हम दुबारा फिर सफर के लिए चल पड़े| रास्ते में गुजरात के गाँव आ रहे थे रात होने की वजह से ज्यादातर गाँव सुनसान लग रहे थे| रात के सफर का एक अलग मजा़ यह था कि हमें गर्मी नहीं लग रही थी|

सारंगपुर हनुमान मंदिर

Photo of Sarangpur by Dr. Yadwinder Singh

थोड़ी देर बाद हम हाईवे पर चढ़ जाते हैं| रात के 10 बज रहे थे| सफर अभी भी 65 किलोमीटर के आसपास बाकी था| सुनसान हाईवे पर अब हमारी बाईक ने सपीड पकड़ ली थी| जब बोटाद शहर 30 किलोमीटर रह गया था तब हमने अपने सफर की दूसरी ब्रेक मारी थी एक पैट्रोल पंप पर | बाईक में तेल भरवाने के बाद वाटर कूलर से ठंडा पानी पीने के बाद ठंडे पानी की बोतल भर कर हम दुबारा चल पड़ते हैं सारंगपुर की ओर| चलते चलते हम गुजरात के बोटाद शहर पहुँच जाते हैं| रात के 11 बजने वाले थे बोटाद शहर में थोड़ी रौनक दिखाई दी | बोटाद शहर में ही हम एक बार फिर चाय पीने के लिए रुक जाते हैं| चाय पीने के बाद हम सारंगपुर की ओर चल पड़ते हैं| बोटाद शहर गुजरात का एक जिला है जो भावनगर जिले में से निकला है|

सारंगपुर

Photo of Sarangpur by Dr. Yadwinder Singh

लगभग साढ़े तीन घंटे बाईक चलाने के बाद हम सारंगपुर पहुंच जाते हैं| रात काफी हो चुकी थी| साढे़ 11 बज रहे थे रात के अब हमें रहने के लिए कमरा ढूंढना था| पार्किंग में बाईक लगाकर हम सारंगपुर में कमरे के लिए पूछने चल पड़े| हमें 600 रुपये में कमरा मिल गया| हम कुल 5 लोग थे| थोड़ी देर चलने के बाद हम अपने कमरे के पास पहुंच गए| लिफ्ट की सहायता से हम चौथी मंजिल पर पहुँच गए जहाँ पर हमार कमरा था| कमरा बहुत साफ सुथरा था| कमरे में चार सिंगल बैड लगे हुए थे| हम पांच लोगों ने अपना सामान रखा| मुंह हाथ धोकर हम सो गए कयोंकि बाईक चलाने के बाद काफी थक चुके थे| आधी रात भी हो चुकी थी पता ही नहीं चला कब नींद आ गई| सुबह साढ़े छह बजे जाकर हमारी जाग खुलती है| सुबह उठकर नहाने के बाद हम तैयार हो जाते हैं सारंगपुर दर्शन के लिए| 10 बजे हमारे कमरे का चैक आऊट टाईम था| सुबह 7 बजे से लेकर 10 बजे तक हमारे पास तीन घंटे थे सारंगपुर में घूमने के लिए| हमने अपना सामान कमरे में ही रखा और हम कष्टभंजन हनुमान मंदिर सारंगपुर के दर्शन करने के लिए चल पड़े|

सारंगपुर हनुमान मंदिर

Photo of Sarangpur by Dr. Yadwinder Singh

सुबह सात बजे हम सारंगपुर के कष्टभंजन हनुमान मंदिर पहुँच जाते हैं| सुबह सुबह भी भक्तों की लाईन लगी हुई थी मंदिर के दर्शन करने के लिए| पुरष और औरतों के लिए अलग अलग लाईन बनी हुई थी| हम भी पुरषों वाली लाईन में लग जाते हैं| आधे घंटे में हम कष्टभंजन हनुमान जी के दर्शन कर लेते हैं| फिर हम दर्शन करने के बाद लंगर हाल की ओर चल पड़े| लंगर हाल में सुबह सुबह पोहे का लंगर चल रहा था| सवादिस्स्ट पोहे के साथ हम अपना ब्रेकफास्ट करते हैं| उसके बाद हम मंदिर प्रांगण में ही बने हुए एक दूसरे मंदिर में दर्शन करने के लिए चल पड़ते हैं|

कष्टभंजन हनुमान मंदिर सारंगपुर गुजरात

Photo of Kashtabhanjan Hanuman Temple by Dr. Yadwinder Singh

कष्टभंजन हनुमान मंदिर के बाहर घुमक्कड़

Photo of Kashtabhanjan Hanuman Temple by Dr. Yadwinder Singh

कष्टभंजन हनुमान जी मंदिर गुजरात के बोटाद जिले में एक ईतिहासिक मंदिर है| इस मंदिर का निर्माण स्वामीनारायण संप्रदाय ने करवाया है| इस मंदिर में हनुमान जी कष्टभंजन रुप में बिराजमान है ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी भक्तो के दुखों को कुचलने वाले है| ईतिहास बताता है कि गोपालानंद स्वामी ने हनुमान जी की मूर्ति को स्थापित किया तो उन्होंने उसे एक छड़ी से छुआ तो मूर्ति जीवित हो गई| यहाँ हनुमान जी की मूर्ति की आकृति है जो एक राक्षसी को अपने पैर के नीचे कुचल रही है और अपने दांतों को नोच रही है| सारंगपुर में ही 54 फीट की हनुमान जी की एक शानदार मूर्ति बनी हुई है|

कष्टभंजन हनुमान जी मंदिर सारंगपुर

Photo of कष्ट भंजन हनुमान मंदिर by Dr. Yadwinder Singh

54 फीट की हनुमान जी की मूर्ति

Photo of कष्ट भंजन हनुमान मंदिर by Dr. Yadwinder Singh

कष्टभंजन हनुमान जी के दर्शन करने के बाद हमने घर के लिए प्रसाद काऊंटर से 50 रुपये की पर्ची कटवा कर सूखे प्रसाद का एक पैकेट लिया| फिर हमने बाहर मार्केट में चाय पी| पास में ही स्वामी नारायण मंदिर बना हुआ है| फिर हम इस खूबसूरत स्वामी नारायण के दर्शन करने के लिए चल पड़े| हमने स्वामी नारायण मंदिर के दर्शन किए| मंदिर बहुत साफ सुथरा था और यहाँ का वातावरण बहुत आलौकिक लग रहा था| हमने यहाँ फोटोग्राफी की| फिर हम वापस अपने रुम की ओर चल पड़े| सुबह के 9.30 बजे का समय हो रहा था| रुम में आकर आधे घंटे तक आराम किया| सुबह 10 बजे अपना सामान पैक करके रूम चैक आऊट करके हम अपनी बाईक पर बैठ कर वापस राजकोट की ओर लौट पड़े| सारंगपुर हनुमान मंदिर की यात्रा यादगार बन गई|

स्वामी नारायण मंदिर सारंगपुर

Photo of Sarangpur by Dr. Yadwinder Singh

सारंगपुर

Photo of Sarangpur by Dr. Yadwinder Singh

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