Trip to Gujarat

Tripoto
24th Dec 2019
Day 2

23 तारीख की शाम को लखनऊ से हम लोग द्वारका के लिए निकले और 25 तारीख की सुबह लगभग चार बजे द्वारका स्टेशन पर जब ट्रेन रुकी तो हम लोगों ने जल्दी जल्दी अपनी सामानों को ट्रेन से उतारा क्यूंकि रेलवे की सूचना के अनुसार ट्रेन को द्वारका स्टेशन पर सिर्फ 5 मिनट रुकना था।

सुबह सुबह हल्की से ठंड का अनुभव किया जा सकता था जैसा कि हम लोग नवाबों के शहर से थे जहां दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में ठंड अपने चरम की ओर बढ़ जाती है पर यहां की ठंड दीवाली की ठंड के समान थी जो सूरज के निकलने के साथ साथ कम होती जा रही थी। रेलवे स्टेशन से बाहर निकलने पर एक सुना सा शहर नजर आ रहा था और बहुत कम संख्या में टैक्सी भी थी ड्राईवर से बात करने पर उन्होंने ने हम लोगों को एक धर्मशाला में पहुंचा दिया जहां हमलोगों ने स्नान करने के बाद दर्शन के द्वारकाधीश भगवान के मंदिर पहुंचे जहां पहुंचने पर हमें जानकारी मिली कि सूर्य ग्रहण पड़ने के कारण अभी दर्शन नहीं मिलेंगे और दोपहर के बाद दर्शन प्रारम्भ हुए परंतु इस बीच हम लोगों को एक लंबी लाइन से गुजरना पड़ा और दर्शन करने में लगभग 2 घंटे का समय लग गया दर्शन के बाद मन्दिर के पास ही एक होटल में भोजन करने के बाद हमलोग धर्मशाला की ओर अग्रसर हो गए क्यूंकि हम लोग एक लंबे ट्रेन के सफर के बाद पहुंचे थे जिसकी वजह से हम लोग थकान का अनुभव कर रहे थे ।

शाम को हम सभी लोग द्वारका की सड़कों। पर टहलने निकले तो वहां के एक दुकानदार से जानकारी प्राप्त कर हम लोग सूर्यास्त देखने के लिए सुदामा सेतु पहुंचे और वहां पर गोमती नदी व सागर का सुंदर संगम का आनंद लिया उसके बाद शॉपिंग करते हुए धर्मशाला को लौट आए रास्ते से लौटते वक्त मामा जी ने एक ट्रैवल एजेंसी से कॉन्टैक्ट किया ।

और अगले दिन की तैयारी की

Day 3

अगले दिन सुबह सात बजे ही बस धर्मशाला पहुंच गई और हम लोग पहले से ही तैयार थे और निकाल पड़े नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए सुबह जल्दी ही मंदिर पहुंचने के कारण हमें भीड़ से भी नहीं जूझना पड़ा ।

दर्शन के बाद बस से हम लोग गोपी माता मन्दिर पहुंचे जहां की मान्यता है कि गोपियों ने भगवान कृष्ण के वियोग में तालाब में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे और इस तालाब की मिट्टी का उपयोग गोपी चंदन के रूप में कि जाती है

गोपी तालाब के बाद हम लोग ओखा से गुजरते हुए समुद्र तट पर पहुंचे जहां हम लोगों ने स्टीमर से समुद्र के द्वीप पर गए जिसका नाम भेंट द्वारका है और ऐसा माना जाता है कि ये वही स्थान है जहां भगवान कृष्ण सुदामा से मिले थे और ये वही स्थान है जो गांधारी के श्राप के बाद समुद्र में डूबी हुई द्वारका का प्रवेश द्वार है। मंदिर में पहुंचे तो हमे यह जानकारी प्राप्त हुई की मंदिर का द्वार लगभग एक घंटे के लिए बन्द होने वाले है जिसकी वजह से हम लोगों ने एक लंबी लाइन लगा कर दर्शन प्राप्त किए इस मंदिर का मुख्य प्रसाद चावल है क्यूंकि मान्यता के अनुसार सुदामा की ने कृष्ण जी से मिल कर उन्हें चावल ही भेंट किया था। दर्शन के बाद हम लोग एक फिर स्टीमर से समुद्र के तट पर लौट आए और कैंटीन में नाश्ता कर के बस में बैठ गए

आज के दिन का हमारा अतिम दर्शन रुक्मणि माता मंदिर का रहा जहां की दिवालें इस मंदिर के प्राचीन कल के होने का साक्ष्य है मंदिर की दीवारों पर आनेकों मूर्तियां उकेरी गई हुई है जो समय के साथ साथ क्षीण हो रही है यह मंदिर एकदम सूनसान है इसके आस पास कोई दुकान नहीं है और मंदिर के बाहर ASI का गेट लगा हुआ है अगर आप पुराने आर्किटेक्चर में इंटरेस्ट रखते है तो ये एक अच्छी जगह है

रुक्मणि माता मंदिर के बाद हम लोग उसी बस से सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के लिए रवाना हो गए

Day 4

सोमनाथ पहुंचते पहुंचते रात के लगभग 2 बज चुके थे जिसके बाद हम लोगों ने बस से समान उतार कर ड्राईवर के द्वारा पहुंचाए गए एक घर में पहुंचे । सोमनाथ का हर घर अपने आप में एक छोटा मोटा धर्मशाला सा है परन्तु ये उनसे महंगे होते है। बहुत ज्यादा रात और थके होने के कारण हम लोगों ने बाकी बची रात वहीं पर बिताई और सुबह उठकर एक अच्छी होटल की तलाश में निकले और लगभग 1 घंटे की खोज अभियान के बाद होटल मिलगई और लोग इस होटल में शिफ्ट हो गए और ऐसा करने में लगभग दोपहर हो चुकी थी और हम लोगों ने समान सेट करने के बाद दर्शन के लिए गए और आसानी से दर्शन किए

सोमनाथ मंदिर का अपना एक इतिहास है भारतीय इतिहासकारों के वर्णन के अनुसार यह मंदिर विश्व के सबसे अमीर मंदिरों में से एक था जिसके के कारण कई विदेशी आक्रमण कारियों के लिए ये मंदिर एक लूट का स्थल बन गया व लाखों लोगों ने इस मंदिर कि सुरक्षा में अपने प्राण त्याग दिए

दर्शन के बाद हम लोगों ने भोजन ग्रहण करके होटल कि ओर चल दिए कुछ देर होटल में आराम कर के शाम को हम लोग लाइट शो देखने गए ये शो हिंदी भाषा में अमिताभ बच्चन जी की आवाज़ में मंदिर के इतिहास का वर्णन किया गया है।

Day 1

रुक्मणि माता मंदिर

Photo of Trip to Gujarat by नवनीत पाण्डेय

Somnath temple night view

Photo of Trip to Gujarat by नवनीत पाण्डेय
Day 5

सुबह सुबह 9 बजे के लगभग हमरी ट्रेन थी जिससे हमे अहमदाबाद जाना था और हम लोग पहुंच गए रेलवे स्टेशन सोमनाथ रेलवे स्टेशन पर सिर्फ दो प्लेटफॉर्म है और ये छोटा स्टेशन है लेकिन सफाई के मामले में अच्छा है और यहां से जिस गाड़ी से हमे अहमदाबाद जाना था वो भी काफी ज्यादा साफ सुथरी थी दिन भर ट्रेन के सफ़र के बाद शाम को हम लोग अहमदाबाद पहुंच गए जहां हम लोगों ने स्टेशन कैंटीन में नाश्ता किया और होटल की खोज में निकल गए और रात में एक होटल में रुके

Day 6

दिन भर के थके होने के कारण हम सब देर से उठे और अहमदाबाद घूमने के बजाय स्टैचू ऑफ़ यूनिटी देखने जाने का प्लान हम लोग प्लान बनाने में थोड़ा देर कर चुके थे क्यूंकि अब 11 बजने वाला था लेकीन ट्रैवल एजेंसी से कॉन्टैक्ट करके एक बस बुक की और निकल गए देखने के लिए ।

शाम को करीब चार बज गया था वहां पहुंचने पर और हम लोगों ने अब तक टिकट भी नहीं खरीदी थी वहां घूमने की जब टिकट काउंटर पर पहुंचे तो पता चला हम लोग अब अंदर लिफ्ट का प्रयोग नहीं कर पाएंगे क्यूंकि उसकी सारी टिकट बिक चुकी है । ऐसी जानकारी हम लोगों को पहले से न थी लेकिन हम लोग इतनी दूर आकर अब अफसोस न करके बाकी का आनंद ही लेना ज्यादा सही समझा और निकल पड़े सरदार सरोवर देखने । सरदार सरोवर के बांध के नीचे नर्मदा नदी में कुछ खास पानी न था पर वो दृश्य देखने में बहुत अच्छा लग रहा था और डैम से जो बिजली का उत्पादन हो रहा था उसकी मात्रा का अनुमान आप लोग वहां लगे तारों के कम्पन से समझ सकता है जो हर व्यक्ति को कम्पित कर रहा था । ये सब देखते देखते अंधेरा हो आया था और हम लोगों को अभी स्टैचू ऑफ़ यूनिटी में लाइट शो देखने जाना था जिसके चलते हमलोगों ने कृत्रिम रूप (प्लास्टिक और लाइट) से बनाए गए गार्डन को न घूमने का निर्णय लिया और चले गए लाइट शो देखने । लाइट शो में सरदार जी के पूरे जीवन काल का वर्णन था जिसे देखकर आप उनके द्वारा किए गए भारतीयों के लिए कामों को जान सकते है जो की अनगिनत है । लाइट शो देख कर हम लोग वापस अपनी बस पर आ गए अहमदाबाद जाने के लिए ।

रात में लौटते वक्त ह्मलोगों ने रास्ते में भोजन किया पर लगभग 10 बजे के बाद आपको शाकाहारी भोजन मिलना थोड़ा मुश्किल था और शाकाहारी होने के हम लोगों को इस मुश्किल का सामना करना पड़ा । लेकिन मुश्किलों में मिले भोजन का स्वाद कुछ और ही होता है ।🙂

रात में करीब 2 बजे हम लोग वापस होटल पहुंच गए ।

Day 7

आज हम लोगों को वापस लखनऊ लौटने के लिए ट्रेन पकड़ना था और हम लोगों ने अब तक अहमदाबाद नहीं घुमा था और नाही कुछ खास खरीददारी की थी पर सुबह 10 बजे के लगभग तैयार होकर निकल पड़े एक और ऐतहासिक स्थान साबरमती आश्रम की ओर। साबरमती में मैंने तो चरखे से सूत काटना और बहुत सी चीजें सीखी जो कि खादी निर्माण में प्रयोग की जाती हैं । साबरमती आश्रम में कोई टिकट नहीं लगती है और यहां का सारी देख रेख यहां की एक छोटी सी मॉल से होता है ये जानकारी जब हमे मिली तो हम भी पहुंच गए खरीददारी करने । यहां से मैंने एक गांधी के विचार नाम कि पुस्तक ली और साबरमती रीवर फ्रंट से शानदार दृश्य देख कर वापस लौट आए होटल । होटल में ही दोपहर का भोजन करके आराम करना ज्यादा सही समझ जब की कुछ लोग निकल पड़े बाजार देखने । और हमे मिली एक खास जिम्मेदारी जो थी होटल से सारा सामान लेकर रेलवे स्टेशन पहुंचने की क्यूंकि बाजार से वो सभी लोगों वहीं पहुंचने वाले थे । हम 6-7 लोग जो होटल में रुके थे निकल पड़े खाने अहमदाबाद की मशहूर दाभेली और फाफड़ा जलेबी का आनंद लेने । लौट कर 1 घंटे आराम। करने के बाद चल दिए सारा समान उठा कर रेलवे स्टेशन पर । स्टेशन से पकड़ी ट्रेन और पड़ गया इन दिनों की यादों में

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