अडालज की वाव (बावड़ी) Step-well of Adalaj - अहमदाबाद

Tripoto
20th Jan 2020

यह बावड़ी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित स्मारक है. अडालज की बावड़ी (गुजराती : अडालज नी वाव) एक सीढ़ीदार कुँआ (बावड़ी) है. वास्तव में यह एक बड़े भवन के रूप में निर्मित है. भारत में इस तरह के कई सीड़ीनुमा कुएं हैं. पुराने समय में पानी के संरक्षण के लिए कई सारे सीढ़ीदार कुएं - बावड़ी बनवाए गये. कई सारी बावड़ियां, पर्यटकों में अपने कई रहस्यमयी कहानियों के साथ प्रसिद्ध भी है. उन्ही बावड़ियों में से ही एक है - "अडलाज की बावड़ी".

इसका निर्माण कार्य महाराजा रणवीर सिंह द्वारा प्रारंभ करवाया गया था। कुएँ में उस समय के वास्तुकला की छवि और निपुणता आपको साफ दिखेगी जो आपको सम्मोहित कर उसी काल में दोबारा ले जाएगी। यह स्थापत्य कला का एक अद्भुत नमूना है। इसकी वास्तुकला में भारतीय शैलियों के साथ-साथ इस्लामिक शैलियों को भी बखुबी उकेरा गया है।

Photo of The Adalaj Stepwell, Adalaj Road, Adalaj, Gujarat, India by Kapil Kumar

Entrance of Step well

Photo of The Adalaj Stepwell, Adalaj Road, Adalaj, Gujarat, India by Kapil Kumar

इस बावड़ी का प्रवेश तीन तरफ है . फ़िलहाल सुरक्षा की दृष्टी से सिर्फ एक तरफ से प्रवेश खुला है.

Photo of The Adalaj Stepwell, Adalaj Road, Adalaj, Gujarat, India by Kapil Kumar

असल में यह एक पांच मंजिला इमारत है जिसमे कुआँ भी है जो संभवतः मुसाफिरों और लोगो के रुकने में भी इस्तमाल होती थी .

Photo of The Adalaj Stepwell, Adalaj Road, Adalaj, Gujarat, India by Kapil Kumar

5 storied step well of Adalaj, Ahmadabad

Photo of The Adalaj Stepwell, Adalaj Road, Adalaj, Gujarat, India by Kapil Kumar

जनवरी में 15 से 18 जनवरी अहमदाबाद एक ट्रेनिंग के सिलसिले में जाना हुआ था. 18 जनवरी का दिन अहमदाबाद घुमने के लिए रिज़र्व कर रखा था. 18 को रात को लौटने की गाड़ी थी इसलिए पूरा दिन था घुमक्कड़ी करने के लिए. मैं अक्सर अपने घुमक्कड़ी के शौक ऐसे ही काम से कहीं जाने पर एक्स्ट्रा टाइम निकाल कर पूरे करता हूँ. सुबह तो साबरमती आश्रम में श्री नचिकेता देसाई जी से मुलाकात का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था. जैसा पिछली पोस्ट में बता चूका हूँ कि श्री नचिकेता देसाई जी पूर्व पत्रकार - संपादक और अब सामाजिक कार्यकर्त्ता है. वो महात्मा गाँधी के निजी सचिव श्री महादेव भाई देसाई के पौते और गाँधी कथाकार श्री नारायण भाई देसाई के पुत्र है. सुबह 10 बजे से दोपहर 01 बजे तक उनसे मुलाकात, साबरमती आश्रम और गुजरात विद्यापीठ विश्वविद्यालय देखने के बाद मैं करीब 01.30 बजे फ्री हो गया था.

श्री नचिकेता देसाई जी पूर्व पत्रकार - संपादक के साथ

Photo of अडालज की वाव (बावड़ी) Step-well of Adalaj - अहमदाबाद by Kapil Kumar

अहमदाबाद आने पर साबरमती आश्रम, अक्षरधाम मंदिर, चिड़ियाघर और कांकरिया लेक तो अधिकतर लोग जाते है. लेकिन कुछ लोग मेरी तरह ऐतिहासिक इमारतों - स्मारकों में रूचि रखने वाले अडालज की वाव (बावड़ी) देखने भी जाते है. तो मेरा अगला पड़ाव था अडालज की वाव (बावड़ी - सीढ़ीदार कुआँ) या स्टेप वेल. ये अहमदाबाद से करीब 18 किलोमीटर और गांधीनगर से 5 किलोमीटर दूर अडालज गाँव में हाईवे किनारे स्थित है. अडालज गाँव में होने से इसका नाम ही अडालज की वाव पड़ गया. कुछ समय की कमी होने और बावड़ी के आस पास कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट ना होने की वजह से मैंने ओला की टू व्हीलर सेवा लेने की सोची. एप से बुकिंग करने पर 10 मिनिट में ही एक्टिवा पर साहिर भाई आ गए. उनके साथ बात करते करते और अहमदाबाद के बारे में जानते हुए आधे घंटे में अडालज की वाव तक पहुँच गए.

यह वाव पाँच मंज़िला और अष्टभुजाकार बना हुआ है. वास्तुकला का यह अद्भुत नमूना 16 स्तंभों पर खड़ा है. यहाँ सूरज की रोशनी बहुत कम वक्त के लिए अंदर तक पहुँच पाती है, इसलिए इसके अंदर का तापमान बाहर के तापमान से 5-6 डिग्री कम ही रहता है. वाव की दीवारों और स्तंभों में कई देवी देवताओं की प्रतिमाएँ भी उकेरी गयी हैं. इसके पहली मंज़िल पर लगे संगमरमर के पत्थर पर लिखे आलेख से मालूम होता है कि इसे सन् 1499 में रानी रूदाबाई ने अपने पति राजा रणवीर सिंह की याद में बनवाया था।

बावड़ी के हर गेट पर ऐसे नक्काशीदार झरोखे बनाये गए है जो उस समय राज परिवार के काम आते रहे होंगे .

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पहली मंजिल

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साहिर भाई ओला ड्राईवर ने फोटो खींच दी .

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बावड़ी का मुँह जाली से बंद कर दिया है ताकि कबूतर गन्दगी ना करें.

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पांच मंजिला बावड़ी का अन्दर से नजारा

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जनश्रुति अनुसार बावड़ी से जुड़ी कथा ऐसी है कि इस कुएँ को राजा रणवीर सिंह द्वारा बनवाना प्रारंभ किया गया था. लेकिन जब उनकी सल्तनत पर एक मुस्लिम सुल्तान बेघारा ने हमला किया तो वह उस युद्ध में मारे गये. सुल्तान बेघारा, राजा रणवीर सिंह की पत्नी रानी रूदाबाई की सुंदरता पर मोहित हो गया और उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा. रानी ने भी विवाह के लिए उस वाव (बावड़ी) को नियत समय पर पूरा करने की शर्त रखी, जिसे सुल्तान बेघारा ने नियत समय पर पूरा करवा दिया. कुएँ का निर्माण कार्य पूरा होता ही रानी उसे देखने वहाँ पहुँची. चूँकि वह सुल्तान बेघारा से विवाह नहीं करना चाहती थी, इसलिए उन्होंने पाँच मंज़िला कुएँ में छलाँग लगाकर अपनी जान दे दी. उस बावड़ी के पास ही बावड़ी को बनाने वाले कामगारों की क़ब्रे हैं. जिनके पीछे कहानी है कि, इस बावड़ी के पूरा होते ही सुल्तान बेघारा ने उन कामगारों को मरवा दिया क्युंकि वह नहीं चाहता था कि दोबारा कोई ऐसी बावड़ी बना सके.

वाव के अन्दर से ऊपर की ओर का नजारा

Photo of अडालज की वाव (बावड़ी) Step-well of Adalaj - अहमदाबाद by Kapil Kumar
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वाव के अन्दर बना महल जैसी इमारत

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वाव की छत पर

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बावड़ी के पास ही बावड़ी को बनाने वाले कामगारों की क़ब्रे हैं.

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वाव की छत से अन्दर की तरफ का नजारा

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वाव के पास ही एक मंदिर भी बना हुआ है .

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अडालज की वाव घुमने के बाद साहिर भाई ने मुझे कांकरिया तालाब छोड़ दिया जहाँ से मुझे इंदौर के लिए बस पकडनी थी. कांकरिया तालाब को अहमदाबाद कारपोरेशन और गुजरात पर्यटन ने बहुत अच्छा विकसित किया है. अन्दर क्रुस और बोट चलती है. बच्चो के लिए टॉय ट्रेन और पर्यटकों के लिए ओपन बस भी है.

कांकरिया तालाब के अन्दर टापू भी है .

Photo of अडालज की वाव (बावड़ी) Step-well of Adalaj - अहमदाबाद by Kapil Kumar
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पर्यटकों के लिए ओपन बस जो कांकरिया तालाब के चारो ओर घुमाती है .

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टॉय ट्रेन , बच्चो के साथ ही बड़े भी इसकी सवारी का लुत्फ़ उठाते है .

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कांकरिया तालाब के अन्दर भी पुरानी पत्थरों से बनी हुई संरचना है .

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तालाब में पानी आने और निकासी के लिए पुरानी पत्थरों से निर्मित संरचना है .

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तालाब में पानी आने और निकासी के लिए पुरानी पत्थरों से निर्मित संरचना है .

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कांकरिया तालाब में पानी आने और निकास के लिए पुरानी पत्थरों से बनी संरचना है जिसकी नक्काशी देखकर लगता है की ये काफी पुरानी होगी. इस संरचना के प्राचीन होने के प्रमाण इससे भी मिलते है की इसे भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने सरंक्षित किया हुआ है. ऐसे ही तालाब के अन्दर पानी भरने और देखने के लिए पुराना झरोखा भी बना है.

इस तरह एक दिन की घुमक्कड़ी अहमदाबाद में सिर्फ 500 रूपये में पूरी हो गई.

अहमदाबाद देश के सभी मुख्य हिस्सों से रोड, रेल और एयर ट्राफिक से जुड़ा है. आराम से देश के किसी भी हिस्से से यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है.

- कपिल कुमार

18-03-2020

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