गुजरात के बारे में जब हम सोचते हैं तो दिमाग में ये बातें नहीं आती कि यहाँ ट्रेकिंग हो सकती है। लेकिन असल में निडर यात्री और ट्रेकिंग के शौक़ीन लोगों के लिए यहाँ कई बेहतरीन जगहें मौजूद हैं। आप यहाँ समुद्रों से खेलते हुए सितारों की सैर कर सकते हैं तो वहीं पहाड़ पर जाकर किसी ऋषि-मुनि की तरह टहल सकते हैं। यहाँ ऐसी कई जगहें हैं जहाँ प्रकृति ने भरपूर प्यार लुटाया है। जानकर हैरानी हो सकती है कि गुजरात में एक ऐसी जगह है जहाँ समुद्र, रेगिस्तान और पहाड़ आपस में बातें करते हैं। इतना ही नहीं, गुजरात की सबसे ऊँची चोटी नागा बाबाओं, अघोरियों और 800 साल पुराने जैन और हिंदू मंदिरों से भरी हुई है।
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हाँ, ट्रेक हमेशा पहाड़ों पर चढ़ने या जंगलों की खोज करने को नहीं कहते। मांडवी ट्रेक आपको समुद्र के साथ ऑल नाईट डेट पर जाने का मौका देता है। मोधवा से रावलशा पीर और काशी विश्वनाथ तक के समुद्र तट को देखने में तीन से चार घंटे का समय लगता है और सूर्यास्त से एक घंटा पहले शुरू करना सबसे अच्छा होता है। पूर्णिमा की रात के आसपास, ट्रेक रात में भी किया जा सकता है, जब आप समुद्र तट पर समुद्री जीवों को टहलते देख सकते हैं। और हाँ, चाँदनी रात की खूबसूरती को निहारने के साथ ही आप रौशनी में लहरों को नाचते देख सकते हैं। आप समुद्र तट पर कैंप लगा सकते हैं या काशी विश्वनाथ मंदिर में जाकर ठहरने की जगह पा सकते हैं।
डिफिकल्टी: आसान
अवधि: 3 से 4 घंटे
बेस कैम्प: मोधवा
बेहतरीन समय: सालभर
कालो डूंगर (1,515 मी) या काला पहाड़ी गुजरात की सबसे ऊँची चोटी है। ड्रोबना से कालो डूंगर तक की यात्रा आपको अनोखे रॉक फॉर्मेशन और पत्थरों वाले सूखे जंगलों में ले जाएगी। एक बार जब आप चोटी पर पहुँच जाते हैं, तो 400 साल पुराना दत्तात्रेय मंदिर देखने को मिलता है। यहाँ शानदार सूर्यास्त के मनोरम दृश्य ज़रूर देखें।
कालो डूंगर वहाँ है, जहाँ समुद्र, रेगिस्तान और पहाड़ मिलते हैं। दोपहर और शाम की आरती के बाद, पुजारी एक ऊँची जगह पर प्रसाद लगाते हैं, जहाँ हर दिन गीदड़ों का एक दल आता है। हैरानी की बात ये है कि वहाँ रेत पर गीदड़ के पैरों के कोई निशान नहीं बनते।
डिफिकल्टी: थोड़ा आसान
अवधि: 4 से 5 घंटे
बेस कैम्प: ड्रोबाना
बेहतरीन समय: जुलाई से फरवरी
माउंट धिनोधर
कहानियों के अनुसार जब ऋषि दत्तात्रेय ने पहाड़ पर चढ़ना शुरू किया था, तो ऋषि की शक्तियों से पहाड़ हिलने लगा था। तभी ऋषि ने कहा, "धिनो धर", जिसका मतलब 'शांत हो' होता है।
चढ़ाई करते हुए आपको कैक्टि के जंगल, झाड़ियों और अन्य शुष्क वनस्पतियों के बीच से गुजरना पड़ता है। यहाँ आप अपने लक को आज़मा सकते हैं। बताया जाता है कि अगर आप काफी भाग्यशाली हैं, तो आप कुछ तेंदुओं को देख सकते हैं। इन पहाड़ियों पर सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों का आना होता है जो पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण होता है।
डिफिकल्टी: मध्यम से आसान
अवधि: 4 से 5 घंटे
बेस कैम्प: थान जागीर
बेहतरीन समय: जुलाई से फरवरी
पोलो का जंगल गुजरात में एक अलग ही दुनिया लगती है। हरी-भरी पहाड़ियाँ, झरने, झीलें, जहाँ मछुआरे पुराने तरीकों से मछली पकड़ते हैं, और लकड़ी के घरों की चिमनियों से धुआँ निकलता है। पोलो फ़ॉरेस्ट हिमालय या किसी घाटी में बसा प्रतीत होता है।
पहाड़ियों और जंगलों वाला ये भू-भाग ट्रेकिंग के भरपूर अवसर प्रदान करते हैं। कोई स्पष्ट रूप से चिह्नित रास्ता नहीं हैं, लेकिन आप स्थानीय लोगों से पूछ सकते हैं और वे आपको सही दिशा दिखाते रहेंगे। पोलो फॉरेस्ट में कई प्राइम कैंपिंग स्पॉट हैं।
डिफिकल्टी: आसान
अवधि: 2 से 3 घंटे
बेस कैम्प: बंधन
बेहतरीन समय: मानसून (जून से अगस्त), जब ये बेहद हरा-भरा रहता है.
गिरनार पर्वत गुजरात की सबसे ऊँची चोटियों में शुमार है, जिसकी ऊँचाई 1,031 मी है। शिखर पर जाते हुए आप 800 साल पुराने हिंदू और जैन मंदिरों से होकर गुजरते हैं। ट्रेक जैसे प्रकृति से जुड़ने का जरिया बनता है वैसे ही ये एक सांस्कृतिक पक्षों से भी अवगत कराता है। आपको नागा बाबा (नग्न ऋषि) और अघोड़ी तपस्वी देखने को मिलेंगे जो शमशान के राख शरीर पर मलते हैं। चोटी से मनोरम दृश्य देखकर आप पुलकित हो उठते हैं।
डिफिकल्टी: मध्यम
अवधि: 3 से 4 घंटे
बेस कैम्प: गिरनार तालेटी
बेहतरीन समय: जुलाई से फरवरी
क्या आप गुजरात के इन अनोखे ट्रेक में से किसी पर गए हैं? अपना यात्रा वृत्तांत यहाँ लिखें और इसे मुसाफिरों की दुनिया के साथ बाँटें।
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