![Photo of कच्छ का रण: सफेदी की चादर आढे़, संस्कृति के रंग में घुला गुजरात का खज़ाना by Rishabh Dev](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/TripDocument/1563899952_hodka.jpg)
दो कठिन चीजों में एक सरल चीज़ को चुनना आसान है। लेकिन दो बराबर खूबसूरत में से एक को चुनना बेहद मुश्किल काम है, बस कुछ ऐसा ही है गुजरात। गुजरात दुनिया भर के लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गया है। यहाँ प्राकृतिक सौंदर्य भी है, प्राचीन सभ्याताओं और अवशेषों का भंडार भी है और खूबसूरत समुद्र तटों का जादू तो खो जाने के लिए ही हैं। गुजरात की यात्रा आपको कई जगह जाने का मौका देती है, ये आप पर निर्भर रहता है कि आप कौन-सी खूबसूरत जगह पहले देखना चाहते हैं। उत्तरी पश्चिमी गुजरात में कच्छ और गिर देखने लायक जगह हैं। कच्छ और गिर दोनों अपने आपमें एक मुकम्मल खूबसूरती से भरे हुए हैं।
दोनों एक-दूसरे के बिल्कुल बराबर हैं इसलिए जब भी एक जगह की बात की जाती है तो दूसरी जगह अपने आप उसमें शामिल हो जाती है। कच्छ खूबसूरती का एक नायाब नमूना है, जो दुनिया भर के लोगों के लिए पसंदीदा डेस्टिनेशन बना हुआ है। अगर आप भी कच्छ जाने की सोच रहे हैं तो चलिए मेरे साथ इस शानदार सफर पर।
कच्छ जाने का सबसे बढ़िया समय
कच्छ के रण की यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे बढ़िया रहता है। उस समय तक कच्छ की दलदली ज़मीन भी सूख जाती है। जब कच्छ का मैदान सूखा होता है तब वो नजारा स्वर्ग के फर्श के समान होता है। ऐसा लगता है किसी ने कच्छ की धरती पर सफेद रंग घोल दिया हो। इसके अलावा रण फेस्टिवल के समय आना बहुत मजेदार होता है। ये फेस्टिवल नवंबर से फरवरी तक चलता है। इस फेस्टिवल में कच्छ को और संस्कृति की खूबसूरती का समागम एक साथ देखा जा सकता है।
कैसे पहुँचें कच्छ
कच्छ में आवाजाही बड़ी आसान है, देश के हर बड़े शहर से यहाँ पहुँचा जा सकता है। अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो भुज शहर में एयरपोर्ट है जो देश के ज्यादातर महानगरीय शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मुंबई और अहमदाबाद से भुज के लिए सीधी फ्लाइटें हैं। अगर आप ट्रेन से आने की सोच रहे हैं भुज रेलवे स्टेशन आ जाइए। यहाँ नई दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों से आराम से पहुँचा जा सकता है। अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहते हैं तो गुजरात की सरकारी बसें अहमदाबाद से सीधे भुज पहुँचाती है। इसके अलावा टैक्सी से भी भुज आसानी से पहुँचा सकता है।
इस यात्रा की शुरूआत गुुजरात की राजधानी से करनी चाहिए जहाँ कुछ देखने लायक भी जगहें हैं। अहमदाबाद में भी अपने पहले दिल की शुरूआत शांति और ऐतहासिक जगह से करिए और कच्छ की सबसे ऐतहासिक जगह है, साबरमती आश्रम। साबरमती आश्रम आपको उस दौर की याद दिलाता है जब पूरा देश गांधी-गांधी हो रहा था। साबरमती आश्रम कच्छ के सबसे विशेष स्थानों में से एक आता है। यहाँ की दीवारों से लेकर कण-कण में महात्मा गांधी बसते हैं। उस समय के बारे में बताती कुछ तस्वीरें हैं और कुछ प्रदर्शनी हैं। जो आपको गांधीवादी युग में वापस ले जाता है, जब साबरमती आश्रम भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का केन्द्र हुआ करता था।
![Photo of सबरमति आश्रम, Ashram Road, Hridaya Kunj, Old Wadaj, Ahmedabad, Gujarat, India by Rishabh Dev](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/TripDocument/1563898485_sabarmati.jpg.webp)
हर बड़ा शहर आधुनिकता से भरा होता है। उस आधुनिकता में भीड़ होती है और भीड़ पैदा करती शोर को। जब उस धक्कमपेल जिंदगी परेशान करनी लगती है तो उसे भगाने के लिये एक शांत जगह चाहिये होती है। अहमदाबाद में शहर से बाहर ऐसा ही एक शांत पोलो फॉरेस्ट है जहाँ दूर-दूर तक हरियाली है और उनके बीच कुछ मंदिर हैं। पोलो फॉरेस्ट शहर से ज्यादा दूर नहीं है। यहाँ हरनव नाम की एक नदी भी है जो इस जगह को और भी खूबसूरत बना देती है। यहाँ के शारनेश्वर, लखेना मंदिर, जैन मंदिर और शिव मंदिर देखने लायक हैं।
जब आप अहमदाबाद के आसपास हों तो कांकरिया झील को देखने जरूर जाएँ। इस जगह पर कई मनोरंजन पार्क और बैलून सफारी आकर्षण के केन्द्र है। इसके अलावा ये लेक भारत की पत्थर की बनी सबसे बड़ी भित्ति चित्रों के लिए भी फेमस है जिनको पार्क में चलते-चलते फुटपाथ पर देखा जा सकता है।
![Photo of कच्छ का रण: सफेदी की चादर आढे़, संस्कृति के रंग में घुला गुजरात का खज़ाना by Rishabh Dev](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/TripDocument/1563899065_ahmadabad.jpg.webp)
अहमदाबाद को देखने के बाद भुज की ओर बढ़ना चाहिए। अहमदाबाद से भुज के लिए कुछ अंतराल पर प्रतिदिन ट्रेनें मिल जाती हैं। गुजरात के पश्चिमी छोर तक पहुँचने का सबसे अच्छा रूट यही है, पहले अमदाबाद और फिर भुज। भुज से ही कच्छ का सफर शुरू हो जाता है। अहमदाबाद से भुज के लिए ट्रेन और बस आराम से मिल जाती है। अहमदाबाद से भुज पहुँचने में 8-9 घंटे लगते हैं। अगर आपके पास समय बहुत कम है तो एक डायरेक्ट रास्ता भी है जो आपको जल्दी पहुँचा देगा।
कच्छ जाएँ और समुद्र ना देखें तो कच्छ आना अधूरा है। जैसे ही आप कच्छ पहुँचे सबसे पहले समुद्री तट को देखने जाएँ, इसके लिए आपको मांडवी जाना होगा। भुज से मांडवी जाने के लिए टैक्सी बड़े आराम से मिल जाएँगी। समुद्र और आपके बीच की दूरी को कम करने का सबसे बढ़िया तरीका यही टैक्सी है। यहाँ आप पूरा दिन समुद्र के बीच बिताएँ। यहाँ आप लहरों के बीच हिचकोले खा सकते हैं, समुद्र की आवज़ को सुन सकते हैं और दूर-दूर तक अथाह सागर को देखा जा सकता है। आखिर में सबसे हसीन पल होता है शाम का जब पूरा आसमान लाल हो जाता है। तब ऐसा लगता है कि सूरज डूब नहीं रहा बल्कि समुद्र में समा रहा है। समुद्र तट पर साफ पानी, उड़ते पक्षियों को देखने का अलग ही मजा है।
![Photo of मांडवी समुद्र किनारा, Sadanand Wadi, Ratnagiri, Maharashtra, India by Rishabh Dev](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/TripDocument/1563899513_1562839077_1478861702_screen_shot_2016_11_11_at_12_23_28_pm.png)
इसके बाद वहीं पास में ही बने विजय विलास पैलेस जा सकते हैं जहाँ बॉलीवुड फिल्म हम दिल दे चुके सनम का अधिकतर भाग फिल्माया गया था। कच्छ रियासत का राॅयल परिवार आज भी यहीं रहता है। अगर आप मांडवी समुद्र तट के पास रात गुजारना चाहते हैं तो यहाँ रूकने के लिए लक्जरी टेंट की सुविधा है।
![Photo of विजय विलास पैलेस मार्ग, Gujarat, India by Rishabh Dev](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/TripDocument/1563899641_1562840241_1479289027_vijay_vilas_palace.jpg.webp)
मांडवी में यहाँ रुकना चाहिएः
भुज से 80 कि.मी. की दूरी पर एक गाँव है, होडका जहाँ दूर-दूर तक सफेद रेत है, ये कच्छ के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है। होडका गाँव भारत-पाकिस्तान के बाॅर्डर के पास होने की वजह से यहाँ आने के लिए भुज के डीएसपी कार्यालय से परमिशन लेनी होती है। इसके अलावा इस गाँव की खास बात ये भी है कि पूरे गाँव में एक भी घर सीमेंट का नहीं है। इस जगहों को देखने के लिये विदेशी पर्यटक बहुत हैं। उनके लिए खासतौर पर यहाँ मिट्टी के घर बनाए जाते हैं, जिन्हें प्राचीन तरीके से बनाया जाता है।
![Photo of भुज, Gujarat, India by Rishabh Dev](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/TripDocument/1563899952_hodka.jpg.webp)
ठहरने का सुझावः
![Photo of कच्छ का रण: सफेदी की चादर आढे़, संस्कृति के रंग में घुला गुजरात का खज़ाना by Rishabh Dev](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/TripDocument/1563900136_sham.jpg.webp)
कच्छ के आसपास के क्षेत्र को देखने और और यहाँ की जीवंत संस्कृति का अनुभव करने के लिये आपको कई जगहों पर जाना होगा। इसके लिए आपके पास खुद की गाड़ी होनी चाहिए। अगर आपके पास गाड़ी नहीं है तो भुज में किराए पर भी ले सकते हैं। तब आप धोर्डो के सफेद रण को देख पायेंगे और पास के बन्नी गाँवों में जा सकते हैं। रण उत्सव ने धोर्डो की लोकप्रयिता बढ़ती जा रही है और इसकी वजह है, यहाँ होने वाला रण फेस्टिवल।
![Photo of धोर्डो, Gujarat, India by Rishabh Dev](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/TripDocument/1563900344_dhordo.png)
भुज पश्चिमी गुजरात का केन्द्र है। पश्चिमी गुजरात की लंबी यात्रा के लिए भुज घुमावदार रास्ते के लिए बेस्ट जगह है। भुज से ही सफर को शुरू करें और फिर घूमते हुए वापस भुज आ जाते हैं और इसके बाद आखिरी पड़ाव होता है, अहमदाबाद जहाँ से राज्य के दूसरे शहरों और राज्यों तक पहुँचने के लिए सभी परिवहन केन्द्र हैं। यहाँ से आप फ्लाइट, रेल और बस से कहीं भी जा सकते हैं।
![Photo of कच्छ का रण: सफेदी की चादर आढे़, संस्कृति के रंग में घुला गुजरात का खज़ाना by Rishabh Dev](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1414073/SpotDocument/1563959048_1563900674_bhuj.jpg.webp)
भुज के आसपास अगर आप किसी जगह को बोनस की तरह देखना चाहते हैं तो वो जगह है कालो डंगर। कच्छ से निकलने से पहले इस जगह को देखने जरूर जाएँ, ये आपकी लिस्ट से अलग होगी। कालो डंगर की काली पहाड़ियाँ भुज से लगभग एक घंटे की दूरी पर हैं। इस पहाड़ी से आपको कच्छ का बेहतरीन नजारा देखने को मिलेगा। ये मनोरम दृश्य ही आपके लिये बोनस की तरह होगा। यहाँ 400 साल पुराना दत्तारेय मंदिर है, जो इस जगह को फेमस बनाता है।
![Photo of कालो डंगर, Gujarat by Rishabh Dev](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1350024/TripDocument/1563900815_kalo_dangar.png)
भारत के सबसे पश्चिमी कोने की यात्रा आपको एक अलग ही अनुभव देगी। गुजरात के कच्छ में आप यहाँ की संस्कृति का भी अनुभव ले सकेंगे और यहाँ की खूबसूरती को भी देख सकेंगे। कच्छ के बारे में कहा जाता है कि यहाँ के नजारे कुछ ऐसे हैं कि ये फोटोग्राफर यहाँ आते ही रहते हैं। लेकिन गुजरात का कच्छ तो घुमक्कड़ों के लिये भी लाजवाब है यहाँ पैदल चलने के लिये लंबे-लंबे रास्ते भी हैं और इतिहास को जानने के लिए उसकी विरासत। इस जगह को देखने के बाद एक बात मन में आती है, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में।