गुजरात भारत का एक खूबसूरत राज्य है | गुजरात में आपको घूमने के लिए बहुत सारी धार्मिक, ईतिहासिक, कुदरती सौन्दर्य से भरपूर जगहें देखने के लिए मिलेगी | मुझे गुजरात में एक होमियोपैथिक कालेज में नौकरी करते हुए तीन साल से ज्यादा हो गया है| इस समय में मैंने गुजरात के काफी घूमने वाली जगहों को देखा है | अपने तजुर्बे से मैंने गुजरात की टॉप -10 देखने लायक जगहों के बारे में लिखा है| उम्मीद है आप को भी गुजरात घूमने से पहले पलान करने में इस पोस्ट से मदद मिलेगी| वैसे इन 10 जगहों के ईलावा भी गुजरात में बहुत सारी जगहें है |
1. गिरनार_पर्वत
यह तसवीर जो आप देख रहे हो गुजरात के जूनागढ़ जिले में पवित्र गिरनार पर्वत पर गुजरात के सबसे ऊंचे सथान दत्रातरेय मंदिर की हैं। इस जगह की ऊंचाई तकरीबन 1100 मीटर हैं। बहुत सारे श्रद्धालु हर साल गिरनार पर्वत की यात्रा करते हैं। गिरनार पर्वत सदियों से साधु संतों की तपोभूमि रहा हैं। धार्मिक महत्व के साथ साथ गिरनार पर्वत का प्राकृतिक सौंदर्य भी लाजवाब हैं। जब आप पैदल गिरनार पर्वत की चढ़ाई चढ़ते हो तो आप को कुदरत के खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं जैसे हरे भरे पहाड़, दूर दूर तक उड़ते हुए बादल और ठंडी हवा के झोंके आदि । मुझे भी 10 अकटूबर 2021 को गुजरात के गिरनार पर्वत की यात्रा करने का मौका मिला। इस तसवीर को मैंने सुबह सुबह माता अंबा जी मंदिर से आगे गोरखनाथ मंदिर से गुरु दत्रातरेय मंदिर की जाते समय खींचा था। अभी गिरनार में माता अंबा जी मंदिर तक रोपवे बन गया है। आपको अपनी गिरनार यात्रा के लिए गुजरात के शहर जूनागढ़ पहुंचना होगा । वहां से भवनाथ तालेटी जहां से आप पैदल या रोपवे से माता अंबा जी मंदिर पहुंच सकते हो। फिर गोरखनाथ मंदिर, कुमंडल कुंड आदि जगहों के दर्शन करते हुए आप गुजरात के सबसे ऊंचे सथल गुरू दत्रातरेय जी के मंदिर तक जा सकते हो। अगर आप पैदल चलोगे तो आपको भवनाथ तालेटी से गुरू दत्रातरेय मंदिर तक 9,999 सीढियां चढ़नी होगी यानि 10,000 सीढियों से एक सीढी कम तो देर किस बात की अपनी यात्रा लिस्ट में गिरनार पर्वत यात्रा का नाम भी लिख लीजिए ।
2. सूर्य_मंदिर_मोढ़ेरा
दोस्तों दूसरे मंदिरों के मुकाबले सूर्य मंदिर बहुत कम हैं उडी़सा में कोणार्क मंदिर बहुत मशहूर हैं, लेकिन मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर भी बहुत लाजवाब हैं।
इस खूबसूरत मंदिर को सोलंकी वंश के राजा भीमा 1 ने 1026 ईसवी में बनाया, 2026 ईसवी को इस मंदिर के 1000 साल पूरे है जायेंगे इतना पुरातन मंदिर हैं यह। मंदिर के सामने एक बहुत बड़ा कुंड बना हुआ हैं, मंदिर के पास वाली जगह में बहुत खूबसूरत गार्डन बना हुआ हैं, घास, फूल बूटियों से इसको बहुत खूबसूरत बनाया गया हैं। इस खूबसूरत मंदिर में पतथर पर की हुई कलाकृतियों ने मन मोह लिया। मंदिर के सामने कुंड हैं, सीढियों को चढ़ कर तोरन बना हुआ हैं जिसे हम गेट भी बोल सकते हैं, तोरन के आगे सभा मंडप हैं जिसे हम असैंमबली हाल भी कह सकते हैं, इसमें धार्मिक फंक्शन हुआ करते होगें। नृत्य मंडप में डांस परफॉर्मेंस होती होगी। गरभ गृह में मेन मंदिर हैं जहां सबसे पहले सुबह की सूर्य की किरन पड़ती हैं। मंदिर की दीवारों पर पत्थर पर की हुई कलाकारी मंत्रमुग्ध करने वाली हैं। मैंने इस मंदिर में शाम के 4 बजे से 6 बजे तक दो घंटे गुजारे, फिर मैं 6 बजे बस लेकर मेहसाणा पहुंच गया वहां से रात को 9 बजे की बस से राजकोट की ओर चला गया।
कैसे पहुंचे- मंदिर मेहसाणा से 26 किमी और अहमदाबाद से 100 किमी दूर है, रहने के लिए मेहसाणा शहर बढिय़ा हैं साथ ही आप रानी की वाव भी देख सकते हो।
3. कच्छ का सफेद रण
धोलावीरा , अमरापुर , फौसिल पार्क आदि जगह एक टापू में मौजूद हैं । इस टापू को खादिर बेट कहा जाता है । खादिर बेट को चारों तरफ से कच्छ के विशाल रण ने घेरा हुआ है। जब आप धोलावीरा जायोगे तो रापर से 55 किमी दूर अमरापुर गांव से 5 किमी पहले कच्छ के रण को पार करने के बाद ही आप खादिर बेट में प्रवेश करोगे। हमने धोलावीरा से रापर वापिस आते हुए कच्छ के रण को घूमा। सड़क के दोनों तरफ आपको सफेद रण का अद्भुत नजारा दिखाई देगा। सड़क के एक तरफ दो वियू पुवाईट बने हुए हैं। हमने भी सड़क से साईड में उतरने के बाद वियू पुवाईट के सामने मोटरसाइकिल को लगा दिया । फिर हम कच्छ के रण में नीचे उतर गए। पहले मैं सोच रहा था शायद पानी भी हो लेकिन सतह बिल्कुल ठोस और सफेद थी। हर तरफ सफेद चादर बिछी हुई थी जैसे पहाड़ियों पर ताजी बर्फ पड़ी हो। बहुत अद्भुत नजारा था , ऐसा लग रहा था जैसे चांद की सतह पर चल रहा हूँ। कुछ कदम तक कच्छ के सफेद रण पर पैदल चला । कुछ फोटोज खींचे और छोटी सी वीडियो भी बनाई । बहुत ही आनंद आ रहा था कयोंकि मैं दुनिया की भीड़भाड़ से दूर कच्छ के सफेद रण को घूम रहा था ।
दोस्तों कच्छ का विशाल रण गुजरात के कच्छ जिले में 7500 किमी क्षेत्र में फैला हुआ है। रण का अर्थ होता हैं मारूथल । रण असल में नमक का मारूथल हैं । भारत में आपको तीन तरह के मारूथल देखने के लिए मिलेंगे
1. ठंडा मारूथल ( लेह , लद्दाख , सपिती घाटी )
2. गर्म मारूथल ( थार मारूथल ) राजस्थान के बीकानेर , जैसलमेर, बाड़मेर आदि ।
3. नमक का मारूथल ( कच्छ का रण ) गुजरात ।
कच्छ का रण दुनिया का सबसे बड़ा नमक का मारूथल है। इसमें समुद्र का पानी आ जाता हैं फिर धीरे धीरे धूप से सूख जाता है लेकिन नमक नीचे रह जाता हैं ।यहां जमीन पर नमक की एक सफेद ठोस सतह बन जाती हैं जिसे हम कच्छ का सफेद रण कहते हैं। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं। कच्छ में आपको बहुत सारे करोड़ों साल पुराने फौसिल भी मिलते हैं। कच्छ में देखने के लिए बहुत कुछ है सच ही कहते है कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा|
4.जामनगर की शान लाखोटा पैलेस
दोस्तों जामनगर गुजरात का एक खूबसूरत रियासती शहर हैं जहां आपको राजाओं के बनाए हुए बहुत सारे विरासती सथल मिलेंगे उसमें से एक है जामनगर का लाखोटा पैलेस क्षमयुजियिम जो लाखोटा झील के अंदर बना हुआ है। यह खूबसूरत पैलेस भी हैं और ईतिहासिक चीजों से भरा हुआ मयुजियिम भी। जब आप लाखोटा झील पहुंचोगे तो आपको टिकट कांउटर से 25 रुपये की टिकट लेकर अंदर प्रवेश करना होगा। झील पर बने हुए पुल पर चलकर आप एक खूबसूरत महल की तरह दिखाई देते लाखोटा पैलेस मयुजियिम के बाहरी दरवाजे पर पहुंचोगे। यहां पर एक कर्मचारी आपकी टिकट चैक करेगा और फिर आप इस खूबसूरत पैलेस को निहारोगे लेकिन लाखोटा पैलेस के अंदर आप वीडियो या फोटोग्राफी नहीं कर सकते। मैंने जो तसवीरें खींची है वह सारी लाखोटा पैलेस के बाहर से खींची गई है। दोस्तों अभी तक जामनगर को टूरिस्ट मैप पर वह जगह नहीं मिली जिसका जामनगर हकदार है। जामनगर को सौराष्ट्र का पैरिस भी कहा जाता है यहां की विरासती जगहों की वजह से। लाखोटा पैलेस कभी जामनगर के राजाओं का रहने का सथल हुआ करता था। इस खूबसूरत पैलेस की सुंदरता आपको मंत्रमुंग्ध कर देगी। कुछ सीढियों को चढ़कर आप पैलेस के खुले बरामदे में पहुंच जायोगे। यहां अलग अलग गैलरियों में बहुत कीमती सामान रखा गया है।
पेंटिंग गैलरी - इस गैलरी में जामनगर रियासत से संबंधित खूबसूरत पेंटिंग को रखा गया है ।
लाईब्रेरी- पैलेस में एक छोटी सी लाईब्रेरी है जहां हिसटरी, कलचर आदि की किताबें रखी हुई है।
फोटोग्राफ गैलरी - इस गैलरी में जामनगर रियासत से संबंधित राजाओं की अलग अलग जगहों की खूबसूरत फोटोज को संभाल कर रखा गया है।
पुरातत्व विभाग गैलरी - इस ईतिहासिक गैलरी में 9 वीं शताब्दी से लेकर 19 वीं शताब्दी तक की देवी देवताओं की पत्थर की मूर्तियों को संभाल कर रखा है। हर मूर्ति पर उसका नाम, कहाँ से मिली, कौन सी सदी की मूर्ति है आदि लिखा हुआ है। यह मूर्तियों को पैलेस के बरामदे में हर कोने में सजा कर रखा गया है।
इसके ईलावा भी राजाओं से संबंधित सिक्के, फोटोज, पेपर , हथियार आदि रखे हुए हैं।
पैलेस के बरामदे में व्हेल मछली के बड़े पिंजर को शीशे में जड़कर रखा है। मैंने भी अपनी जिंदगी में पहली बार व्हेल मछली के पिंजर को देखा जो इस पैलेस और मयुजियिम को देखने के लिए आकर्षित करता है लेकिन इन चीजों की आप तसवीरें नहीं खींच सकते। लाखोटा पैलेस की ईमारत भी बहुत दिलकश लगती हैं। इसकी सुंदरता और भव्यता आपका मन मोह लेगी । जब भी जामनगर जाए तो लाखोटा पैलेस मयुजियिम देखने जरूर जाना।
5. पोलो फोरेस्ट गुजरात
गुजरात के उत्तर पूर्व में राजस्थान बार्डर के पास साबरकांठा जिले में पोलो फोरेस्ट एक अद्भुत जगह है| पोलो फोरेस्ट कुल 400 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है| पोलो फोरेस्ट में आप घने जंगल, नदी, डैम और ईतिहासिक मंदिरों को देख सकते हो| मुझे भी 1 अकतूबर 2022 को पोलो फोरेस्ट की यात्रा करने का मौका मिला| अक्सर मेरी गुजरात की यात्राएँ राजकोट से शुरू होती है | इस बार भी पोलो फोरेस्ट की यात्रा राजकोट से ही शुरू हुई | 30 सितम्बर 2022 को मैं रात को 10 बजे गुजरात रोडवेज की बस से अगले दिन सुबह 1 अकतूबर 2022 को उत्तर पूर्व गुजरात के शहर हिम्मत नगर पहुँच गया| हिम्मत नगर गुजरात के साबरकांठा जिले का मुख्यालय है | पोलो फोरेस्ट के सबसे करीबी शहर भी है | हिम्मत नगर में ही उत्तर गुजरात बिजली विभाग में मेरा प्रिय मित्र तेजस मोदी आफिसर लगा हुआ है| तेजस भाई से मेरी पहले बात हो गई थी पोलो फोरेस्ट जाने के लिए| मैं सुबह हिम्मत नगर पहुँच कर तैयार होकर तेजस भाई के आफिस में पहुँच गया| कुछ देर बातचीत करके मैं और तेजस भाई गाड़ी लेकर पोलो फोरेस्ट घूमने के लिए निकल गए| हिम्मत नगर से ईडर होते हुए दोपहर को एक होटल में लंच करके हम विजयनगर की तरफ रवाना हो गए| हिम्मत नगर से पोलो फोरेस्ट की दूरी 70 किमी के आसपास है| तेजस भाई बिजली विभाग में आफिसर है और हम विजयनगर पहुँच कर वहाँ के सब सटेशन बिजली घर को चैक करने के लिए पहुँच गए| वहाँ के अधिकारियों ने हमारा सवागत किया चाय पानी पीकर कुछ समय वहाँ बिता कर हम विजयनगर से पोलो फोरेस्ट की ओर बढ़ने लगे | विजयनगर से पोलो फोरेस्ट जाते समय एक बैरीयर को पार करते हुए हम पोलो फोरेस्ट में प्रवेश कर गए|
पोलो शब्द का अर्थ होता है द्वार ( गेट) | पोलो फोरेस्ट में अंदर जाने के बाद ही हवा का रुख बदल गया| दोपहर की गर्मी में ठंडी हवाओं ने हमारा सवागत किया| सड़क के दोनों तरफ छांवदार बड़े बड़े पेड़ लगे हुए थे| शहरों की भीड़भाड़ से दूर सकून वाली फीलिंग आ रही थी | जंगल में बिलकुल शांति थी| सड़क भी खाली थी | एक जगह पर पोलो फोरेस्ट का लिखा हुआ बोर्ड दिखाई दिया| हमने जंगल के बीच सड़क में गाड़ी रोककर जंगल में उतर कर कुदरत के खूबसूरत नजारों का आनंद लिया| सड़क से थोड़ा हटकर घने जंगल को फील किया| फिर पोलो फोरेस्ट के बोर्ड के सामने कुछ फोटोग्राफी की और दुबारा गाड़ी में बैठ कर आगे बढ़ गए| इसके बाद हम मेन रोड से एक छोटी सी सड़क की तरफ मुड़ गए| तेजस भाई अक्सर पोलो फोरेस्ट घूमने के लिए आते जाते रहते हैं इसलिए उन्हें इन रास्तों की अच्छी जानकारी है| थोड़ा आगे चलने के बाद फिर एक बैरीयर को पार करते हुए हम हरनव नदी के ऊपर बने हरनव डैम पर पहुँच गए| घने जंगल के बीच हरे भरे पहाड़ों से घिरा यह क्षेत्र बहुत खूबसूरत लग रहा था| थोड़ी दूर हरे भरे पहाड़ दिखाई दे रहे थे और सामने हरनव नदी के ऊपर बने डैम की वजह से बनी हुई खूबसूरत झील मन मोह रही थी| दोपहर का समय, बिलकुल शांत और कुदरत की गोद में ऐसा लग रहा था जैसे भागदौड़ वाली जिंदगी कुछ पल के लिए इस जगह पर आराम कर रही हैं| इस जगह पर कुछ समय तक रुके| कुदरत के खूबसूरत नजारों का आनंद लिया कुछ तस्वीरें खींची | फिर हम पोलो फोरेस्ट के बीच में बनी पोलो नामक जगह पर पहुँच गए| इस जगह पर थोड़ी चहल पहल दिखाई दी | कुछ दुकानों के साथ ठेले लगे हुए थे मैगी और सनैकस खाने के लिए| यहाँ पर पोलो फोरेस्ट में फोरेस्ट रैसट हाऊस भी बना हुआ है| यहाँ सामने नदी जंगल के बीच खूबसूरत दृश्य पेश करती है| इसी नदी को पार करने के बाद जंगल के बीच चलने के बाद एक शानदार मंदिर बना हुआ है| हम भी वहाँ जाना चाहते थे लेकिन पिछले साल दो साल से उस मंदिर में मुरम्मत का काम चल रहा है| जिस वजह से मंदिर बंद है और आप वहाँ नहीं जा सकते| पोलो फोरेस्ट में दो तीन पुराने मंदिर बने हुए हैं| इसके आगे हम थोड़ी दूर शिव शक्ति मंदिर को देखने के लिए पहुँच जाते हैं| इस मंदिर की भी मुरम्मत हो रही है लेकिन घने जंगल के बीच बने इस मंदिर की मूर्ति कला आपको मंत्रमुग्ध कर देगी| मैंने इन खूबसूरत मूर्ति कला को अपने मोबाइल के कैमरे में कैद कर लिया| फिर हम पोलो फोरेस्ट में आभापुर गाँव के पास बने हुए ईतिहासिक शरणेश्वर मंदिर पहुँच जाते हैं| यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है| यह भवय मंदिर है | हमने इस मंदिर के दर्शन किए| ऐसा कहा जाता है इन मंदिरों को ईदर के राजाओं ने बनाया और विजयनगर को अपनी राजधानी बनाया| मुगलों ने इन ईतिहासिक मंदिरों को काफी नुकसान पहुंचाया| सरकार अभी इन पुरातन धरोहरों को संभालने का काम कर रही है| इस जगह को देखकर हम पोलो फोरेस्ट से बाहर निकल कर दुबारा मेन रोड़ पर चढ़ते हुए हिम्मत नगर की तरफ बढ़ गए|
कैसे पहुँचे- पोलो फोरेस्ट जाने के लिए आपको अहमदाबाद आना होगा जो यहाँ से 170 किलोमीटर दूर है, जिला मुख्यालय हिम्मत नगर पोलो फोरेस्ट से 70 किमी दूर है| यहाँ रहने के लिए बहुत कम सुविधाएं हैं हालांकि अब पोलो फोरेस्ट के आसपास कुछ होटलों का निर्माण हो रहा है| घूमने के लिए भी आपको यहाँ अपने साधन पर आना होगा| अगर आप शहरों की भीड़भाड़ से घने जंगल में यात्रा करने चाहते हो तो पोलो फोरेस्ट एक अच्छा विकल्प है|
6. हडप्पा सभ्यता का महांनगर धोलावीरा
धोलावीरा मयूजियिम को देखने के बाद मैं कुछ ही दूरी तक पैदल चल हडप्पा सभ्यता सथल तक पहुंच गया । जहां हडप्पा सभ्यता के पुराने महांनगर धोलावीरा के अवशेष आज भी मिलते
धोलावीरा हडप्पा सथल 100 ऐकड़ में फैला हुआ हैं जो दो मानसूनी धाराओं मानसर ( उत्तर दिशा ) और मनहार(दक्षिण दिशा) के बीच में बसा था । यह दो मानसूनी नदियां धोलावीरा को पानी की सप्लाई करती थी । उस समय के राजा ने इन नदियों के पानी को इकट्ठा करने के लिए शहर की बाहरी सीमा के साथ तालाब बनवाए जो इन नदियों के पानी से भरे जाते थे जिससे धोलावीरा को पानी की सप्लाई होती थी। धोलावीरा में बारिश बहुत कम होती हैं अब भी और उस समय में भी इसीलिए पानी को इकट्ठा किया जाता था। आज भी जब आप धोलावीरा हडप्पा सथल देखने आते हो तो आपको खुले विशाल गहरे गढ्ढे दिखाई देगें जो तालाब थे। इसके ईलावा धोलावीरा शहर को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता हैं ।
1. अपर भाग
2. मिडल भाग
3. लोअर भाग
अपर भाग सबसे ऊंचा और महत्वपूर्ण जगह थी धोलावीरा शहर की जहां पत्थर से बना हुआ एक मजबूत किला हुआ करता था। इसी किले में राजा महाराजा रहा करते थे।
मिडल भाग में आपको खुला मैदान मिलेगा जहां राजकीय कार्यक्रम हुआ करते थे। इसी भाग में बाजार और सटेडियम था और साथ में गलियों का नैटवर्क भी देखने को मिलेगा ।
लोयर भाग में आम लोग रहते थे जो काम करते थे। धोलावीरा में आपको जल संरक्षण करने का शानदार नमूना देखने को मिलेगा । जिंदगी जल के ऊपर ही आधारित हैं । हाईड्रो इंजीनियरिंग की बेमिसाल उदाहरण है धोलावीरा जहां मानसूनी नदियों का पानी इकट्ठा करके शहर में सपलाई किया जाता था।
मैंने भी बड़े आराम से एक तरफ से शुरू होकर पहले तालाब देखे , फिर धीरे धीरे टीले के ऊपर चढ़कर धोलावीरा शहर के अवशेष देखे। पत्थर और ईटों से बनी हुई 4500 साल पुरानी गलियों के नैटवर्क को देखा । लगभग एक घंटा हडप्पा सभ्यता की विरासत को देखकर मैं बाहर आ गया। धोलावीरा को इसी साल यूनैसको वल्र्ड हैरीटेज साईट में शामिल कर लिया गया है। आशा करता हूँ इस कदम से धोलावीरा का नाम और चमकेगा टूरिस्ट मैप पर । अगर आप को ईतिहास और विरासत पसंद हैं तो आपको धोलावीरा की यात्रा जरूर करनी चाहिए।
7. लिटल रण आफ कच्छ
दोस्तों जिंजूवाडा नाम के गाँव में पहुँच कर हम लिटल रण आफ कच्छ की सवारी के लिए निकल पड़े। सबसे पहले जिंजूवाड़ा गांव में एक ईतिहासिक दरवाजे को देखा जिसको गुजरात के सोलंकी वंश के राजाओं ने बनाया हैं। यह दरवाजा देखने में बहुत खूबसूरत है और बहुत लाजवाब मीनाकारी की गई हैं। फिर हम थोड़ी देर बाद लिटल रण आफ कच्छ मे प्रवेश कर गए। मैरून रंग की उपन गाड़ी में बैठ कर मै अपने गाईड के साथ लिटल रण आफ कच्छ की सफारी का मजा ले रहा था। रण में प्रवेश करते ही उबड़ खाबड़ जमीन दिखाई देने लगी। गाईड ने बताया लिटल रण आफ कच्छ में 5000 से जयादा गुड़खर ( जंगली गधे) पाए जाते है, यह घोड़े और गधे के बीच का एक प्राणी हैं। गुड़खर 70 किमी की रफ्तार से दौड़ते हैं। यह रण में पाई जाने वाली नमकीन झाड़ियों को खाते है। मुझे भी दूर से घूमते हुए गुड़खर दिखाई दिए। इसके ईलावा रण में बहुत सारे पंछी भी मिलते हैं । गुड़खर देखने के बाद हम रण में और आगे बढ़ गए। अब हर तरफ सन्नाटा था , उज़ाड जमीन न कोई पानी का निशान, न कोई बनस्पति सिर्फ टूटी हुई जमीन दिखाई दे रही थी। सनसैट होने वाला था मैंने गाड़ी रुकवा कर कुछ समय तक लिटल रण आफ कच्छ में डूबते हुए सूरज का नजारा लिया । कुछ कदम चल कर कुदरत की बनाई हुई इस अद्भुत जगह का आनंद लिया। यहां न कोई शोर था , न रौला , बस दूर दूर तक फैला हुआ सन्नाटा था, जो इस वातावरण को बहुत रोमांचक बना रहा था। लिटल रण आफ कच्छ तकरीबन 5000 किमी क्षेत्र में गुजरात के कच्छ, मोरबी, सुरेंद्र नगर , पाटन आदि जिलों में फैला हुआ है। मैंने यह सफारी 850 रुपये में शाम चार बजे से साढे़ सात तक की वह भी अकेले ही उपन गाड़ी मे गाईड के साथ।
8.गुजरात की आखों का तारा सापूतारा
गुजरात के डांग जिले में 1000 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ सापूतारा गुजरात का एकमात्र हिल स्टेशन है| गुजरात टूरिज्म इसको " गुजरात की आखों का तारा सापूतारा " कह कर बुलाता है|चाहे सापूतारा की ऊंचाई 1000 मीटर के आसपास है फिर भी यहाँ का मौसम हर समय सुहावना रहता है| सापूतारा में आप झील के साथ हरी भरी पहाड़ियों के साथ खूबसूरत वियू पुवाईंट देख सकते हो| सापूतारा गुजरात के डांग जिले में महाराष्ट्र के बार्डर के पास है| सापूतारा गुजरात में है और इससे कुछ किलोमीटर बाद महाराष्ट्र शुरू हो जाता है| डांग जिले की कुल 2 लोग आबादी में 94 प्रतिशत लोग अलग अलग कबीलों से संबंधित है| सापूतारा का अर्थ सापों का घर | यहाँ के लोग सापों की पूजा भी करते हैं| सर्पगंगा नदी इस क्षेत्र में बहती है| सापूतारा के जंगलों और पहाड़ो में बहुत प्रजातियों के साप पाए जाते हैं| सापूतारा में महाराष्ट्र के पंचगनी की तरह टेबल लैंड भी है | सापूतारा में ईको पुवाईंट, सनराइज़ पुवाईंट और सनसैट पुवाईंट भी है| इसके अलावा आप मछली घर, टराईबल संग्रहालय और रोपवे का आनंद भी ले सकते हो सापूतारा में| मानसून में सापूतारा बहुत खूबसूरत लगता है| यहाँ रहने के लिए आपको गुजरात टूरिज्म के होटल के साथ और भी बहुत सारे होटल मिल जाऐगे| गुजरात टूरिज्म सापूतारा में मानसून फैसटीवल का भी आयोजन करवाता है| गुजरात में मेरी अधिकतरयात्राएँ हर बार की तरह राजकोट से शुरू होती है | गुजरात रोडवेज की एक बस हर रोज रात को गोंडल से नाशिक तक जाती है| इस बस को मैंने राजकोट से बुक कर लिया था | रात को यह बस चली और वडोदरा, सूरत होती हुई यह बस सुबह सापूतारा पहुँच गई| जब मैं सापूतारा में पहुंचा तो बहुत तेज़ बारिश हो रही थी | मैंने बस स्टैंड के पास ही एक होटल में कमरा लिया और तैयार होकर बाईक किराए पर लेकर सापूतारा घूमने के लिए निकल पड़ा |
सापूतारा झील - सापूतारा में घूमने के लिए यह झील सबसे महत्वपूर्ण टूरिस्ट सपाट है| इस झील के पास एक छोटे से बाजार में ही बाईक किराए पर मिलती है जहाँ से मैंने बाईक ली थी किराए पर| फिर मैं सापूतारा झील का आनंद लेने के लिए चल पड़ा| आसपास की हरी भरी पहाड़ियों के बीच यह झील बहुत खूबसूरत दृश्य पेश करती है| यह झील 70 फीट गहरी है| इस झील में पैडल बोट से भी बोटिंग कर सकते हो| मैंने भी इस झील में बोटिंग का आनंद लिया| झील देखने के बाद में अगली मंजिल की तरफ बढ़ गया|
मछली घर - सापूतारा में एक खूबसूरत मछली घर बना हुआ है| इस मछली घर में अलग अलग प्रजातियों की मछलियों को शीशे के फ्रेम में रखा गया है| मैंने भी इस मछली घर को देखा और कुछ तस्वीरें भी खींच ली मछलियों की | इसके साथ ही टराईबल संग्रहालय की बिलडिंग थी लेकिन यह संग्रहालय उस दिन बंद इसलिए मैं उसको देख नहीं सका |
सनराइज़ पुवाईंट - फिर मैं अपनी बाईक लेकर सापूतारा से थोड़ा बाहर सनराइज़ पुवाईंट की तरफ चल पड़ा | कुछ देर बाद मैं सनराइज़ पुवाईंट पहुँच गया| कुछ सीढ़ियों को चढ़कर मैं पुवाईंट पर आ गया| यहाँ से सापूतारा का दिलकश दृश्य दिखाई देता है| हरे भरे पहाड़ और दूर दिखाई देते खेत मंत्रमुग्ध कर रहे थे| काफी समय में कुदरत की गोद में बैठ कर इन खूबसूरत पलों का आनंद लेता रहा |
सापूतारा टेबल लैंड- फिर मैं सापूतारा के टेबल लैंड को देखने गया| उंची पहाड़ियों के बीच एक समतल मैदान को टैबल लैंड कहते हैं| इस जगह पर काफी रौनक थी | दोपहर का लंच भी मैंने इस जगह पर किया| यहाँ से सापूतारा झील का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है| मैंने यहाँ साई कलिंग भी की | आप यहाँ ऊंठ सवारी और घोड़ सवारी का आनंद भी ले सकते हो| इस जगह से मैंने दूर दिखाई देता महाराष्ट्र का ईलाका भी देखा |
सनसैट पुवाईंट - मैं जब सनसैट पुवाईंट जा रहा था तो रास्ते में ही बारिश शुरू हो गई| बारिश में सनसैट का तो कोई चांस नहीं था | रास्ते में एक जगह पर मैं काफी देर तक रुका रहा जब तक बारिश नहीं रुकी | बारिश रुकने के बाद मैं आगे बढ़ा और सनसैट पुवाईंट पहुँच गया| सूर्य की जगह बादलों ने मेरा सवागत किया| उड़ते हुए बादल बहुत खूबसूरत लग रहे थे| मैं सनसैट पुवाईंट पर बादलों की पहाड़ियों पर हो रही अठखेलियों को देखता रहा| इसके बाद में वापस सापूतारा अपने होटल में आ गया|
कैसे पहुंचे- सापूतारा आप नाशिक या सूरत से बस या कैब करके पहुँच सकते हो| नजदीकी रेलवे स्टेशन नाशिक और सूरत है | यहाँ रहने के लिए आपको हर बजट के होटल मिल जाऐगे|
9. भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका
द्वारका का नाम हिन्दू धर्म के चार धामों में और सप्त पुरियों में आता है| द्वारका में भगवान कृष्ण ने राज किया है| भारत के अलग अलग कोने से श्रदालु द्वारका आते हैं| द्वारकाधीश मंदिर द्वारका का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है जिसे जगत मंदिर भी कहा जाता है| यह मंदिर तकरीबन 2500 साल पुराना है| द्वारका के 30 किमी दूर समुद्र में एक छोटे से टापू को बेट द्वारका कहा जाता है| ऐसा कहा जाता है बेट द्वारका में भगवान कृष्ण रहा करते थे| इसके साथ आप नागेश्वर मंदिर, गोपी तालाब, रुकमणी मंदिर आदि के दर्शन भी कर सकते हो| द्वारका के साथ शिवराजपुर बीच पर जाना मत भूलना | यह बीच गुजरात की सबसे खूबसूरत बीच में एक है|
10. स्टैच्यू आफ यूनिटी
गुजरात में नर्मदा नदी के किनारे सरदार सरोवर डैम के पास दुनिया के सबसे ऊंचे स्टैचू का निर्माण किया गया| इसका उदघाटन 31 अकतूबर 2018 को किया गया है| इसकी ऊंचाई 182 मीटर है ( 600 फीट)
इसको सरदार पटेल को समर्पित किया गया है| आप अपनी गुजरात यात्रा में इस जगह पर जरुर जाना|