![Photo of गोवा में ट्रेकिंग : किंग कोबरा के इलाके में घुसपैठ 1/6 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1235940/TripDocument/1546857616_kb.jpg)
जब भी गोवा की बात चलती है तो दिमाग़ में बस तीन ही चीज़ें आती हैं - प्यारे समुद्रतट, लंबी बाइक राइड्स, और रोमांचक खेल | बहुत ही कम लोग जानते हैं कि गोवा में कुछ बेहद सुंदर और मनमोहक ट्रेकिंग करने की जगहें भी हैं |
![Photo of गोवा में ट्रेकिंग : किंग कोबरा के इलाके में घुसपैठ 2/6 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1235940/TripDocument/1546932201_td.jpg)
![Photo of गोवा में ट्रेकिंग : किंग कोबरा के इलाके में घुसपैठ 3/6 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1235940/TripDocument/1546932210_tdd.jpg)
![Photo of गोवा में ट्रेकिंग : किंग कोबरा के इलाके में घुसपैठ 4/6 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1235940/TripDocument/1546932216_tddd.jpg)
सहयाद्री पर्वत शृंखला भले ही हिमालय जितनी ऊँची ना हो पर जब बात प्राचीन सुंदरता, हरे घने जंगलों और विविध वनस्पतियों और जीवों की हो रही हो तो सहयाद्री भी अपने यहाँ आने वाले यात्रियों को हैरान कर देती हैं | अकेले घूमने वाले यात्रियों और सोलो बैकपैकर्स को मैं सहयाद्री पर्वतों पर घूमने की सलाह देना चाहता हूँ, क्योंकी इन पर्वत शृंखलाओं के बारे में इतना कुछ लिखे जाने के बावजूद भी आप को यहाँ भीड़-भाड़ नहीं मिलेगी | इसका कारण यह है कि यहाँ के ट्रेकिंग रूट कमज़ोर दिल वालों और रिज़ोर्ट में रहना पसंद करने वालों के लिए नहीं है |
यहाँ पर पहले ही दिन मुझे बता दिया गया था कि गोवा में साँपों की 50 से भी अधिक प्रजातियाँ रहती हैं जिनमें से सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध है शक्तिशाली किंग कोबरा | शुक्र है कि भगवान महावीर अभयारण्य (सैंक्चुरी) में ट्रेकिंग करते समय मेरा एक भी किंग कोबरा से सामना नहीं हुआ | हालाँकि मैने एक बार पाइप के एक लंबे काले-से टुकड़े को किंग कोबरा साँप समझने की ग़लती कर दी थी और साथी ट्रेकर्स में खलबली मचा दी थी |
![Photo of गोवा में ट्रेकिंग : किंग कोबरा के इलाके में घुसपैठ 5/6 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1235940/TripDocument/1546932265_c1.jpg)
![Photo of गोवा में ट्रेकिंग : किंग कोबरा के इलाके में घुसपैठ 6/6 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1235940/TripDocument/1546932301_c2.jpg)
पहला दिन
भगवान महावीर अभयारण्य और मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान
भगवान महावीर अभयारण्य मे होने वाला 4 दिन का मशहूर ट्रेक कुल्लेम स्टेशन से शुरू होता है | यह सुप्रसिद्ध रेलवे लाइन ट्रेक का आधार बिंदु भी है जो दूध सागर फॉल्स तक जाता है | दुख की बात है कि कुछ असामाजिक तत्वों की वजह से गोवा पर्यटन ने इस ट्रेक पर प्रतिबंध लगा दिया है | आप अभी भी जंगलों से मानसून ट्रेक कर सकते हैं और 5 घंटे में दूधसागर पहुंच सकते हैं। बस तेज प्रवाह से बहती नदियों को पतली पतली रस्सियों के सहारे पार करने के लिए तैयार रहें | नदी का बहाव इतना तेज़ है कि पार करते समय आप को लगेगा जैसे नदी की धार आप को अपनी तरफ खींच रही है | जाहिर है कि ऐसे में दुर्घटनाएँ होती ही रहती हैं और हमारे साथ वाले गाइड ने बताया कि यहाँ पर्यटकों की मौत की दर लगभग एक प्रतिशत के करीब है; वो पर्यटक जो बहादुरी का दिखावा करते हुए नदी पार करते समय बीच में ही स्टंट करने लगते हैं |
दूसरा दिन
असली ट्रेक तब तक शुरू नहीं होता जब तक आप दूधसागर फॉल्स नही पहुँच जाते | ये झरना जो आम तौर पर मोटी पानी की धार के रूप में बहता रहता है वह सैलानियों के सीज़न में अपने नाम के अनुरूप ही भयंकर रूप से बहने लगता है | इस झरने का बहाव सभी सीमाओं को लाँघता हुआ इस पुरे इलाक़े को बाढ़ से भर देता है | ट्रेक के आख़िरी के 15 मिनट पूरे करना बहुत ही डरावना अनुभव था | मुझसे एक स्टील की पतली मगर मज़बूत रस्सी पकड़ कर झरने के उस पार जाने को कहा गया | डर के मारे मेरी हालत खराब थी और मैंने लगभग मना कर ही दिया था | सोचिए अगर मैंने डर के मारे मना कर दिया होता तो मुझे ऐसे अलौकिक नज़ारे को देखने का सुख नहीं मिल पाता |
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![Photo of गोवा में ट्रेकिंग : किंग कोबरा के इलाके में घुसपैठ by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1414073/SpotDocument/1551442459_1551440881_1546932519_dsss.jpg.webp)
दूधसागर फॉल्स से आगे गोवा कर्नाटक सीमा की ओर जाने वाले ट्रेक पर चलने की अनुमति मानसून के मौसम में नही दी जाती | तो ऐसे में या तो आप मानसून में इस भयंकर रूप से बहते झरने का ही आनंद ले सकते हैं या सर्दियों में आगे आने वाले सुंदर जंगलों का | दूधसागर ट्रेक का पहला दिन समाप्त होने के बाद आपको रेलवे ट्रैक तक पहुँचने के लिए एक छोटी सी चढ़ाई करनी होगी और दूधसागर फॉल्स के ऊपर की ओर चलना होगा। मानसून के बाद, दूधसागर फॉल्स का बहाव उतना तेज नहीं रहता, इसलिए रेलवे स्टेशन पर खड़े होकर आस पास के नजारे को मानों किसी पक्षी की नजर से देखने का मज़ा उठा सकते हैं |
![Photo of गोवा में ट्रेकिंग : किंग कोबरा के इलाके में घुसपैठ by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1414073/SpotDocument/1551441666_1546932561_rt.jpg.webp)
![Photo of गोवा में ट्रेकिंग : किंग कोबरा के इलाके में घुसपैठ by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1414073/SpotDocument/1551441667_1546932567_rtt.jpg.webp)
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कोंकण रेलवे का रूट बहुत सारी सुरंगों से भरा है | कुल्लेम और दूधसागर के बीच आप करीब 20 सुरंगों को पार करते हैं | हमारा अगला पड़ाव था कुवेशी गाँव जो सहयाद्री पर्वतों के ऊपर स्थित था | एक ऊँची चढ़ाई चढ़ने के बाद हम ऐसी जगह पहुँच गये जहाँ से चारों तरफ का नज़ारा देखते ही बन रहा था | ये इस बात का भी संकेत था कि अब हम किंग कोबरा के क्षेत्र में पहुँच चुके थे | अफवाहों के अनुसार यहाँ बाघ भी देखे जा चुके हैं | हमसे पहले जाने वाला ट्रेकिंग समूह बता रहा था कि उन्होंने रास्ते में बाघ के पंजों के निशान देखे हैं |
![Photo of गोवा में ट्रेकिंग : किंग कोबरा के इलाके में घुसपैठ by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1414073/SpotDocument/1551441667_1546932651_tp.jpg.webp)
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इस इलाक़े में ट्रेकिंग करने का भी अपना ही एक अलग मज़ा है | यहाँ का पानी बड़ा ही ताज़ा और मीठा है | हमने कुछ देर लगाकर आराम से यहाँ का पानी पिया और हमें अपने आप में एक अलग ही शक्ति का संचार होता हुआ महसूस हुआ | सहयाद्री पर्वतों के अंदरूनी हिस्सों को दुर्लभ जीवों, पक्षियों और सुनहरी घास के कारण जाना जाता है ( बाघ इस घास को छुपने के लिए छलावे के रूप में इस्तेमाल करते हैं)। यदि आप प्रकृति का आनंद लेने वाले व्यक्ति हैं और हरियाली के शौकीन हैं तो यह ट्रेक आपके लिए एकदम बेहतरीन है |
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तीसरा दिन
कुवेशी
कुवेशी में एक दयालु परिवार ने मेरे और मेरे दोस्तों की अपने साथ रहने की व्यवस्था की थी | वो ना हमारी भाषा समझते थे ना हम उनकी | उन्होंने हमारे लिए स्थानीय स्वाद वाली चिकन करी बनाई थी जिसमें उन्होंने सारे स्थानीय रूप से पाए जाने वाले मसाले डाले थे | ऐसे सरल स्वाभाव वाले व्यक्तियों से मिलना भी अपने आप में सौभाग्य से कम नहीं था | स्थानीय जीव जंतुओं और वनस्पतियों के बारे में कुवेशी गाँव के लोग बहुत कुछ जानते हैं | ये लोग साँप की बांबियों के बारे में जानते हैं, स्थानीय उगने वाले फूल और पक्षियों के बारे में भी समझते हैं और आपको इनके उगने व दिखने के समय और अवधि की सही जानकारी भी दे सकते हैं | ये लोग प्रकृति के कामों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और कुदरत के साथ सामंजस्य बना कर चलते हैं |
चौथा दिन
पाँचवाँ दिन
ताम्बड़ी सुरला महादेव मंदिर
ये ट्रेक गोवा के भीतरी हिस्सों से होकर निकलता है और कर्नाटक के ताम्बड़ी सुरला में जा कर समाप्त होता है | आप देखेंगे कि जैसे-जैसे आप गोवा से दूर होते हैं और कर्नाटक के करीब आते हैं तो जीवनशैली में भी बदलाव आता है | बोली और भाषा में बदलाव आ जाता है, खानपान के साथ ही स्थानीय लोगों की वेशभूषा में भी बदलाव देखने को मिलता है |
![Photo of गोवा में ट्रेकिंग : किंग कोबरा के इलाके में घुसपैठ by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/1414073/SpotDocument/1551441668_1546932793_t.jpg.webp)
गोवा में ट्रेकिंग करना भी आने आप में एक विचित्र ही अनुभव है जो आप को बहुत-सी आश्चर्यजनक चीज़ों के दर्शन करवाता है | अगली बार जब आप गोवा जाएँ तो समुद्रतट की बजाय अपने दोस्तों के साथ ट्रेकिंग करने ज़रूर जाएँ | आपको शायद ही इससे ज़्यादा यादगार अनुभव कहीं मिले |
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