धर्मशाला , परम पावन दलाई लामा की निवास भूमि है जिसे 'देवताओं की भूमि' माना जाता है। धर्मशाला एक बेहद ही खूबसूरत शहर है | यहां आप कलकल बहती नदी और बर्फ से ढकी पहाड़ो की चोटियों को बखूबी निहार सकते हो।
धर्मशाला और मैक्लोडगंज में सिर्फ यही दो अच्छी जगह नहीं हैं घूमने के लिए अगर आप एक अद्भुत ट्रेक के लिए तैयार हैं जो अभी तक ज्यादा लोगों को अच्छी तरह से ज्ञात नहीं है तो करेरी झील ट्रेक आपके लिए है। हालांकि यह धर्मशाला के स्थानीय लोगों के बीच एक आम नाम है, जो करेरी गांव में अक्सर आते हैं, लेकिन कुदरत के साथ यह खूबसूरत यात्रा अब तक अधिकांश पर्यटकों की तीखी नजरों से बचने में कामयाब रही है।
करेरी झील
धर्मशाला में ट्रैकिंग करने के लिए करेरी झील का ट्रैक बेहद खूबसूरत है व कुदरत प्रेमी पर्यटकों की यह पहली पसंद भी रहता है। यह धर्मशाला शहर के पास सबसे अच्छा छोटा ट्रैकिंग रूट भी है। करेरी झील 3100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यह एक ताजे पानी की झील है। धौलाधार के पहाड़ों से बर्फ पिघलने से झील पानी से भरी रहती है। करेरी झील धौलाधर पर्वत क्षेत्र में एक ट्रैकिंग स्थान होने के लिए सबसे अच्छी तरह से जाना जाता है।
करेरी झील का ट्रेक जितना आप सोच सकते हैं उससे कहीं अधिक शानदार है, यह थोड़ा कठिन ट्रेक है, यह करेरी गांव के माध्यम से देवदार के जंगल से होकर जाता है। एक खूबसूरत बहती नदिया के साथ चलता यह ट्रैक बहुत ही शानदार है |
करेरी ट्रैक करने के लिए धर्मशाला कैसे पहुंचे
इसको करने के लिए सबसे पहले आपको धर्मशाला पहुंचना होगा , वहां से आप टैक्सी लेकर करेरी गांव आ सकते हो |
करेरी झील आमतौर पर नवंबर के अंत से मार्च तक जम जाती है, भारी मानसून के अलावा आप साल के किसी भी समय करेरी झील की यात्रा कर सकते हैं। करेरी गांव धर्मशाला से लगभग 27 कि.मी. दूर है, और धर्मशाला, बीर, पालमपुर और आसपास के अन्य प्रमुख केंद्रों से टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। धर्मशाला से करेरी पहुंचने में लगभग 1.5 घंटे लगते हैं।
करेरी ट्रैक की खूबसूरती
अपने आप में ही प्राकृतिक सुंदरता को समेटे यह झील जितनी सुंदर है उतना ही मजेदार इस झील तक पहुंचने के लिए ट्रैक भी है। कहने को तो सफर काफी लंबा है, लेकिन ठंडी हवाओं के बीच गुजरते हुए और करेरी झील का नजारा देखने के बाद पूरी थकान मानो गायब हो जाती है। धर्मशाला से 30 किलोमीटर की दूरी पर करेरी झील जिसे कुमारवा झील भी कहा जाता है, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के धौलाधर पहाड़ों की सीमा के दक्षिण में यह झील है।
हमने यह ट्र्रैक अप्रैल के महीने में किया था , इस समय मौसम बहुत अच्छा था , करेरी झील पूरी जमी हुई थी |
करेरी ट्रैक कहां से शुरू करें
धर्मशाला से एक बार जब आप नोली ब्रिज को पार कर लेते हैं, तो ट्रेक शुरू हो जाता है, जहाँ से आप करेरी लेक ट्रेक के लिए पहला कैंपसाइट जो की रिओटी ब्रिज है तक आधे रास्ते पर पहुँच जाते हैं। रिओटी अधिक कठिन मिनक्यानी दर्रे का शिविर स्थल है। करेरी झील 2950 मीटर की ऊंचाई पर एक मीठे पानी की झील है, और कुदरत प्रेमिओं के लिए एक आकर्षक और एक आदर्श स्थान है। इस झील से आप धौलाधार, इंद्रहारा दर्रा, मुन पीक के खुबसूरत दृश्य देख सकते हैं।
इस ट्रेक के लिए एक खूबसूरत नदी के किनारे चलना पड़ता है जो करेरी झील से निकलती है, रास्ते में चलने के लिए पत्थर की बड़ी-बड़ी सीढ़ियां बनाई गई हैं।
यदि आप मध्यम रूप से फिट हैं तो दूरी तय करने में लगभग 7 घंटे लगते हैं। रिओटी वह जगह है जहां आप ट्रेक के पहले दिन डेरा डालेंगे। रिओटी से करेरी की यात्रा लगभग 4.5 किमी है और इसे लगभग 3-4 घंटे में पूरा किया जा सकता है। करेरी झील में ठहरने के लिए पास में टेंट उपलब्ध हैं, वहां के छोटे कैफे से टेंट, स्लीपिंग बैग आदि ले सकते हैं और झील के किनारे अपना टैंट लगा सकते हैं।
यहां पे आपको 800 से 1000 में रात के लिए टैंट मिल जाता है जिसमे रात का खाना भी शामिल होता है, हाँ लेकिन यहां आप किसी खास पकवानों की उम्मीद न रखें इतने ऊँचे स्थान पर आपको यहाँ बस दाल चावल ही मिलेंगे |
पूरे ट्रेक में आप आसानी से भोजन और कैम्पिंग उपकरण पा सकते हैं |
हमारे पास खुद के टैंट और स्लीपिंग बैग थे इस लिए हमने यहां पे अपने टैंट लगाए |
आखरी शब्द
अगर आप कुदरत के बनाये शानदार पहाड़ों , झीलों और वादिओं से भरपूर इस ट्रैक को करना चाहते हैं और इसके बारे में कुछ और जानकारी चाहते हैं तो इस ट्रैक का वीडियो आप मेरे चैनल Ranjit Sekhon Vlogs पे देख सकते हैं |