मेरा नाम निशांत है और मैं एक वेबसाइट फिल्मी कीड़े चलता हूँ, जिसकी वजह से मैं कहीं से भी अपना काम कर पता हूँ, पिछले साल मैंने आल इंडिया बाइक ट्रिप की, अपनी यात्रा में जब मैं रामेश्वरम पहुँचा तो मुझे पता था की मुझे कहाँ कहाँ जाना है, इससे पहले 2014 में मैं पहले रामेश्वरम अकेले आ चुका था तो मुझे यहाँ का चप्पा चप्पा पता था, रामेश्वरम पहुँचने के बाद मैंने अगले दिन धनुषकोडी जाना था, धनुषकोडी भारत का आखिरी छोर है जहाँ से आगे कुछ 20 कि.मी. दूर श्रीलंका शुरू हो जाता है, तो धनुषकोडी तक पहले कोई सड़क नहीं थी केवल भारी 4 बी 4 वाले वाहन उधर जा सकते थे, पर अभी आखिरी छोर तक सड़क बन चुकी है।
सुबह के 4 बजे थे, मैं अपने होटल से निकला, 20 कि.मी. का रास्ता था तो आराम से एक चाय पी मंदिर सुबह सुबह खुल जाता है तो थोड़ी चहल पहल थी और एक दो दुकाने भी खुली हुई थी, चाय वगेरा की, चाय पी और धनुषकोडी की तरफ बढ़ चला!
5 कि.मी. के बाद एक दम सूनसान रास्ता शुरू हो गया, हालाँकि बस 20 कि.मी. है धनुषकोडी रामेश्वरम से पर सुबह के लगभग 4:30 पर वह इतना सन्नाटा था जैसे कुछ गड़बड़ है यहाँ, तभी अचानक मेरी मोटरसाइकिल की हेडलाइट्स ने जवाब दे दिया, और फोग लैम्प्स भी बंद हो गए, अब मुझे लग रहा था की यहाँ क्यों अँधेरे में नहीं जाते पर मैं आगे बढ़ता रहा, इंडिकेटर चालू किया जिससे थोड़ा रास्ता मुझे दिखने लगा, अंधेरा इतना घना था की अगर एक माचिस भी जल जाए तो काफी रौशनी हो जाए, इंडिकेटर बार बार जल बुझ रहा था तो मुझे एक तरकीब सूझी और मैंने अपनी मोबाइल की फ़्लैश लाइट जला के मोटरसाइकिल पर लगा दिया जिससे थोड़ा और साहस मिला।
धनुषकोडी घोस्ट टाउन (भूतों का शहर) से करीब 4 किलो मीटर पहले मुझे एक चेक पोस्ट मिला जहाँ सिर्फ एक ही आदमी था, करीब 5 बज गए थे। मैंने कहा की मुझे आगे जाना है! वो बोला , की अभी नहीं जा सकते मैंने कहा, क्यों? वो बोला अँधेरे में उधर जाना मना है! मैंने कहा क्यों?
वो बोला हमे ऐसा ही बोला गया है की किसी को जाने ना दिया जाये, अब मुझे लगा की घोस्ट टाउन बोलते है शायद उससे जुड़ी कुछ कहानी होगी, मैंने कुछ नहीं बोला और इंतज़ार करने लगा।
धनुषकोडी में सनराइज़ करीब 6:10 पर होता है, 5:50 बज गए थे और हल्का सा उजाला हो गया था, मैंने फिर से उससे पूछा, की मैंने आगे जाऊ अब? वो बोला, अच्छा चले जाओ!
रोड एक दम सीधी मानो हवाई पट्टी हो, मैंने पूरी स्पीड में अपनी मोटरसाइकिल दौड़ा दी, और सूर्योदय से पहले उस आखिरी छोर पर पहुँच गया!
समुन्द्र का पानी एक दम शांत और साफ़ था, जैसे समुन्द्र नहीं कोई तालाब है और सामने से निकलता हुआ सूरज देखना एक अद्भुत नज़ारा था। मेरे पीछे और लोग भी वहाँ पहुँचने लगे, मैंने कुछ तस्वीरें ली और थोड़ी देर बैठा रहा, फिर अपने होटल की तरफ चल दिया जो की रामेश्वरम में था !
रामेश्वरम से धनुष्कोडी की वीडियो देखें !
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