#वीर सिंह महल दतिया म. प्र.
दतिया के पश्चिमी किनारे पर एक टीले पर बना यह सुंदर सा महल ग्वालियर - झांसी हाईवे या ट्रैन से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। जो कि काफी दूरी से ही यात्रियों को दिखाई देने लगता है।
इसे शहर के लोग पुराना महल के नाम से ही सबोधित करते है।अर्थात इसका दूसरा नाम पुराना महल या सतखंडा महल भी है।
महल के पूर्व की ओर जहां घना बसा शहर नजर आता है वहीं पश्चिम की ओर लाला का तालाब और फिर जंगल नज़र आता है।
* निर्माण -
इस किले का निर्माण प्रसिद्ध बुंदेला राजा वीर सिंह द्वारा सन 1620 में करवाया गया था। जिसके निर्माण में लगभग 9 वर्ष का समय लगा था तथा लगभग 35 लाख रुपये खर्च आया था। यह किला एक दम वर्गाकार आकृति में बना हुआ जो जो ऊपर से देखने पर स्वस्तिक के आकार का दिखाई देता है। जिसके प्रत्येक कोने पर अष्टभुजीय गुम्बद बने हुए है । इसकी निर्माण कला में राजपूत एवम मुगल शैली का मिला जुला प्रभाव देखने को मिलता है । इसके निर्माण में कहीं भी लोहा या लकड़ी का प्रयोग भी नही किया गया है। महल में जैसे जैसे ऊपर की ओर बढ़ते है इसकी सुंदरता भी बढ़ती जाती है कंगूरेदार बारजे , छतों पर सुंदर नक्काशी, दीवारों व खम्बो पर सुंदर कलाकारी भी इसमें देखने को मिलते है इसके उत्तर की ओर एक बगीचा बना हुआ है जो अब व्यवस्थित नही है साथ ही उत्तर में ही कुछ दूरी पर दतिया राजघराने का निवास स्थान गोविंद पैलेस स्थित है एवम दक्षिण की ओर एक छोटी सी इमारत दिखाई पड़ती है जो कि फांसीघर के रूप में जानी जाती है।
* इतिहास -
ऐसी किवदंती है कि राजा वीर सिंह एवम शाहजहां के बीच इस टीले पर एक गुप्त बैठक शाहजहां और जहांगीर के संघर्ष के द्वारान हुई थी। जिसमे वीरसिंह जी द्वारा शाहजहां का साथ दिया गया था। इसी बैठक के प्रतीक स्वरूप वीरसिंह जी ने यह महल उसी स्थान पर बनवाया था।
इस महल से जुड़ी एल किवदंती ये भी है कि महल ऊपर जितना ऊंचा है नीचे उतना ही गहरा।
परन्तु इतिहासकारों के अनुसार यह सात मंजिला किला है जिसके 2 मंजिल जमीन के नीचे एवम 5 मंजिल जमीन के ऊपर है
पहले यह पूरा महल खुला रहता था तथा बचपन मे मैं स्वयं निचले तल में गया हूँ परन्तु अब सुरक्षा कारणों से इस भाग को बंद कर दिया गया है।
निश्चय ही यह महल किसी के रहने हेतु नही बनवाया गया था क्योंकि इसके किसी भी भाग में कक्षो में दरवाजे देखने को नही मिलते है। और शायद ही इसमें कभी कोई रहा हो।
वर्तमान में पर्यटन विभाग द्वारा इसमें बहुत ही खूबसूरत लाइटिंग कर दी गई है जो हाईवे से गुजरने वाले लोगो का ध्यान अनायास ही अपनी ओर खींच लेती है।
*कैसे पहुंचे - दतिया सेंट्रल रेलवे स्टेशन है जहां पर अनेक ट्रेन का स्टे है। इसके अतिरिक्त यहां बस द्वारा भी पहुंचा जा सकता है। नजदीकी एयरपोर्ट ग्वालियर ही जिसकी दतिया से दूरी 75km है।
कब जाएं - सितंबर से फरवरी उचित मौसम रहता है ।
Date - सितंबर2022