07-दिसम्बर-2019 को 1 माह के लिए मेरी यात्रा शिमला से हरिद्वार और फिर 3 दिन बाद हरिद्वार से छत्तीसगढ़ के चार जिलों (बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा) के लिए हुई । यह सभी क्षेत्र अपने प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है । प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए सबसे खूबसूरत नज़ारों में से एक हैं पानी के झरने। इतनी ऊंचाई से गिरते हुए पानी को देखकर आप प्रकृति की शान और सौंदर्य का अहसास कर सकते हैं। सुंदर वॉटरफॉल में समय बिताना आपको यादगार पल दे सकते हैं। बचपन से ही हमने किताबों में पड़ा है कि चित्रकोट फॉल भारत का नायग्रा फॉल के रूप में जाना जाता है। लेकिन इस भ्रमण में मेरा इसे देखने का सपना भी पूरा हो गया |
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित आप चित्रकोट वॉटरफॉल का खूबसूरत नज़ारा देख सकते हैं। ये 95 फीट ऊंचा और 985 फीट चौड़ा है जो कि नायग्रा फॉल का एक तिहाई हिस्सा है। इसी कारण ये भारत का सबसे चौड़ा वॉटरफॉल है। थोड़ी दूरी से देखने पर आपको ये झरना किसी सपने से कम नहीं लगेगा और इस नज़ारे को आप अपनी जिंदगी में भी नहीं भूल पाएंगें।
चित्रकोट झरना देखने का सबसे सही समय
मॉनसून के मौसम यानि जुलाई से सितंबर में इस शानदार चित्रकोट वॉटरफॉल को देखने का सबसे सही समय है। कभी-कभी बारिश के बाद यहां पर आकाश में सुंदर इंद्रधनुष देखने को मिलेगा। यहां पर आने का ये सबसे बड़ा फायदा है। सर्दी के मौसम यानि नवंबर से जनवरी तक का समय भी यहां घूमने के लिए सही समय है। अगर आप बहुत ज्यादा भीड़ नहीं चाहते हैं तो इस दौरान ही चित्रकूट वॉटरफॉल देखने आएं। इस दौरान यहां का मौसम बहुत ठंडा और सुहावना रहता है।
इस झरने को चित्राकोट और चित्रकोट झरने के नाम से भी जाना जाता है। ये पश्चिम जगदलपुर शहर से 38 किमी दूर और राजधानी शहर रायपुर से 276 किमी दूर स्थित है। ये झरना इंद्रावती नदी पर बहता है और इसकी शुरुआत ओडिशा के पश्चिम चित्रकूट से शुरु होकर आंध्र प्रदेश में गिरता है और फिर यह गोदावरी नदी में जाकर मिल जाता है। इस नदी का प्रयोग अनेक पनबिजली विद्युत परियोजनाओं में होता है। चित्रकूट झरना, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है और इस जगह पर आपको तीरथगढ़ झरना भी देखने को मिलेगा जोकि चित्रकूट से सिर्फ कुछ किलोमीटर ही दूर है। इसके लिए में एक अलग से पोस्ट करूँगा । ऑफ सीज़न में ये झरना कई छोटी धाराओ में गिरता है और घोड़े की नाल के आकार में बहता है। हालांकि मॉनसून के दौरान बारिश की वजह से चट्टानों से बहने वाली नदियां एकसाथ मिल जाती हैं। ये नज़ारा बहुत शानदार होता है।
झरने के बिलकुल नीचे तट पर एक तालाब देख सकते हैं जहां पर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है। इसके पास प्राकृतिक रूप से निर्मित गुफाएं हैं जिन्हें संगठित रूप से पार्वती गुफाओं के नाम से जाना जाता है। झरने के पास आपको नाविक मिल जाएंगें जो आपको झरने के बीचोंबीच लेकर जाएंगें। हालांकि, बच्चों और वृद्धों को झरने के बहुत करीब नहीं आना चाहिए क्योंकि इस झरने का तेज और रफ्तार बहुत ज्यादा है। अब हम बात करते है कि चित्रकोट कैसे पहुँचे |
कैसे पहुंचे चित्रकोट झरना
वायु मार्ग : रायपुर एयरपोर्ट और विशाखापट्नम एयरपोर्ट द्वारा चित्रकूट झरने तक पहुंचा जा सकता है। ये दोनों ही एयरपोर्ट यहां से 285 किमी ओर 340 किमी की दूरी पर स्थित हैं। ये दोनों एयरपोर्ट भारत शहरों जैसे बैंगलोर, हैदराबार, कोलकाता और नई दिल्ली से अच्दी तरह से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग : कोलकाता, विशाखापट्नम और भुवनेश्वर जैसे शहरों से जुड़ा है जगदलपुर रेलवे स्टेशन जोकि चित्रकूट झरने का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है। चित्रकूट झरने से जगदलपुर रेलवे स्टेशन 38 किमी दूर
सड़क मार्ग : जगदलपुर छोटा शहर है लेकिन फिर भी छत्तीसगढ़ में ये बुहत लोकप्रिय है। इसलिए ये शहर राज्य की राजधानी रायपुर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पूरा राज्य सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य सरकार द्वारा झांसी, इलाहाबाद और कानपुर आदि से यहां के लिए बसें आदि भी चलती हैं जोकि सीधा आपको जगदलपुर या चित्रकोट फॉल तक ले जाएंगीं।
यह यात्रा मेरे लिए बहुत ही रोमांचकारी रही क्योंकि यह साल का पहला दिन था ।
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