हर ट्रिप से जुड़ी एक याद होती है, हर ट्रिप खास होती है. जैसमेर का मेरा यह ट्रिप भी बेहद खास है. एक नए सफर की शुरुवात करने से पहले सोचा क्यों ना एक सफऱ पर जाया जाए अपने कुछ वहीं पुराने खास दोस्तों के साथ. साल 2019, महीना मार्च एक नए रिश्ते में बंधने से पहले खुद के साथ और कुछ पुराने रिश्तों के साथ समय बिताने के लिए मैंने चुना THE GOLDEN CITY जैसलमेर को. इसकी पीछे कोई बड़ा कारण नहीं था. बस मैं पहाड़ से आती हूं तो सोचा इस बार रेत से दोस्ती कर आऊं.
अब हम सब कामकाजी हैं तो वक्त कम था और जैसलमेर दिल्ली के ज्यादा नजदीक तो नहीं लेकिन दूर भी ना था. इसलिए हम सात दोस्त और एक नन्हीं सी परी निकल पड़े दिल्ली-टू-जैसलमेर. बकायदा India view travel से हमने बॉकिग कि. टोटल बजट रहा 7 हजार per person (for more details do watch my vlog Jaisalmer Travel Vlog Travel sutra )
1 मार्च 2019 शुक्रवार रात ऑफिस खत्म करने के बाद हमने अपने सफर की शुरुवात की. अगली सुबह 2 मार्च दिन के 12 बजें हम जैसलमेर पहुंचे.
होटल पहले से प्री बुक था. हमने चेक-इन किया तैयार हुए और निकल पड़े जैसलमेर को करीब से जानने के लिए और जैसलमेर को करीब से जानना है तो जैसलमेर किले से बेहत्तर जगह क्या होगी. जैसलमेर किला अपने आप में एक शहर है मानों एक शहर के अदंर बसता दूसरा शहर हो. यह भारत का पहला ऐसा किला है जहां उसकी प्रजा आज भी रहती है. पूरा जैसलमेर इस किले से नजर आता है. जैसलमेर किले को देखने-जानने समझने के बाद हम अपने दूसरे पड़ाव गड़ीसर झील पहुंचे. हमारे पास दो विकल्प थे या तो हम जैसलमेर किले से डूबता सूरत देखें या फिर गड़ीसर झील से. हमने दूसरा विकल्प चुना क्योंकि वक्त कम था लेकिन यह फैसला सही रहा. शहर से दूर जो सुकून ढूंढने हम निकले थे वो गड़िसर झील पर आकर मिला. दूर तक एक सुकूनभरी शांति ऐसी शांति जिसमें चिड़ियों के चहचहाने की आवाजें साफ सुनाई दे रही थी. झील का बहता पानी भी कानों में अठखेलियां कर रहा था. गड़िसर झील में आप बोटिंग का मजा भी ले सकते हैं. इसी के जैसलमेर में हमारा पहला दिन खत्म हुआ.
3 मार्च 2019
अगली दिन हमें एक लंबा सफर तय करना था. इसलिए अक्सर शहर में होने वाली लेट सुबह जैसलमेर में जल्दी हो गई. इस दिन हमने जाना था DESERT CAMP लेकिन उससे पहले कुछ और जगहें भी कवर करनी थी. वक्त भले कम था लेकिन इस कम वक्त में पुरे जैसलमेर को समेटने की चाह थी. सबसे पहले हम गए पटवों की हवेली जो कि हमारे होटल से कुछ कदम की दूरी पर ही था. पटवों की हवेली पांच हवेलियों का समूह है जिसका निर्माण एक अमीर व्यापारी ‘पटवा’ द्वारा किया गया है, जिसकें अपने पांच बेटों में से प्रत्येक के लिए एक का निर्माण किया था.
दूसरे दिन का दूसरा पड़ाव था हमारा कुलधरा. वही वीरान गांव जो शापित माना जाता है. इस जगह को भूतहा मना गया है. कई किस्से-कहानियां भी आपको यहां सुनने को मिल जाएगी. यह भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है जिसका बॉर्ड भी यहां लगा हुआ है, अगर इस जगह को लेकर आप मेरा अनुभव पूछे तो मैने किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा यहां महसूस नहीं कि लेकिन यहां एक अजीब से वीरानगी एक खालीपन जरूर महसूस किया मानों यह आज भी अपने बाशिंदो की राह देख रही हो.
अब इस ट्रिप का सबसे मजेदार अनुभव और वो था DESERT CAMP . जैसलमेर मशहूर है अपनी सुनहरी रेत के लिए ऐसे में जैलमेर को करीब से जानना है, असली राजस्थान को महसूस करना है तो इसके रेगिस्तान को पढ़िए उसके करीब रहकर. कैंप में चेक-इन करने से पहले हमने की Desert safari जिसकी हमें एक अच्छी डील भी मिली (per person 400), फिर लिया ऊंट की सवारी का मजा और रेगिस्तान में SUNSET देखना तो सबसे खूबसूरत पल रहा इस दिन का. शुरुवात से लेकर अंत तक इस कैंप ने कई खूबसूरत यादें दी चाहे फिर वो ढोल-नगाड़ों की थाप पर स्वागत हो या फिर कल्चरल नाइट. राजस्थान वैसे भी अपनी मेहमान नवाजी के लिए जाना जाता है जिसकी झलक हमनें भी देखी. राजस्थानी लोक संगीत और कुछ हिंदी गानों पर थिरकने के साथ खत्म हुआ दूसरा दिन भी.
4 मार्च 2019
अब वक्त था जैसलमेर से अलविदा लेने का तो कुछ इस अंदाज में हमने जैसलमेर से अलविदा लिया. दोस्तों के साथ शुरु हुआ यह सफऱ हंसते-मुस्कुराते खत्म हुआ. ( do watch jaisalmer vlog on my youtube channel Travel sutra suman's way to know more about this trip).