दोस्तों समरकंद घूमने के बाद हमने सोचा आगे बुखारा जाऐंगे| बुखारा जाने के लिए मैंने उजबेकिस्तान रेलवे की एप से पहले ही दो टिकट बुक कर दी थी|
समरकंद घूमकर हमने रेलवे स्टेशन जाने के लिए टैक्सी बुक की | टैक्सी ड्राइवर को सिर्फ रशीयन भाषा आती थी तो बहुत समस्या हुई |
वह समझ रहा था हमने कहीं एयरपोर्ट जाना है| फिर हमने गूगल मैप लगाकर ईशारे से ही समझाया तब जाकर हम समरकंद रेलवे स्टेशन की तरफ बढने लगे|
यहाँ की भाषा में रेलवे स्टेशन को वोकजाल कहा जाता है| ताशकंद, समरकंद और बुखारा रेलवे स्टेशन पर वोकजाल लिखा हुआ पढ़ा था|
जैसे तैसे करके हम समरकंद वोकजाल (रेलवे स्टेशन) पहुँच गए| स्टेशन के प्रवेश द्वार पर हमारे बैग की सुरक्षा जांच हुई|
फिर हम समरकंद वोकजाल में प्रवेश कर गए| रेलवे स्टेशन पर कोई शोर शराबा नहीं था जैसे हमारे एयरपोर्ट होते हैं उस तरह की खूबसूरती यहाँ के रेलवे स्टेशन पर थी|
समरकंद के रेलवे स्टेशन पर कोई भीड़ नहीं थी| हमने रेलवे अधिकारी से पूछा तो उसने बताया आपकी गाड़ी पलेटफार्म नंबर 2 पर 12.18 बजे दोपहर को आऐगी और 12.40 बजे चलेगी|
हम वहाँ पहुँच कर अपनी रेलगाड़ी का इंतजार करने लगे|
कुछ ही देर में हमारी रेलगाड़ी आ जाती है और हम 10 नंबर डिब्बे में 5 और 6 नंबर पर अपनी सीट में बैठ जाते हैं| रेलगाड़ी एसी थी |
रेलगाड़ी में चाय पानी और खानपान वाले लोग आते है| हमने दो डिब्बे जूस के लिए| खाना हम समरकंद में ही खाकर आए थे|
डिब्बे में कोई शोर शराबा नहीं था | सब लोग चुपचाप अपनी सीट पर बैठे थे| रेलगाड़ी अपने सही समय पर चल पड़ती है|
उजबेकिस्तान की खूबसूरत रेलगाड़ी के सफर के नजारे लेते हुए रास्ते के पहाड़, खेत, शहर आदि देखते हुए हम साढ़े तीन बजे बुखारा रेलवे स्टेशन पहुँच जाते हैं| बुखारा में समरकंद से भी ज्यादा गर्मी थी |
बुखारा रेलवे स्टेशन से टैक्सी लेकर हम ओल्ड बुखारा शहर की तरफ बढ़ जाते हैं|
बुखारा में हम सबसे पहले अपने होटल Jumadaler पहुंचे| इस होटल को हमने दो रात के लिए बुक कर लिया था जिसमें हमारा ब्रेकफास्ट भी शामिल था|
बुखारा शहर में हम कुल तीन दिन रुके थे| बड़े आराम से और शानदार तरीके से हमने बुखारा शहर को घूमा था|
बुखारा शहर की पहली शाम को ही हम एक दुकान पर गए बहुत सारे फलों को खरीदा| आलु बुखारा का नाम भी बुखारा शहर से ही जुड़ा हुआ है|
उस दुकानदार ने हमें बताया अलु शब्द का अर्थ होता है गहरा डार्क रंग और बुखारा शहर साथ जुड़ गया|
उस दिन शाम को बुखारा शहर की पैदल चलते हुए सैर पर निकले तो हम रास्ते में आलु बुखारा खा रहे थे |
वहाँ के आलु बुखारे साईज में भी भारतीय आलु बुखारे से बड़े है| बुखारा उजबेकिस्तान का एक खूबसूरत शहर है|
बुखारा शहर के मदरसे, मीनार और मस्जिद देखने लायक है| बुखारा शहर की घुमक्कड़ी आपको पुराने जमाने में ले जाऐगी|
बुखारा शहर में अभी भी आप को कच्ची ईटों के घर देखने के लिए मिलेगे| हमें बुखारा शहर की गलियों में घूमकर बहुत आनंद आया|
बुखारा में पहली रात होटल में गुजारने के बाद हमने सुबह उठकर होटल में ही ब्रेकफास्ट किया|
उजबेकिस्तान के लोग सुबह के ब्रेकफास्ट में फलों का बहुत उपयोग करते हैं|
उजबेकिस्तान का ब्रेकफास्ट शानदार था टेबल पर बहुत सारे फल फरूट थे आलू बुखारा, तरबूज, खरबूजा आदि |
इसके साथ आमलेट चाय कौफी| ब्रेकफास्ट करने के बाद हमने बुखारा शहर घूमने के लिए टैक्सी बुक कर ली |
टैक्सी ड्राइवर हमें शहर से बाहर कुछ किलोमीटर दूर एक मस्जिद दिखाने के लिए ले गया|
जगह बहुत खूबसूरत थी मस्जिद भी बहुत शानदार थी अंदर लकड़ी की छत और पिलर बने हुए थे| बुखारा को सूफियों का शहर भी कहा जाता है|
इस खूबसूरत मस्जिद को देखने के बाद हम बुखारा के मशहूर समर पैलेस को देखने गए| बुखारा के बाहर सड़क पर गाड़ी का सफर बहुत आनंदित कर रहा था|
एक जगह पर हमने सेब का बाग देखा तो हमने अपने टैक्सी ड्राइवर को बोला कया हम सड़क से नीचे उतर कर सेबों के बाग में जा सकते हैं|
हमारा टैक्सी ड्राइवर बोला जरूर जा सकते हैं फिर उसने एक जगह पर गाड़ी रोकी और हम सड़क से नीचे उतर कर सेबों के बाग में घुस गए|
जहाँ हमने सेब तोड़ कर खाए| सेब खाने के बाद हम दुबारा टैक्सी में बैठे और समर पैलेस आफ बुखारा की तरफ चल पड़े|
कुछ देर बाद हम समर पैलेस के बाहर पहुँच जाते है| टिकट लेकर हम समर पैलेस में प्रवेश कर गए| समर पैलेस बुखारा शहर से बाहर बहुत खुली जगह में बना हुआ है|
यहाँ का वातावरण बहुत प्राकृतिक था| छोटे छोटे गार्डन बने हुए हैं जिसमें मोर नाच रहे थे|
बुखारा के इस खूबसूरत समर पैलेस का निर्माण बुखारा के आखिरी अमीर राजा मीर सय्यद मुहम्मद अलीमश खान ने 1912 ईसवीं से लेकर 1918 ईसवीं के बीच में करवाया था|
इस पैलेस में बहुत सारे रिसेप्शन हाल के साथ अमीर के लिए प्राईवेट कमरे आदि देखने लायक है|इस सब में से वाईट हाल बहुत आकर्षिक है|
समर पैलेस में शीशे की खूबसूरत कलाकारी दर्शनीय है| बुखारा के आखिरी अमीर राजा से संबंधित बर्तन, कराकरी आदि सामान संभाल कर रखा गया है|
हमने दो घंटे इस खूबसूरत पैलेस में गुजारे थोड़ी बहुत फोटोग्राफी की | फिर हम समर पैलेस को देखकर वापस बुखारा शहर की ओर वापस चल पड़े|
आर्क आफ बुखारा
अगले दिन बुखारा शहर को घूमते हुए हम आर्क आफ बुखारा को देखने के लिए चल पड़े| आर्क आफ बुखारा एक तरह का छोटा किला है|
इसके निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इसको पांचवी शताब्दी में बनाया गया था| इस किले में ही बुखारा शहर की कोर्ट कचहरी लगती थी|
1920 ईसवीं में आर्क आफ बुखारा रुस के अधीन आ गया| अब यह बुखारा शहर की मशहूर टूरिस्ट जगह है जिसमें मयुजियिम भी बना हुआ है| आर्क आफ बुखारा को देखने के बाद आगे चल पड़े|
कलोन मीनार
कलोन मीनार बुखारा की एक खूबसूरत जगह है| यहाँ पर एक ऊंची मीनार बनी हुई है| इस मीनार का निर्माण 1127 ईसवीं में हुआ था|
इस खूबसूरत मीनार की ऊंचाई 45.6 मीटर लगभग 150 फीट है| बुखारा की इस जगह का नाम यूनैसको वर्ल्ड हैरीटेज साईट में शुमार है|
मुहम्मद अर्सलन खान ने 1127 ईसवीं में मुसलमानों को पांच बार नमाज करने के लिए प्रेरित करने के लिए किया था|
ताजिक भाषा में कलोन का अर्थ होता है महान | पूरे मध्य एशिया में कलोन मीनार सबसे ऊंची मीनार है| इसके अंदर ऊपर चढ़ने के लिए सीढ़ियों का निर्माण भी किया हुआ है लेकिन टूरिस्ट के लिए इस मीनार पर चढ़ना बंद है|
हम इस खूबसूरत मीनार को शाम को देखने के लिए गए थे| रात की रोशनी में इस खूबसूरत मीनार को चार चांद लग गए थे| हमने रात में चमकती हुई इस मीनार के साथ फोटोग्राफी की |
उस शाम को हमने इस जगह पर एक खूबसूरत शाम बिताई | वहाँ पर हमें बहुत सारे टूरिस्ट मिले कुछ यूरोप के टूरिस्ट, उजबेकिस्तान के टूरिस्ट मिले जिनके साथ हमने बातचीत की| कलोन मीनार के साथ ही कलोन मस्जिद बनी हुई है|
यह मस्जिद इतनी विशाल है कि उसमें 10,000 वयक्ति एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं|
लयाबी हौज
हौज का अर्थ होता है पानी वाली जगह या तालाब| ताजिक भाषा में लयाबी हौज का अर्थ है पानी के आसपास की जगह |
लयाबी हौज में एक खूबसूरत तालाब बना हुआ है जिसके आसपास एक फूड पलाजा बना हुआ है|
लोग यहाँ आते हैं शाम को तालाब के पास बने हुए फूड सटाल पर डिनर करते हैं| रात को चमकती हुई लाईट इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देती है|
हम लयाबी हौज को दो तीन बार देखने गए| एक बार दिन में और दो बार रात को | एक रात का डिनर भी यहाँ किया|
लयाबी हौज के पास एक खूबसूरत मदरसा भी बना हुआ है | लयाबी हौज के पूर्वी भाग में हौजा नसरुदीन बना हुआ है जहाँ पर मुल्ला नसरुदीन का उसके गधे के पास एक खूबसूरत बुत बना हुआ है|
मुल्ला नसरुदीन के किस्से और हाज़िर जवाबी पूरी दुनिया में मशहूर थे| हमने भी मुल्ला नसरुदीन के बुत के साथ अपनी यादगार तस्वीर खिंचवाई|
लयाबी हौज के पास ही नादिर दिवानबेगी मदरसा और नादिर दिवानबेगी खनका आदि देखने लायक है|
मदरसे में ही एक खूबसूरत मार्केट लगी हुई थी| जहाँ पर उजबेकिस्तान का सामान मिल रहा था| शाम को हमने लयाबी हौज के आसपास बनी फूड मार्केट में गुजारा|
वही पर ही हमने एक रात का डिनर किया| फिर हम अपने होटल में वापस चले गए|
चोर मीनार बुखारा
इसको चार मीनार भी कहा जाता है| यह भारतीय सटाईल से मिलता जुलता समारक है|
इसमें एक ईमारत के ऊपर चारों तरफ चार छोटे छोटे मीनार बने हुए हैं जिस वजह से चार मीनार कहा जाता है| कुछ जगह पर इसका नाम चोर मीनार भी कहा जाता है|
हम जब सबसे पहले दिन बुखारा पहुंचे थे तो टैक्सी ड्राइवर ने हमें चार मीनार के सामने ही उतारा था हमारा होटल भी इस खूबसूरत जगह के पास ही था|
तीन दिनों में लगभग चार बार हम इस जगह को देखने के लिए गए थे| बाहर से देखने से यह चार मीनार हैदराबाद के चार मीनार से मिलता जुलता है |
हैदराबाद का चार मीनार इससे ज्यादा विशाल है| जिस दिन हमने बुखारा शहर से वापस जाना था उस दिन भी होटल से चैक आऊट करने के बाद भी हमने अपनी शाम चार मीनार पर बिताई थी|
चार मीनार के आंगन में बहुत सारे फरुट लगे थे| हम दो तीन घंटे इस जगह पर बैठे थे तो हमने अंगूरों के गुच्छे तोड़ कर खाए बहुत आनंद आया|
यही से ही हम टैक्सी बुक करके बुखारा रेलवे स्टेशन पर चले गए| बुखारा रेलवे स्टेशन से रेलगाड़ी पकड़ कर हम उजबेकिस्तान के ईतिहासिक शहर खीवा की ओर बढ़ गए|