भूटान की बाइक से यात्रा -6

Tripoto
Photo of भूटान की बाइक से यात्रा -6 by Rishabh Bharawa

यात्रा फिर शुरू हुई। हमे थिम्पू छोड़ के आगे पुनाखा की ओर बढ़ना था। मेने और डी जे ने तय किया कि कुछ देर गाडी वो चलाएगा और कुछ देर मैं क्योकि गाडी चलाने का मजा ही अब आगे के रास्तो पर मिलना था। पुनाखा की दुरी थिम्फु से 80 km बताई जा रही थी। शुरू मे कुछ 10 किलोमीटर तक रास्ता ख़राब रहा क्योकि सड़क पर काम चल रहा था। उसके बाद के जो प्राकृतिक नज़ारे हमारे सामने आते गए ,बता ही नहीं सकता। घने जंगलो के बीच बने रास्तो से हमारी बाइक्स गुजरने लगी। कई जगह रास्तो के किनारे पेड़ो पर रंग बिरंगे बुद्धिस्थ ध्वज बंधे हुए थे। रास्ता अब थोड़ा ऊंचाई की और जाने लग रहा था। डी जे और मै सबसे तेज चलने के कारण सभी से कई किलोमीटर आगे रहते थे एवं इसी वजह से रास्ते की हर छोटी बड़ी अच्छी जगह रुक हमने काफी एक्स्ट्रा फोटोज निकाले। कई छोटे बड़े मठ भी रास्ते मे थे ,जिनके बाहर से हम बिना रुके तेजी से निकल गए।

Photo of भूटान की बाइक से यात्रा -6 by Rishabh Bharawa

मौसम अलग अलग दुरी पर अलग अलग तरीके सी बदल रहा था ,कही बादल ,तो कही तेज धुप ,तो कही बारिश। पांडे जी भी मेरी सोच के विपरीत काफी ही हमदोनो के लगभग साथ साथ ही आ रहे थे। और ऐसा होगा क्यों नहीं वो एयर फाॅर्स के रिटायर्ड सार्जेंट जो ठहरे। अचानक दूर से हमे एक जगह बादलो के बीच ढके हुए कई छोटे छोटे स्तूप बने हुए नजर आये। ऊपर के मुख से लाल एवं बाकी पूरा सफ़ेद रूप लिए यहाँ करीब 108 स्तूप बने हुए मिले। यह जगह कहलाती है -विश्वप्रसिद्ध दोचुला पास।

समुद्रतल से 10000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित इस जगह पर सर्दियों मे काफी बर्फ मिलती हैं। ये स्तूप पुनाखा के मैन रोड से एकदम सट कर बने हुए थे। इस पर जाने के लिए मैन रोड से बायीं और बने बड़े ग्राउंड मे गाड़िया खड़ी कर इसको घुमा जा सकता था। यहाँ की खूबसूरती का अंदाजा आप इसके फोटोज को देख कर लगा सकते हैं। मौसम भी ऐसा था कि हर तरफ निचे बादल ही दिखाई दे रहे थे जिनसे पानी की सुई जैसी छोटी छोटी बुँदे हमपर गिरकर ठंड का अहसास करवा रही थी। इसके पास बने एक खुले रेस्टॉरेंट मे बैठकर चाय पीने से कोई यात्री अपने आपको नहीं रोक सकता।यही 108 स्तूप पर आधा घंटा व्यतीत कर कम से कम एक घंटा हम इस रेस्टॉरेंट के गार्डन मे बैठे रहे। फिर मै कुछ फोटोज निकालने पास के ही रोड पर चला गया ,तभी मुझे किसीने आवाज़ लगायी ,जाकर देखा तो सारी बाइक्स ,इस रेस्टॉरेंट और स्तूप के बीच बने ग्राउंड मे एक साथ खड़ी कर ग्रुप फोटो लेने की तय्यरिया चल रही थी। इसी जगह पर हमने काफी यादगार ग्रुप फोटोज निकाले।

Photo of भूटान की बाइक से यात्रा -6 by Rishabh Bharawa
Photo of भूटान की बाइक से यात्रा -6 by Rishabh Bharawa

फिर यहाँ से थोड़ा आगे चलते ही सभीके पेट मे चूहे दौड़ने लगे। पुनाखा से पहले ही कोई अच्छा रेस्टॉरेंट देख कर अब खाना खाने का तय हुआ। मैन रोड पर ही बने एक खूबसूरत रेस्टॉरेंट के बाहर आधे घंटे के अंदर अंदर सारी गाड़िया पहुंच गयी। अंदर काफी बड़ा हॉल था जिसकी खिड़कियों से दूर दूर तक फैली पहाड़िया दिखाई दे रही थी। मेनू मे अधिकतर चीजे नॉन वेज ही बताई जा रही थी। कुछ चीजे जैसे पकोड़ी ,चावल आदि वेज चीजे भी लिखी हुई थी। दो लड़किया वहा के स्टाफ मे थी जिनमे से एक मैनेजर लग रही थी ,पूर्ण प्रोफेशनल कपड़ो मे थी। मेने उस से कोल्ड ड्रिंक खरीदने के लिए रेट पूछना चाहा। अब समस्या यह थी कि ना तो वो अंग्रेजी समझ रही थी और न ही हिंदी। मेने इशारो मे उससे 5 -6 अलग अलग कोल्ड ड्रिंक की रेट पूछी तो शायद वो पुरे बैच के लिए समझ मुझे करीब 3000 rs बताये। खैर ,जैसे तैसे बैच के लिए कुछ ऑर्डर्स हमने उन्हें दे दिए । होटल नॉनवेज थी ,हालाँकि कई बार यात्रा के दौरान ऐसी जगह फंस जाते हैं जहा उन्हें नॉनवेज होटल मे ही कोई शाकाहारी खाना आर्डर कर हल्का फुल्का खाना पड़ता हैं ,मेरे साथ भी कई बार हुआ। पर यहा मुझे पता नहीं क्यों लगा कि मुझे कुछ भी नहीं खाना चाहिए ।पांडे जी भी शुरू से लेकर अंत तक हर डिसीजन मे मेरा साथ देते थे।उन्होंने भी यहाँ कुछ न खाने का निश्चय किया। डी जे और बाकी कुछ लोग तो नॉन वेज खाते ही थे। हम 7 -8 लोग वेज थे जिनमे से 6 ने वेज पकोड़ी आर्डर कर दी बाकि हम दो रह गए थे। बचे हुए लोगो ने चिकन पकोड़ी आर्डर करदी। हम दोनों को वाकई वहा कुछ खाने का मन नहीं था। मेरा मन तो कचोरी समोसो, मिठाइयों को ही याद कर रहा था।

साथी दोस्तों की काफी जिद्द पर मै और पांडे जी बैग्स से नमकीन बिस्किट निकाल कर खा लेने की सोची। पांडे जी अपने बनारस से कुछ स्पेशल चीजे खाने को लाये थे ,तो हम बैग मे से उन सामानो को लेने चले गये।ये होटल हाईवे पर ही थी ,जिसके एक तरफ गहरी खाई थी। मौसम अच्छा था तो हम होटल के बाहर ही बैठ वो बनारस से लाये व्यंजन खाने लगे। बाहर केवल ठंडी हवाएं ,रोड से गुजरती कुछ गाड़ियों की आवाज़ और बाकी पूर्ण सूनापन व शान्ति थी। तभी अचानक हमे अंदर से कुछ चीखने चिल्लाने की आवाज़े आयी। एक दो साथी अंदर से पूरी तेजी से भागे भागे बाहर की तरफ आये और होटल के बायीं ओर भागने लगे और....

..... to be continued