भूटान की बाइक से यात्रा -2

Tripoto
Photo of भूटान की बाइक से यात्रा -2 by Rishabh Bharawa

तो मै पहुंच चूका था मेरे शहर भीलवाड़ा से 1700 किलोमीटर दूर सिलीगुड़ी शहर की सबसे बड़ी बिल्डिंग के पास ,जिसके 10 वे फ्लोर पर The Skkky club था। बिल्डिंग के आस पास कोई ख़ास ट्रैफिक नहीं था ना ही कोई अन्य इमारते नजर आ रही थी। बिल्डिंग के बाहर खड़ा होकर मैं इस बात पर कंफ्यूज था कि यहाँ कोई क्लब मे क्यों हमे बुलाया गया हैं। मेने पांडे जी को फ़ोन करने की कोशिश की पर उनको फ़ोन लगा नहीं। यहाँ पहुंच जाने के बाद भी मुझे लग रहा था कि मेने गलत एड्रेस पढ़ लिया है और फिर मेने अपना मोबाइल निकाल कर सुबह से चौथी बार एड्रेस चेक किया ,अभी भी एड्रेस तो यही का ही पढ़ने मे आ रहा था।

दूर दूर तक कोई इंसान ही नहीं दिख रहा था। खैर ,अपने बैग्स को लेके अंदर गया और लिफ्ट की जगह ढूंढने के लिए चारो तरफ निगाह घुमाने लगा।तभी कही से मेरे सामने मुझे एक लड़की दिखाई दी और मेरे एक्सप्रेशन से अंदाजा लगाते हुए उसने इशारा किया कि क्या कोई समस्या हैं। मेने दूसरे हाथ से अपने कैमरा बैग को संभालते हुए उससे बोला कि लिफ्ट का रास्ता कहा है। उसने हाथो से मुझे इशारा करते हुए रास्ता बताया।

ऊपर पहुंचते ही क्लब के दरवाजे से अंदर जाते ही कुछ डॉयनिंग टेबल्स दिखाई दी। मेने प्रवेश द्वार पर खड़े कर्मचारी को पूछा कि यहाँ कोई बाइकर्स का ग्रुप को मिलना था। उसने मुझे एक सौम्य मुस्कान के साथ अंदर आमंत्रित किया। अंदर आगे जाकर दाए मुड़ते ही एक टेबल पर पांडे जी और उनके साथ मेरी उम्र का ही एक नौजवान बैठा हुआ था।पांडे जी से मिलने के बाद उस भाई ने मुझसे परिचय किया,उसका नाम था दिब्यज्योति ,जो कि एक इंजीनियर था।

करीब एक घण्टे तक हम वही बैठ कर बतियाने लगे। कुछ देर बाहर बने रूफटॉप पर भी घूम आये। कुछ देर बाद 2 नौजवान और आ गये ,जो की बेंगलोर से थे। देखते ही देखते हम 16 लोग पुरे आ चुके थे। एजेंसी से एक प्रतिनिधि आया और हमारे बैग्स को गाड़ियों मे डलवा कुछ किलोमीटर दूर एक गेराज पर पहुँचवा दिए। हम सब भी कोल्ड ड्रिंक और आइसक्रीम का स्वाद लेकर आगे जाने को तैयार थे। टवेरा गाड़ियों मे बिठा हमे भी गेराज ले जाया गया।

यहाँ पश्चिमी बंगाल मे दुर्गा पूजा का बड़ा महत्व है। कुछ ही दिनों बाद नवरात्रा शुरू होने वाली थी। तो जिन भी रास्तो से हम गुजर रहे थे हर तरफ टेंट तम्बू लगवा कर नवरात्रा के पांडाल बनाने की तैयारियां चल रही थी। मार्केट मे प्रवेश होते ही भीड़ दिखाई देने लगी। कुछ माल्स ,मिठाई की दुकानों ,सड़क किनारे बने छोटे छोटे देवी मंदिर को देखते हुए हम पहुंचे एक 30 फ़ीट चौड़ी गली के अंदर बने गेराज के बाहर।

यह ट्रेवल एजेंसी अभी नयी नयी ही मार्केट मे आयी हुई थी तो एजेंसी का मालिक सोहैल भी हमारे साथ इस ट्रिप पर जाने वाला था। सोहैल का नाम 'लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड' मे 'आल इंडिया फास्टेस्ट सोलो राइडर' रूप मे दर्ज हैं। सोहैल भी हमारी हमउम्र का होने की वजह से सभी से घुल मिल गया था।सोहैल ने वहा कुछ फॉर्म्स भरवाकर हमारे साइन करवा लिए। बुकिंग के हिसाब से मुझे नीले रंग की बुलेट 350 दी गयी। दिब्यज्योती ने हिमालयन ली हुई थी। हमारे बैच मे हम 18 बाइकर्स थे ,जिन्होंने कुल 10 गाड़िया ली हुई थी।दो लड़किया ,रिशु जो की कानपुर और राम्या जो की तमिलनाडु से ,भी हमारे साथ थी। इनके अलावा पांच मारवाड़ी दोस्त जो कि कर्नाटक मे बसे हुए थे,उन्होंने भी उन पांच के बीच तीन गाड़िया ली हुई थी।

कुछ देर सबने अपनी अपनी गाड़ियों की टेस्टिंग की फिर शुरू हो गया हमारा एडवेंचर। कुछ किलोमीटर जाकर सबसे पहले सभी बाइक्स मे पेट्रोल टैंक फुल करवा दिया। आज का टारगेट भूटान और भारत की बॉर्डर पर स्थित 'जयगांव' तक पहुंचना था। यह क़स्बा पश्चिमी बंगाल के आलिपुरद्वार जिले मे पड़ता हैं।शाम साढ़े चार बजे हम पेट्रोल पंप से रवाना हो गए। सिलीगुड़ी से जयगांव की दुरी करीब 150 किलोमीटर पड़ती हैं। नेशनल हाईवे 10 से होते हुए हम जयगांव की और बढ़ दिए। सावन का मौसम था। थोड़ी थोड़ी बारिश भी शुरू हो गयी थी। हमारे बैग्स पीछे चल रहे फोर व्हीलर मे रखे हुए थे। उस गाडी मे दो मेकेनिक भी थे।यह गाडी हमारी बैकअप गाडी की तरह थी। किसी भी दुर्घटना के केस मे कुछ बाइकर्स इसमें बैठ सकते थे।सोहैल एक बुलेट पर आगे रह कर पूरी टीम को लीड कर रहा था।

'तीस्ता नदी' पर बने पूल से गुजरते हुए हम मालबाजार कस्बे मे पहुंचे।जहा कुछ देर रुक हमने चाय पी थी। तीस्ता नदी को सिक्किम और उत्तरी बंगाल की जीवनरेखा भी कहा जाता है।बंगाल से बहती हुई बांग्लादेश मे प्रवेश कर यह नदी ब्रम्हपुत्र नदी मे मिल जाती हैं। यहाँ पर से हमारी बाइक्स की स्पीड तय कर दी गयी थी। सभी को एक साथ रह कर ही बाइक चलाने को बोल दिया था। अब सबसे आगे सोहैल और सबसे पीछे बैकअप गाडी और बीच मे हम सब थे। मालबाजार से नगरकट्टा फिर वहा से मदारीहाट यहाँ तक तो मौसम सुहावना था। रास्ते मे बहुत ही कम ट्रैफिक की वजह से गाड़ियों की स्पीड भी अच्छी बन चुकी थी। इस दौरान आज पूरी गाडी मेने ही चलायी और पांडे जी मेरे पीछे बैठे रहे। जयगांव से कुछ ही दूरी पर अब तेज बारिश चालू हो चुकी थी और अँधेरा पड़ चूका था।तभी हमारी एक गाड़ी तेजी से फिसल कर गिर पड़ी।मै इसी गाडी के एकदम पीछे था। एक तरफ गाडी रोक सभी ने निचे गिरे वासु भाई को उठाया। वासु भाई नेवी से थे। उनको जल्द ही बैकअप गाडी मे बिठाया गया। गाडी के टूटे हुए कुछ हिस्से हमने संभाल के रख लिए।

Photo of भूटान की बाइक से यात्रा -2 by Rishabh Bharawa

भीगते भीगते जल्दी ही हम एक होटल मे जा रुके। मेरे एवं पांडे जी के पास रैनकोट होने से हम भीगने से बच गए। होटल मे जाते ही सभी को तीन तीन के हिसाब से कमरे दिए गए। दिब्यज्योति जिसका कि नाम काफी लम्बा होने से मै उसे DJ बोलने लगा ,वो एक कमरे कि चाबी ले आया। जिसमे पांडे जी भी हमारे साथ रहे। कमरे काफी बड़े और पूरी सुविधा से युक्त थे। भीगे हुए कपड़ो को सुखाने के लिए पांडे जी ने कमरे मे रस्सी बाँध दी। हमको रात की साढ़े नौ बज चुकी थी। खाना हमारा पैक किया मंगवा लिया था जिसको कि सबने रात को छत पर बैठ एक साथ खाने की सोची। बारिश बंद होते ही हम सभी छत पर खाना खाने जा पहुंचे। जहा मेरी मुलाकात मुंबई के अक्षय ,दिल्ली के नीरज एवं राजकोट के नितिन से हुई। इनके अलावा बेंगलोर से दो दोस्त स्वामी एवं संकेत भी हमारे साथ थे।

to be continued....