इंजीनियरिंग के समय मेने कही पढ़ा था -
“If you want to live a life you’ve never lived you have to do things you have never done.”
नयी नयी चीजे करने और सीखने की आदत तो मेरी इंजीनियरिंग के दौरान ही पड़ चुकी थी। इंजीनियरिंग के दौरान वैसे तो मे हर विषय मे काफी अव्वल रहा था ,परन्तु पढाई की वजह से कभी मेने अपने आप को दूसरे क्षेत्र मे भी पीछे नहीं रहने दिया। मेने अपनी बकेट लिस्ट कॉलेज के समय ही तैयार कर के रखी हुई थी । घूमना फिरना ,नए लोगो से तालमेल बनाना मुझे शुरू से पसंद आने लग गया । कॉलेज के दौरान भी दूसरे शहर मे होने वाली कॉन्फ्रेंस मे मैं अपने विषय के पेपर प्रेजेंट करने जाने लगा। कॉन्फ्रेंस से फ्री होते ही मैं वहा के दर्शनीय स्थल घूमने चला जाता था। फिर मेरी इंजीनियरिंग खत्म होते ही अचानक एक दिन मेरे पिता का देहावसान हो गया। 21 साल की उम्र मे परिवार की सब जिम्मेदारी मुझ पर आ गयी।कुछ समय मैं टूट गया,लेकिन हार कर बैठना एक विकल्प नहीं था। धीरे धीरे पिताजी के व्यापार को समझ मेने उसे निरंतर चलाने का प्रयास किया और साथ मे M.B.A. भी करने लगा। अपने परिवार एवं कुछ उस समय हमारे यहा कार्यरत कुछ लोगो की मदद से एक ही साल मे हमारा व्यापार तरक्की करने लगा। आज भी सोचता हु अगर नए नए लोगो से मिलना और नए काम सिखने की ललक मुझमे ना होती तो मैं शायद कही हार के बैठा होता और यहाँ नहीं लिख रहा होता।
जल्द ही मेने अपनी बकेट लिस्ट से कई चीजे पूरी कर उन्हें लिस्ट से हटाने लगा।अगस्त 2019 मे मुझे एक और नाम इस लिस्ट से हटाना था और वह था -
दिल्ली से श्रीनगर बाइक से होते हुए लेह लद्दाख घूम मनाली से वापस वापस दिल्ली लौटना। लेकिन उसी के कुछ दिन बाद आर्टिकल 370 वाले केस के कारण जम्मू -कश्मीर मे सारी आवाजाही बंद कर दी गयी।अब सोच लिया तो मुझे इस साल भी कुछ नया अनुभव तो लेना ही था तो उसी दिन मेने भूटान देश बाइक से घूमने का मन बनाया और उसी समय बिना सोचे समझे तत्काल एक एजेंसी से इसकी सिप्तेम्बर के लिए बुकिंग करवा दी। जल्द ही बाइक के सारे गियर्स भी मेने खरीद लिए।बुकिंग के कुछ ही दिन बाद बनारस के एक पहचान वाले यात्री ' पांडे जी ' मेरे घर आये हुए थे। बातो बातो मे उनसे इस यात्रा का जिक्र करने पर उन्होंने भी एक ही बाइक पर मेरे साथ जाने की बात रखी।तत्काल ही उनकी बुकिंग भी हो गयी।
8 सितम्बर को मेरी फ्लाइट दिल्ली से सिलीगुड़ी की होनी थी। किसी exhibition की वजह से मे 7 तारीख को ही दिल्ली पहुंच चूका था।पांडे जी सीधे ट्रैन से सिलीगुड़ी ही मिलने वाले थे। दोपहर करीब एक बजे मे अपने बैग्स लेके एयरपोर्ट से बाहर आ गया था। मुझे लेने के लिए एजेंसी से गाडी आने वाली थी ,पर उसके इंतजार मे बैठे रहने के बजाय मेने एक कैब बुक कर थोड़ा सा सिलीगुड़ी घूमकर निर्धारित जगह पहुंचने का मानस बनाया। बारिश की वजह से सुहावने हुए मौसम से वहा सभी लोग मुस्कुराते हुए नजर आ रहे थे। मेरी गाडी का ड्राइवर एक बिहारी व्यक्ति था। वो मुझे यहाँ पर नाथुला दर्रा ,दार्जिलिंग का पैकेज बताने लगा। मेरे कहने पर थोड़ा बहुत शहर के आस पास घुमा वो मुझे ले आया यहाँ की एकमात्र सबसे ऊँची बिल्डिंग के पास ,जहा सभी बाइकर्स को मिलना था। बिल्डिंग के 10 वे फ्लोर के the skkky club मे मुझे सभी से मिलना था। जहा पांडे जी पहले ही पहुंच चुके थे।
भारत से बाहर जाने का मेरे लिए यह उस समय तीसरा मौका था लेकिन तीनो बार सीमा पार करने का तरीका अलग अलग होना था। इस से पहले दुबई फ्लाइट से , तिब्बत (चीन) पैदल ट्रेक करके जाना हुआ तो वही भूटान बाइक से जाना हो रहा था।
....to be continued...