भीमताल, नैनीताल जिले का एक शहर है। खूबसूरत पहाडियों के बीच बसा यह शहर पर्यटन की दृष्टि से मुख्य भूमिका निभाता है। भीमताल एक त्रिभुजाकर झील है। यह उत्तराखंड में काठगोदाम से 10 किलोमीटर उत्तर की ओर है।
भीमताल के आस-पास घूमने वाली कई जगह हैं, जेसे नौकुचियाताल, नल-दमयन्ती ताल, सात-ताल, हिडिम्बा मंदिर, छोटा कैलास आदि। एसी ही एक जगह के बारे मे, मैं आज आपको बताना चाहती हूं। भीमताल की सबसे ऊंची चोटी कर्कोटक की पहाड़ी है। यह एक पुराना नाग मंदिर स्थित है । यह मंदिर नागों के देवता, नाग कर्कोटक महाराजा को समर्पित है। इस पहाड़ी का नाम पौराणिक “कोबराकर्कोताका मंदिर” के नाम पर रखा गया था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार नागों की माँ ने उन्हें अपना वचन भंग करने के कारण शाप दिया कि वे सब जनमेजय के नाग यज्ञ में जल भस्म होंगे । इससे भयभीत होकर शेषनाग हिमालय पर, कम्बल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत् में तप करने चले गए।
एलापत्र ने ब्रह्म जी से पूछा- “भगवान ! माता के शाप से हमारी मुक्ति कैसे होगी?” तब ब्रह्माजी ने कहा, “आप महाकाल वन में जाकर महामाया के सामने स्थित शिवलिंग की पूजा करो। तब कर्कोटक नाग वहाँ पहुँचा और उन्होंने शिवजी की स्तुति की। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर कहा कि “जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा।” इसके उपरांत कर्कोटक नाग वहीं लिंग में प्रविष्ट हो गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं। यह माना जाता है कि जो लोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार को कर्कोताका की पूजा करते हैं, उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती।
मैं इस मंदिर मैं नवंबर 2022 मै गयी थी। दोस्तो के साथ मेने आपनी ये हाइक शुरू की, रास्ते में काफी बार रुकने के बाद हम आपने गंतव्य तक पहुंचे। भीमताल की सबसे ऊँची चोटी से भीमताल का पूरा शहर देखना अपने आप में काफी मनमोहक था। कुछ देर मंदिर में बैठने के बाद हमने कुछ तस्वीरें ली, गाने गुनगुनाए, प्रकृति के खूबसूरत नजारों का लुफ्त उठाया और फिर अपने अपने घर की तरफ चल दिये। अगर आप भीमताल ज्यादा दिनों के लिए रुके हैं तो यहां जरूर जाएं।
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