भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरुप के करने है दर्शन तो इस तरह से करें यात्रा प्लान

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हमारे देश भारत में लोगों की भगवान् के प्रति आस्था को इसी बात से समझा जा सकता है कि यहाँ लगभग हर गली में आपको खुद को ईश्वर के करीब ले जाने के लिए मंदिर मिल जायेंगे। इसी तरह इन मंदिरों में से भगवान् शिव को समर्पित मंदिर भी आपको देश के कोने-कोने में देखने को मिलेंगे जिनमें भगवान् शिव के प्रतीक के रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है। इनमें से कई शिवलिंग मानव निर्मित हैं तो कुछ खास स्वयंभू भी हैं जिनके दर्शनों का अपना एक खास महत्त्व होता है। इन सभी में से सबसे खास हैं 12 ज्योतिर्लिंग जो सभी हमारे देश में स्थित हैं और इन सभी के लिए कहा जाता है कि ये स्वयंभू शिवलिंग हैं। ऐसा बताया जाता है कि जहाँ-जहाँ भी ये 12 ज्योतिर्लिंग स्थित हैं वहां महादेव ज्योति के रूप में उत्पन्न हुए थे और इसी तरह से ये सभी स्वयंभू शिवलिंग उत्पन्न हुए। और इन सभी ज्योतिर्लिंग के दर्शनों से मनुष्य के सभी कष्ट और पाप दूर हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इन्हीं 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जिनके दर्शनों के बारे में जानकारी आज हम इस लेख में आपको बताने वाले हैं जिसमें भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरुप के दर्शनों की बेहद महत्वपूर्ण जानकारी भी हम आपको देने वाले हैं। तो पूरी जानकारी के लिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग में से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग छठे स्थान पर आता है और यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य में सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण छत्रपति शिवजी महाराज ने करवाया था और उसके बाद 18वीं शताब्दी में नाना फडणवीस ने इस मंदिर के शिखर का निर्माण करवाया था। आस-पास सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला के खूबसूरत नज़ारों और घने जंगल के बीच स्थित है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जो अपने पौराणिक और धार्मिक महत्त्व के तौर पर तो बेहद खास है ही साथ ही यहाँ आने वाले भक्त आस-पास के प्राकृतिक नज़ारों को देखकर भी काफी आनंदित अनुभव करते हैं।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा

बताया जाता है कि शिवपुराण के अनुसार कुंभकर्ण का पुत्र जिसका नाम भीम था वह अपने पिता कुंभकर्ण की मृत्यु का बदला लेने के लिए उसने घोर तपस्या की और ब्रह्मा जी से विजयी होने का वरदान प्राप्त किया। जिसके बाद वह जिससे भी युद्ध करता उसमें विजय प्राप्त करता जिससे सभी देवता गण भी उससे काफी भयभीत होकर भगवान शिव से प्रार्थना करने लगे और भगवान् शिव ने राक्षस भीम से भीषण युद्ध करके उसे पराजित करके राख कर दिया। फिर सभी देवतागण प्रसन्न हो गए और फिर महादेव से वहीं पर शिवलिंग के रूप में स्थापित होने का आग्रह किया जिसे भोलेनाथ ने स्वीकार किया और तभी से अपने निराकार रुपी ज्योतिर्लिंग में स्थापित हो गए जिसे आज हम भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं।

सुबह 5 बजे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर का दृश्य

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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरुप के दर्शन

अगर आप भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग करने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए यह एक बहुत महत्वपूर्ण जानकारी है। बता दें कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पर अधिकतर समय चांदी का श्रृंगार रुपी कवच चढ़ा होता है जिससे आपको उस समय ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरुप के दर्शन नहीं हो पाते हैं। दिन में सिर्फ कुछ समय के लिए ही इस चांदी के कवच को हटाया जाता है और तब ही आप ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरुप के दर्शन कर सकते हैं।

आपको बता दें कि रोज़ सुबह 4:30 बजे की आरती के बाद करीब 5 बजे से 6 बजे तक आप मूल स्वरुप के दर्शन कर सकते हैं साथ ही ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक और फूल वगैरह भी अर्पित कर सकते हैं फिर उसके बाद चांदी का कवच लगा दिया जाता है। उसके बाद दोपहर में 12 बजे भी करीब 20-30 मिनट के लिए भी आप मूल स्वरुप के दर्शन कर सकते हैं लेकिन इतने से समय में इतनी भीड़ में दर्शन करना थोड़ा मुश्किल रहेगा। इसके अलावा मंदिर सुबह 4:30 बजे खुलता है और रात्रि 9 बजे तक भक्तों के लिए खुला रहता है जिसमें दोपहर 3 बजे, करीब 45 मिनट के लिए दर्शन बंद किये जाते हैं।

इसीलिए अगर आप भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के मूल स्वरुप के दर्शन करना चाहते हैं तो आप सुबह 5 बजे से पहले ही वहां पहुँचने की कोशिश करें। इस समय आपको भीड़ भी काफी कम मिलेगी जिससे आप बहुत अच्छे से दर्शन कर पाएंगे।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के पास रुकने और खाने-पीने की जगहें

जैसा हमने बताया कि भीमाशंकर के आस-पास घने जंगल हैं और यह सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला पर स्थित है जिससे यहाँ रुकने के लिए आपको बेहद कम होटल वगैरह की व्यवस्था मिलने वाली है। हालाँकि कुछ होटल्स आपको भीमाशंकर बस स्टैंड के पास मिल जायेंगे जिनमें बहुत छोटे कमरे के लिए भी अच्छा खर्चा आपको करना पड़ेगा लेकिन इसके अलावा आपको कोई परेशानी नहीं आने वाली और साफ़ सफाई वाले छोटे लेकिन अच्छे रूम आपको बस स्टैंड के पास मार्केट में मिल जायेंगे। इसके अलावा आप भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से करीब 5-7 किलोमीटर पहले बने कुछ रिसॉर्ट्स वगैरह में भी रुक सकते हैं बस वहां आस-पास आपको कोई मार्केट वगैरह नहीं मिलेगा और सिर्फ जंगल ही दिखेगा।

अगर बात करें मंदिर के आस-पास खाने-पीने की जगहों की तो आपको बता दें कि यहाँ एक छोटा मार्केट है जहाँ आपको कई रेस्टोरेंट मिल जायेंगे जहाँ उचित रेट पर अच्छा शाकाहारी खाना आपको मिल जायेगा और इसके अलावा भी आपको सभी छोटी-मोटी जरुरत का सामान यहाँ स्थित बाजार में मिल जायेगा।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शनों के लिए आप सबसे पहले महाराष्ट्र में स्थित पुणे शहर तक पहुँच सकते हैं जो कि देश के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह से हवाई, सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। फिर पुणे शहर से आप बस, टैक्सी या फिर खुद के वाहन से आसानी से करीब 120 किलोमीटर दूर स्थित भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पहुँच सकते हैं। आपको बता दें कि यहाँ पहुँचने के लिए सड़क मार्ग की स्थिति काफी अच्छी है जिससे आपको पहुँचने में कोई परेशानी नहीं होने वाली है। पुणे से सुबह 5:30 शाम 4 बजे तक नियमित तौर पर बस आपको भीमाशंकर पहुँचने के लिए मिल जाएगी।

इसके बाद भीमाशंकर पहुंचकर आपको मार्केट के पास से ही नीचे की ओर सीढ़ियां जाती दिखेंगी जिनके दोनों और काफी सारी दुकाने भी स्थित हैं। करीब 230 सीढ़ियां उतरकर आप भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर परिसर में पहुँच जाते हैं।

हमें उम्मीद है कि हमारी बताई ये जानकारी आपको भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग जाने के लिए प्लान करने में सहायता करेगी। इससे जुडी जितनी भी जानकारी हमारे पास थी हमने इस लेख के माध्यम से आपसे साझा करने की कोशिश की है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो इस आर्टिकल को लाइक जरूर करें और साथ ही ऐसी अन्य जानकारियों के लिए आप हमें फॉलो भी कर सकते हैं।

सुबह 5 बजे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की सीढ़ियां

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साथ ही अगर आप भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर का हमारा वीडियो भी देखना चाहते हैं तो आप नीचे दिए गए लिंक के द्वारा वो देख सकते हैं और अगर आप ऐसे ही कुछ और बेहतरीन स्थानों और जानकारियों के बारे में जानना चाहते हैं तो आप हमारे यूट्यूब चैनल WE and IHANA पर या फिर हमारे इंस्टाग्राम अकाउंट @weandihana पर भी जा सकते हैं।

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