मेरा शहर भीलवाड़ा वैसे तो पर्यटन के नाम पर इतना प्रसिद्ध नहीं हैं क्योंकि यहां छुट्टियां मनाने के लिए ऐसी कोई बड़ी जगह नहीं हैं।लेकिन भीलवाड़ा एक मिड स्टेशन जरूर हैं जहां से उदयपुर ,कोटा,चित्तौड़,नाथद्वारा आदि सब कुछ पास में ही पड़ता हैं यां यूं कहो कि अगर किसी को ये सब जगहें घूमने हो तो भीलवाड़ा शहर एक सेंटर स्टेशन बन सकता हैं।
वैसे तो भीलवाड़ा में कुछ मंदिर और पिकनिक पॉइंट्स बने हैं जहां हम लोकल्स आते जाते रहते हैं।इनके अलावा मानसून के समय यहां आस पास काफी झरने एक्टिव हो जाते हैं तो जरूर इधर कुछ भीड़ आ जाती हैं। बाकी गर्मियों में इधर कोई आना नही चाहता और रही बात सर्दियों की तो,सर्दियों में घूमने के लिए यहां एक शानदार जगह उभरती जा रही हैं।
भीलवाड़ा से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित "चावंडिया" नाम का एक छोटा सा गांव सर्दियों में घूमने के लिए एक परफेक्ट जगह बनती जा रही हैं।इसका कारण हैं यहां के तालाब के आसपास के क्षेत्र में निवास करती 50 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां और हर साल सर्दियों में यहां अनेकों नस्लों के सैकड़ों पक्षियों का आगमन होना।अब यह गांव एक उभरते पक्षी विहार के नाम से जाना जाने लग गया है।
गांव में प्रवेश करते ही आपको नजर आएगा "चावंडिया तालाब" और उसी तालाब के अंदर बना "चामुंडा माता मंदिर "। यहां पक्षी देखने आने वाले लोग सबसे पहले इस मंदिर में माता के दर्शन करते हैं और मंदिर के चारों तरफ बने प्रांगण से दूरबीन लगा कर पक्षी देखते हैं।इस पानी में सांप,कछुए और मछलियां तो आपको मंदिर में प्रवेश करने के दौरान आसानी से दिख जाएंगे।कछुए तो इस तालाब के किनारे किनारे काफी तादाद में बैठे दिखते हैं।मंदिर के आसपास की झाड़ियों में देखोगे तो कुछ सांप भी दिख जाएंगे।पिछले साल मुझे 4 से 5 सांप एक झाड़ी के पास एक साथ दिखे,उनमें से एक सांप मछली निगल रहा था।
मंदिर प्रांगण से ही आप तालाब के उपर सैकड़ों की तादाद में अलग अलग रंग बिरंगे छोटे बड़े पक्षी मंडराते पाएंगे।मंदिर के अंदर अच्छी शांति मिलेगी ,वही अगर पीछे के रास्ते से बाहर तालाब की तरफ आप जायेंगे तो अलग अलग तरह की तेज चहचहाहट हर दिशा से गूंजती सुनाई देगी।
आप चाहे तो अपनी गाड़ी मंदिर के आसपास ही खड़ी कर पैदल ही तालाब के चारों ओर तक घूम कर आ सकते हैं।इस दौरान आपको कई तरह के पक्षी काफी नजदीक से देखने को मिलेंगे।इनके बड़े बड़े घोंसले,घोसलों से उनके छोटे छोटे बच्चे ची–ची करते हुए,पक्षियों द्वारा मछलियां पकड़ते हुए और उन्हें बच्चों को खिलाते आप देख सकते है।यह सब चीजें करीब 2 घंटे का समय लेगी लेकिन पैदल किए गए इस विहार का सफर आपको कई अनुभव दे देगा।
2017 से यहां हर साल पक्षी महोत्सव का आयोजन भी होता आ रहा हैं जो कोरोना साल से रुका पड़ा हैं।इसमें "पक्षी पहचानो","पक्षी फोटो प्रदर्शनी","ऑन स्पॉट फोटोग्राफी" जैसी कुछ प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। पक्षी प्रेमियों के लिए तो यह जगह है ही।साथ ही साथ अगर आप एक फोटोग्राफर हैं तो आपको पक्षियों के अलावा कई प्राकृतिक फोटोज खींचने में यहां आनंद आने वाला है।
अगर दिसंबर से जनवरी के दौरान कभी किसी का इधर से गुजरना हुआ तो एक दिन रुक कर बर्ड वाचिंग के अनुभव का आनंद जरूर ले लेना चाहिए।
कैसे पहुंचे : भीलवाड़ा से कोटा रोड पर कोटड़ी चौराहे से कुछ 5 किलोमीटर मुख्य रोड से चावण्डिया का रास्ता जाता हैं।
अन्य पर्यटन स्थल : मेनाल ,कोटड़ी चारभुजानाथ मंदिर।