भरमौर: ये हिल स्टेशन तो हिमाचल में रहने वाले लोगों की भी बेहद पसंंद है!

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भरमौर हिमाचल प्रदेश में, देवदार के जंगलों और पीर पंजाल रेंज के बीच बसा एक प्राचीन शहर है। लेकिन बाहरी लोगों, विशेष रूप से उत्तर भारत के बाहर के यात्रियों के लिए, भरमौर अभी भी एक अनछुई जगह है ।

चंबा संग्रहालय में रखे हुए भरमौर के फव्वारे नुमा पत्थर के स्लैबों 600 ईस्वी पूर्व के हैं यानि चंबा शहर से कुछ ही घंटों की दूरी पर स्थित भरमौर का इतिहास और सभ्यता 1,400 वर्षों से भी पुराना है। यकीन मानिए, भरमौर ने वास्तुकला और सांस्कृतिक गौरव का एक सुनहरा समय देखा है, यह आपको विशाल चौरासी मंदिर परिसर को पहली बार देखते ही समझ आ जाएगा जो की 84 मंदिरों की एक विशाल मंदिर शृंखला है ।

श्रेय- मुनीष चंदेल

Photo of भरमौर, Himachal Pradesh, India by Saransh Ramavat

बुदील घाटी के किनारे पर स्थित, भरमौर चंबा से सिर्फ 60 कि.मी. दूर है जहाँ रवि घाटी की खतरनाक पहाड़ी सड़कों के ज़रिये दो घंटे की लंबी सड़क यात्रा के बाद पहुँचा जा सकता है। 626 ईस्वी पूर्व के प्राचीन मंदिरों के अलावा, भरमौर धौलाधर और शिवालिक रेंज में कई रोमांचकारी ट्रेक्स के एंट्रेस के रूप में भी जाना जाता है । भरमौर से शुरू होने वाले कुछ लोकप्रिय मार्ग मणिमहेश झील, बारा भंगल, कीलोंग से कलिचो दर्रा और थमसर दर्रा हैं। अगर आप एक उत्साही ट्रैवलर हैं, पर एक ज्यादा अच्छे ट्रेकर नहीं हैं, तो भी आप भरमौर के आसपास के गाँवों में घूम सकते हैं, जो गद्दी समुदाय के घर हैं। ध्यान दें कि चरवाहे और ग्रामीण मुख्य रूप से सर्दियों के दौरान यहाँ आते हैं जब वे यहाँ से अपनी भेड़-बकरियों को और ज़्यादा ऊँचाई वाले चरागाहों तक ले जाते हैं।

कई सौ साल पहले जब चंबा राज्य उत्तराखंड और जम्मू के क्षेत्रों में फैला था, तब भरमौर को ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता था। चंबा ज़िले की प्राचीन राजधानी होने के साथ-साथ इसे 'शिवभूमि' के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यहाँ भगवान शिव को समर्पित 100 से भी अधिक मंदिर है। बोलचाल के अनुसार, भरमौर के स्थानीय लोगों को, यहाँ पाए जाने वाले कई सारे पूजनीय शिव मंदिरों के कारण कैलाशवासी (शिव के घर, पर्वत कैलाश के निवासी) भी कहा जाता है।

श्रेय- एंड्रिया किरबी

Photo of भरमौर: ये हिल स्टेशन तो हिमाचल में रहने वाले लोगों की भी बेहद पसंंद है! by Saransh Ramavat

यहाँ क्या देखे ?

चौरासी मंदिर परिसर: 1,400 से अधिक वर्षों से खड़े, चौरासी मंदिर परिसर को यह नाम उन 84 तीर्थस्थलों से मिला है, जो भरमौर के बीच में बने हैं। परिसर में मणिमहेश मंदिर सबसे अधिक महत्व रखता है, क्योंकि यह भगवान शिव को समर्पित है और उन सभी मंदिरो में सबसे पुराना है। यहाँ के दूसरे छोटे मंदिर हिंदू देवताओं के मंदिरों जैसे विष्णु, हनुमान, लक्ष्मी नारायण और अन्य को समर्पित हैं।

भरमनी माता मंदिर परिसर: चीड़ और देवदार के पेड़ों के बीच स्थित, यह मंदिर परिसर मुख्य रूप से देवी भवानी माता को समर्पित है, जो दुर्गा के अवतार में से एक है। इन्हें भरमौर की संरक्षक देवी के रूप में भी जाना जाता है और स्थानीय लोग हर साल यहाँ तक की पैदल यात्रा करते हैं। भरमौर के मुख्य शहर से 4 कि.मी. की दूरी पर स्थित भरमनी मंदिर का पवित्र कुंड चंबा क्षेत्र के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है।

काकसेन-भागसेन जलप्रपात: भरमौर से लगभग 18 कि.मी. दूर, धारोल के पास कुगती वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी में मौजूद है यह जुड़वा वॉटरफॉल। कहा जाता है कि ये झरना कलयुग में पापों के भरते घड़े को दर्शाता है।

भरमौर के बाहरी इलाके में कई अन्य छोटे झरने भी हैं जैसे गेदेड, थाला और सतहाली झरने। ये सभी मुख्य शहर से 10 कि.मी. से कम दूरी पर हैं।

भरमौर से किए जाने वाले ट्रेक्स

भरमौर की एडवेंचर कंपनियाँ कई ट्रेकिंग टूर आयोजित करती हैं। यहाँ कुछ सबसे लोकप्रिय ट्रेल्स भी हैं जिन पर ट्रैवलर्स की आवाजाही लगी रहती है । इन सभी ट्रेक्स को करने का सबसे अच्छा मौसम जून से अक्टूबर तक है।

मणिमहेश झील ट्रेक: 13,500 फीट की ऊँचाई पर स्थित इस पवित्र झील पर हर साल कई हज़ार स्थानीय लोग और पर्यटक आते हैं । यह ट्रेक जो हडसर, धनचो और गौरीकुंड से होकर जाता है, इसे पूरा करने में लगभग 4 दिन और 3 रातें लगती है ।

श्रेय- मुनीष चंदेल

Photo of भरमौर: ये हिल स्टेशन तो हिमाचल में रहने वाले लोगों की भी बेहद पसंंद है! by Saransh Ramavat

भरमौर-कीलोंग ट्रेक: यह एक चुनौतीपूर्ण ट्रेक है, जहाँ आप घाटी छोड़ कर 16,153 फीट की ऊँचाई पर स्थित कालीचो दर्रे को पार करके लाहौल क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। भद्रा, बंसर, एलियास और त्रिलोकीनाथ से होकर जाने वाले इस ट्रेक में लगभग 7 दिन और 6 रातें लगती हैं।

बारा भंगाल ट्रेक: इस ट्रेक का रास्ता काफी दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यह भरमौर से शुरू होता है और धर्मशाला से 63 कि.मी. दूर बैजंथ पर खत्म होता है। इस मार्ग का उच्चतम बिंदु धनन्दर के बाद आता है, जहाँ यह ट्रेक 15,305 फिट की ऊँचाई तक पहुँच जाता है। यह ट्रेक, जो धारडी, लेक बसकैंप, बारा भंगाल और खानार से होकर जाता है, इसे पूरा करने मे लगभग 8 दिन और 7 रातें लगती है ।

कहाँ रहे ?

भरमौर में कई गेस्टहाउस हैं, लेकिन आप उनमें से कुछ पर ही ऑनलाइन बुकिंग करवा सकते हैं। हिमाचल प्रदेश पर्यटन होटल द्वारा संचालित गौरीकुंड होटल में ऑनलाइन बूकिंग करा सकते है, अभी बुक करने के लिए यहाँ क्लिक करें। यहाँ रहने के लिए एक पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस भी है; इसकी उपलब्धता की जाँच करने के लिए 01895225003 पर संपर्क करें ।

कैसे पहुँचा जाए ?

हवाई यात्रा: भरमौर से निकटतम हवाई अड्डा धर्मशाला के पास गग्गल में 190 कि.मी. दूर है। हवाई अड्डे से आपको बसें और टैक्सी आसानी से मिल जाएगी, लेकिन इस सड़क यात्रा में आपको 4 से 5 घंटे लगेंगे।

ट्रेन: भरमौर से निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट में 180 कि.मी. दूर है। पठानकोट रेलवे स्टेशन से बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं, और आपको ये दूरी तय करने में 4-5 घंटे लगेंगे।

सड़क मार्ग: दिल्ली से भरमौर पहुँचने का सबसे सुविधाजनक तरीका कश्मीरी गेट से सीधे चंबा तक HRTC की वॉल्वो से जाना है । रात भर की यह बस आपको सीधे चंबा तक ले जाएगी, जहाँ से आप दूसरी बस में सवार हो सकते हैं या भरमौर के लिए टैक्सी ले सकते हैं।

दूरस्थ क्षेत्रों की खोज करते समय, सुनिश्चित करें कि आप जिम्मेदारी से ट्रैवल करें और लोकल प्रथाओं का पालन करें।

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