कभी-कभी मन करता है ऐसी जगह जाने का जहां बिना पैसों के आराम की ज़िंदगी जी जा सके. न तो सरकार की बंदिशें हों और न ही कोई धार्मिक बंधन. क्यों आपका भी करता होगा न ऐसी जगह जाने का मन? लेकिन इसके लिए आपको विदेश जाने की ज़रूरत नहीं है, भारत में ही एक ऐसी टाउनशिप मौजूद है, जहां आपकी ये सारी ख़्वाहिशें पूरी हो सकती हैं. यही नहीं यहां सामान के लिए पैसों का लेन-देन करना तक ग़ैर-क़ानूनी है.
इस टाउनशिप में पैसे मायने नहीं रखते
हम बात कर रहे हैं पुडुचेरी के विल्लुपुरम ज़िले के Auroville टाउनशिप की. यहां तो न सरकार की दखलअंदाजी चलती है और न ही पैसों से कोई लेन-देन होता है. ये भारत का एक अनोखा टाउनशिप है जहां हर देश के नागरिक बिना किसी रोक टोक के रह सकते हैं. इस टाउनशिप में पैसे मायने ही नहीं रखते.
इसे श्री अरविंदो सोसाइटी प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया था
इस टाउनशिप को मीरा अलफ़ासा(Mirra Alfassa) ने 28 फ़रवरी 1968 में बसाया था. इसे श्री अरविंदो सोसाइटी प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया था. मीरा जी का मानना था कि ये शहर भारत में बदलाव की प्रेरणा बनेगा. इसे बनाने के पीछे ये सोच थी कि यहां लोग किसी भी देश से आकर धर्म और जाति को भुला कर आराम से रह सकें. यहां महिला और पुरुषों को बराबर समझा जाता है. उनमें कोई भेदभाव नहीं किया जाता.
इस टाउनशिप को रोज़र एंगर(Roger Anger) ने डिज़ाइन किया था. यहां कई देशों के लोग रहते हैं. यहां हर जाति, धर्म के लोग रहते हैं. उनके बीच कोई भेदभाव नहीं है. यहां कोई मंदिर नहीं है. यहां बस लोग योग करने के लिए बड़ी सी बिल्डिंग में एकत्र होते हैं. Auroville के सभी झगड़ों का निपटारा यहां के बड़े-बुज़ुर्ग ही करते हैं.
ख़ुद का एक ईमेल नेटवर्क भी है
यहां पर पैसों का इस्तेमाल सिर्फ़ बाहर से चीज़ें लाने के लिए ही होता है. इनका अपना ख़ुद का एक ईमेल नेटवर्क भी है. इस टाउनशिप में कोई भी आकर आराम से रह सकता है. बशर्ते उसे लोगों से किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करना होगा. इस टाउनशिप की अपनी एक अर्थव्यवस्था भी है. यहां इंडस्ट्री है, पढ़ने के लिए इंस्टीट्यूशन हैं, फ़ार्म हाउस हैं, रेस्टोरेंट भी हैं.
कुल मिलाकर ये एक कूल प्लेस है जहां राजनीति और धर्म को दूर से प्रणाम करने वाले लोग आराम से रह सकते हैं. क्या आप इस टाउनशिप में रहना चाहेंगे?