सिर्फ सर्दी में ही नहीं बल्कि पूरे साल बर्फ देखने को मिलती है जिसकी वजह से मौसम का लुत्फ़ दोगुना हो जाता है। साथ ही साथ इस जगह पर होने वाली तरह तरह की एक्टिविटी खासकर बर्फ पर स्कीइंग भी पर्यटकों को विविधतापूर्ण विकल्प उपलब्ध कराती है।
देश में कई जगहें ऐसी हैं जिनकी तुलना विदेशों के टॉप डेस्टिनेशन से की जाती है। ऐसी ही कुछ बातें मैंने उत्तराखंड स्थित औली के बारे में भी सुन रखी थी। औली की खूबसूरती इतनी बेमिशाल है कि इसे भारत के स्विट्जरलैंड की संज्ञा दी जाती है और पूरे साल देशी-विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। खास बात यह कि यहां सिर्फ सर्दी में ही नहीं बल्कि पूरे साल बर्फ देखने को मिलती है जिसकी वजह से मौसम का लुत्फ़ दोगुना हो जाता है। साथ ही साथ इस जगह पर होने वाली तरह तरह की एक्टिविटी खासकर बर्फ पर स्कीइंग भी पर्यटकों को विविधतापूर्ण विकल्प उपलब्ध कराती है।
फिर क्या था मैंने अपना बैगपैक बनाया और देश में विदेश देखने की इच्छा लिए नवम्बर के आखिर सप्ताह में औली के लिए निकल पड़ा। आपको बता दूं कि औली तक यात्री आसानी से वायुमार्ग, रेलमार्ग तथा सड़कमार्ग द्वारा पहुँच सकते हैं। औली का निकटतम एयरपोर्ट देहरादून और निकटतम मुख्य रेलवे स्टेशन हरिद्वार है। औली के लिए आप पास के शहरों से बसें और छोटी गाड़ियां भी ले सकते हैं। यह जगह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। दूर से ही आपको नंदादेवी, कमेट तथा दूनागिरी जैसे विशाल पर्वत चोटियों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। यहां पर देवदार के वृक्ष खूब पाए जाते हैं। जैसे ही आप इसके करीब पहुंचते हैं आपका मन ठंडी और ताजी हवाओं में उनकी खुशबु से भर जाता है। महसूस होता है कि औली सचमुच धरती का स्वर्ग है।
औली में प्रकृति ने अपने सौन्दर्य को खुल कर बिखेरा है।
फिर दीदार होता है कपास जैसी मुलायम बर्फ का और बच्चों की तरह बर्फ़बारी का तुत्फ उठाते देशी विदेशी सैलानियों का। इस जगह पर बर्फ गाड़ी और स्लेज आदि की व्यवस्था नहीं है। इस जगह पर केवल स्कीइंग और केवल स्कीइंग की जा सकती है और अनेक सुन्दर दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। मैं यहां पर तक़रीबन तीन सप्ताह तक रहा और इस बीच स्कीइंग का अपना चौदह दिन का सर्टिफिकेट कोर्स भी पूरा किया।
औली की यात्रा मेरे लिए एक यादगार यात्रा है जो कभी नहीं भूलेगी। आप भी अगर औली घूमने का मन बना रहे हैं तो आपको बता दूं कि अधिक ऊंचाई पर होने के कारण ये जगह मज़े देने के साथ साथ कई तरह की चुनौतियां भी पैदा करती है इसलिए आपका शारीरिक और मानसिक रूप से स्वास्थ्य होना और पूरी तैयारी के साथ जाना जरुरी है। सर्दी से बचने के लिए उच्च गुणवत्ता के गर्म कपड़े जैसे कि कोट, जैकेट, दस्ताने, गर्म पैंट और जुराबें होनी बहुत आवश्यक हैं। अच्छे जूते होना भी बहुत जरुरी है। घूमते समय सिर और कान पूरी और अच्छी तरह से ढके होने चाहिए। ऊंचाई के साथ पराबैंगनी किरणों का प्रभाव बढ़ता जाता है। आखों को बचाने के लिए चश्में का प्रयोग करना चाहिए। काफी सामान जी.एम.वी.एन. के कार्यालय से मैंने किराए पर लिए आप भी इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं।
यह जगह सचमुच हमारी कल्पनाओं से भी कहीं खूबसूरत है। अगर आप औली जाते हैं तो इन जगहों को देखना और महसूस करना बिलकुल भी नहीं भूलिये।
औली-जोशीमठ रोपवे
एशिया के सबसे लंबे गुलमर्ग रोपवे के बाद औली-जोशीमठ रोपवे को माना जाता है। लगभग 4.15 किलोमिटर लंबा ये रोपवे जिग-जैक पद्धति पर बना हुआ है। ये रोपवे देवदार के जंगलों के बीच से दस टॉवरों से गुजरता है, इसके आठवें टॉवर से रोपवे से उतरने-चढ़ने की व्यवस्था है। अगर आप औली आते हैं तो औली-जोशीमठ रोपवे का मज़ा लेना नहीं भूले।
स्कीइंग रेस
एफआइएस ने औली को स्कीइंग रेस के लिए अधिकृत किया है। स्कीइंग के लिए यहां पर 1300 मीटर लंबा स्की ट्रैक बना हुआ है। इस जगह पर स्कीइंग रेस का रोमांचित कर देना वाला अनुभव होता है। आपको यह अनुभव जरूर लेना चाहिए।
स्लीपिंग ब्यूटी
औली के ठीक सामने एक ऐसा पहाड़ नजर आता है जो बर्फ से ढकने के बाद एक लेटी हुई महिला का आकार ले लेता है। ये सुंदर दृश्य स्लीपिंग ब्यूटी के नाम से चर्चित है। इसे देखना आपके लिए बहुत ही अनोखा अनुभव होगा।
कृत्रिम झील औली
दुनिया की सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित कृत्रिम झील औली में है। इस झील को साल 2010 में बनाया गया, जोकि 25,000 किलोलीटर पानी रखने की क्षमता रखती है। यह झील कम बर्फबारी के महीनों में स्की ढलानों पर कृत्रिम बर्फ उपलब्ध कराने के लिए बनवाई गई थी। इस झील का पानी स्की ढलानों के साथ रखी स्नो गन्स में भरा जाता है। एक उचित स्की सतह बनाकर यह झील स्की सीज़न को बढ़ाने में सहायता करती है।
आर्टिफिशियल बर्फबारी
जब बर्फबारी नहीं होती है तो इसी झील का पानी लेकर औली में कृत्रिम बर्फ बनाई जाती है। यहां फ्रांस में निर्मित मशीनें लगाई गई हैं, जिनकी मदद से बर्फ बनाई जाती हैं।
औली का संजीवनी शिखर
उत्तराखंड ट्रेडिशनल मेडिसिन के लिए काफी पॉपुलर है। औली को औषधीय वनस्पतियों का भंडार भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि रामायण काल में जब हनुमानजी संजीवनी बूटी लेने हिमालय आए तो उन्होंने औली के टीले में रुककर यहां से ही द्रोणागिरि पर्वत को देखा और उन्हें संजीवनी बूटी का दिव्य प्रकाश नजर आया।
दोस्तों, आशा करता हूं कि यह लेख आप लोगों को पसंद आया होगा। मेरी कोशिश हर दिन आपको कुछ नया देने की रहती है। आपको लेख पढ़कर कैसा लगा स्ट्रोलिंग इंडिया ब्लॉग और अपने इस घुमंतू दोस्त के साथ जरूर बाटें।