दोस्तों इस पोस्ट में हम सिख धर्म से संबंधित पांच तख्त साहिब के बारे में बात करेंगे| सिख धर्म के पांच पवित्र तख्त साहिब है जो पवित्र गुरुद्वारा है|
हर सिख की इच्छा होती हैं कि वह अपने जीवन काल में पांचों तखत साहिब की यात्रा दर्शन करें।पांच तखतों में से तीन तखत तो पंजाब में ही है।
1. श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर
2. तखत श्री केशगढ़ साहिब आनंदपुर साहिब
3. तखत श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो
दो तखत साहिब गुरूद्वारे पंजाब से बाहर है,
4. तखत श्री हरिमंदर जी पटना साहिब बिहार
5. तखत सचखंड श्री हजूर साहिब नांदेड़ महाराष्ट्
सिख धर्म में पांच पवित्र तख्त है| इसमें से श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर सिख धर्म का पहला तख्त है| अकाल तख्त साहिब दो शब्दों के सुमेल से बना है| अकाल का अर्थ है वाहेगुरु प्रमात्मा जो काल से रहित है जिसके ऊपर काल का कोई असर नहीं है| तख्त फारसी का शब्द है जिसका अर्थ होता है सिंहासन|
सिख धर्म के छठे गुरु हरि गोबिंद साहिब जी ने दरबार साहिब अमृतसर के परिसर में अकाल तख्त की सथापना की | गुरु हरि गोबिंद जी ने मीरी और पीरी की दो तलवारें धारण की| अकाल तख्त साहिब अमृतसर से ही गुरु जी ने सिख संगत को हुकमनामे जारी किया करते थे| गुरु जी ने सिखों को शस्त्र, घोड़े आदि लाने के लिए कहा| सिख धर्म के धार्मिक मसलों के अकाल तख्त साहिब पर ही फैसले होते हैं| अकाल तख्त साहिब सिख धर्म की सिरमौर ईमारत है| आप जब भी दरबार साहिब अमृतसर दर्शन करने जाए तो श्री अकाल तख्त साहिब के दर्शन भी जरूर करना| श्री अकाल तख्त साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश है और गुरु साहिब से संबंधित शस्त्र भी रखे हुए हैं| अमृतसर शहर सिखों का पवित्र शहर है| अमृतसर को सिख धर्म के चौथे गुरु रामदास जी ने बसाया था| अमृतसर में श्री अकाल तख्त साहिब के साथ आप श्री दरबार साहिब जिसे गोल्डन टैंपल कहते हैं | इसके दर्शन कर सकते हैं| इसके अलावा अमृतसर में बहुत सारे ईतिहासिक गुरुद्वारा साहिब हैं जैसे गुरुद्वारा लाची बेर साहिब, गुरुद्वारा गुरु के महल, गुरुद्वारा बाबा अटल साहिब, गुरुद्वारा कौलसर साहिब, गुरुद्वारा बिबेकसर साहिब, गुरुद्वारा संतोख सर साहिब, गुरुद्वारा शहीद गंज बाबा दीप सिंह जी, गुरुद्वारा किला लोहगढ़ साहिब आदि|
अमृतसर पंजाब का बड़ा शहर है| अमृतसर आप रेलवे मार्ग, बस और वायु मार्ग से पहुंच सकते हो| अमृतसर रेलवे मार्ग से देश के सभी शहरों से जुड़ा हुआ है| बस मार्ग से भी आप चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, जम्मू आदि शहरों से पहुंच सकते हो | अमृतसर एयरपोर्ट भी भारत के अलग अलग शहरों से जुड़ा हुआ है| रहने के लिए अमृतसर में आपको हर बजट के होटल मिल जाऐंगे|
तख्त श्री केशगढ़ साहिब
आनंदपुर साहिब जिला रोपड़ पंजाब
आज हम बात करेंगे सिख धर्म के पांच पवित्र तख्तों में से एक तख्त श्री केशगढ़ साहिब की जो पंजाब के जिला रोपड़ में चंडीगढ़ से 90 किमी और रोपड़ से 45 किमी दूर हैं। सिख ईतिहास में आनंदपुर साहिब का बहुत महत्व है, यहां दर्शन करने के लिए बहुत ईतिहासिक गुरुद्वारे और किले हैं। आनंदपुर साहिब को नौवें पातशाह गुरु तेग बहादुर जी ने कहलूर रियासत ( बिलासपुर) के राजा से जमीन खरीद कर बसाया था। इसी पवित्र धरती पर मुगलों के आतंक से परेशान हो कर कशमीरी पंडित गुरु तेग बहादुर जी के पास फरियाद लेकर आए थे, यहां पर ही गुरु गोबिंद सिंह जी के तीन साहिबजादों का जन्म हुआ। इसी पवित्र धरती पर गुरु जी ने पांच किले बनवाए। इसी धरती पर गुरु गोबिंद सिंह जी को गुरगद्दी मिली, इसी धरती पर गुरु तेगबहादुर जी के सीस का अंतिम संस्कार हुआ। कभी आनंदपुर साहिब के गुरुद्वारा साहिब की यात्रा और ईतिहास के बारे में विस्तार में लिखूंगा। आनंदपुर साहिब के ईतिहासिक गुरुद्वारों की लिस्ट बहुत लंबी हैं। आज हम बात करेंगे आनंदपुर साहिब के सबसे महत्वपूर्ण सथल तख्त श्री केशगढ़ साहिब की।
तख्त श्री केशगढ़ साहिब ः
केशगढ़ साहिब एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इसी जगह पर साहिबे कमाल कलगीधर पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 ईसवीं की बैशाखी पर खालसा पंथ की सथापना की। आज केशगढ़ साहिब सिख धर्म के पांच सबसे महत्वपूर्ण गुरुद्वारों में से एक हैं। 1699 ईसवीं की बैशाखी को एक भारी इकट्ठ को संबोधित करते हुए गुरु गोबिंद सिंह जी ने एक शीश की मांग की जो जुल्म के खिलाफ लड़ सके, एक एक करके पांच शिष्य आगे आकर अपने शीश गुरु जी को देने के लिए आगे बढ़े। बाद में यहीं पांच शिष्य गुरु जी के पांच पयारे बने। जिनके नाम निम्नलिखित हैं...
भाई धरम सिंह
भाई दया सिंह
भाई मोहकम सिंह
भाई हिम्मत सिंह
भाई साहिब सिंह
गुरु जी ने इन पांच शिष्यों को अमृत छकाया और खालसा पंथ की सथापना की। आज भी देश विदेश से श्रद्धालु केशगढ़ साहिब में माथा टेकने आते हैं। केशगढ़ साहिब की ईमारत बहुत शानदार और विशाल हैं। केशगढ़ साहिब गुरु जी का एक किला भी था, दूर से देखने पर आपको सफेद रंग के किले के रूप में दिखाई देगी केशगढ़ साहिब की ईमारत। केशगढ़ साहिब के अंदर गुरु ग्रंथ साहिब जी एक सुंदर पालकी में बिराजमान हैं। वहीं अंदर दरबार में गुरु जी के बहुत सारे ईतिहासिक शस्त्र भी संगत के दर्शनों के लिए रखे हुए हैं, जैसे खंडा, कटार, सैफ, बंदूक,नागिनी बरछा आदि। इसके साथ गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के पवित्र केश और एक कंघा भी रखा हुआ है। यहां पर रहने की और लंगर की उचित वयवस्था हैं। जब भी आप पंजाब घूमने आए तो इस ईतिहासिक धरती को नमन करने आनंदपुर साहिब जरूर जाना।
कैसे पहुंचे- आनंदपुर साहिब पंजाब के जिला रोपड़ में है | चंडीगढ़ से इसकी दूरी 90 किमी, रोपड़ से 45 किमी है| आप रेलवे मार्ग से और बस मार्ग से आनंदपुर साहिब पहुंच सकते है| यहाँ का नजदीकी एयरपोर्ट चंडीगढ़ है जो 100 किमी दूर है| रहने के लिए आपको आनंदपुर साहिब गुरुद्वारा की सराय में बहुत सारे कमरे मिल जाऐंगे|
तखत श्री दमदमा साहिब
तलवंडी साबो जिला बठिंडा पंजाब
इस पवित्र जगह को नौवें गुरु तेग बहादुर जी और दसवें पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी की चरण छोह प्राप्त हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज आनंदपुर साहिब से चल कर चमकौर साहिब के युद्ध के बाद माछीवाड़ा, रायकोट, मुक्तसर के युद्ध के बाद जनवरी 1705 ईसवीं में यहां आए थे और इसी जगह पर उन्होंने अपना कमरकसा खोल कर दम लिया था , तभी यह जगह दमदमा साहिब के नाम से मशहूर हो गई। गुरु जी यहां नौ महीने से भी जयादा समय तक रहे। इसी पावन धरती को गुरु काशी का वर दिया जहां आज सिख धर्म की शिक्षा के संस्थान और यूनिवर्सिटी बनी हुई है। इस पावन धरती पर ही गुरु गोबिंद सिंह जी ने भाई मनी सिंह जी से श्री गुरू ग्रंथ साहिब जी के पावन सरूप को संपूर्ण करवाया। यहां पर ही शहीदां मिसल के सरदार शहीद बाबा दीप सिंह जी की देख रेख में गुरूबाणी पढ़ने लिखने सीखने के लिए एक टकसाल शुरू की गई । बाबा दीप सिंह जी की याद में यहां सुंदर बुरज बना हुआ है। यहां पर संगत के दर्शन के लिए बहुत ईतिहासिक वस्तुओं को रखा गया है जो गुरूओं से संबंधित हैं
1. श्री साहिब पातशाही नौंवी
2. निशाना लगाने वाली बंदूक
3. तेगा बाबा दीप सिंह ।
तखत साहिब के आसपास बहुत सारे ईतिहासिक गुरूद्वारे भी दर्शनीय है।
जैसे गुरूद्वारा लिखन सर
गुरूद्वारा जंड सर
गुरूद्वारा महँल सर
गुरूद्वारा बाबा बीर सिंह धीर सिंह
गुरूद्वारा माता सुंदरी जी
बुरज बाबा दीप सिंह
अगर कभी समय मिला तो पूरे तखत साहिब के गुरूद्वारा साहिब के ईतिहास के बारे में जरूर लिखूंगा।
तखत श्री दमदमा साहिब की ईमारत बहुत आलीशान हैं। यहां पर रहने के लिए बहुत सारी सरांय बनी हुई है। लंगर की उचित सुविधा हैं। आप जब भी पंजाब आए तो केवल अमृतसर घूम कर वापिस मत चले जाना । पंजाब के दक्षिण भाग के शहर बठिंडा को भी अपने टूर में शामिल कर लेना। तखत दमदमा साहिब बठिंडा शहर से 30 किमी दूर हैं। यहां की बैशाखी बहुत मशहूर हैं , गुरु गोबिंद सिंह जी ने भी 1705 ईसवी की बैशाखी यहां मनाई थी।
कैसे पहुंचे - तख्त श्री दमदमा साहिब तलवंडी साबो जिला बठिंडा पंजाब में है| बठिंडा शहर से इसकी दूरी 30 किमी के आसपास है| आप बठिंडा तक रेलवे मार्ग से आ सकते हो| बठिंडा भारत के अलग अलग शहरों से रेलवे मार्ग से जुड़ा हुआ है| बठिंडा में एयरपोर्ट भी है जो दिल्ली से जुड़ा हुआ है| बस मार्ग से आप चंडीगढ़, अमृतसर, लुधियाना, दिल्ली, जम्मू, जयपुर आदि शहरों से बठिंडा पहुँच सकते हो| रहने के लिए आपको बठिंडा में भी बहुत सारे होटल मिल जाऐंगे| आप दमदमा साहिब गुरुद्वारा की सराय में भी कमरा ले सकते हो| यहाँ आपको लंगर की सुविधा भी मिलेगी|
तख्त श्री हरिमंदर जी
पटना साहिब बिहार
दोस्तों सिख धर्म में पांच तख्त हैं जिसमें से एक तख्त बिहार की राजधानी पटना शहर की धरती पर हैं, जिसे तख्त श्री हरिमंदर जी पटना साहिब कहते हैं। इस पवित्र जगह पर साहिब ए कमाल श्री गुरू गोबिंद सिंह जी महाराज का जन्म 22 दिसंबर 1666 ईसवीं को हुआ। आपके पिता जी नवम गुरू तेग बहादुर जी और माता गुजरी जी थे। हर सिख गुरू जी के आदर में पटना शहर को पटना साहिब के नाम से बुलाता हैं। गुरू गोबिंद सिंह जी का बचपन पटना शहर में ही बीता। गुरू जी ने अपने बचपन की बाल लीला इसी शहर में की, तकरीबन 6 या 7 साल गुरू जी ने पटना शहर में बिताए। मुझे भी दो बार पटना साहिब के दर्शन करने का सौभाग्य मिला , पहली बार 2012 और दूसरी बार 2018 में। तख्त श्री हरिमंदर साहिब की ईमारत बहुत खूबसूरत बनी हुई हैं, यहां गुरु जी के साथ संबंधित बहुत सारी ईतिहासिक वस्तुओं को संभाल कर रखा हुआ हैं। यहां संगत के रहने के लिए सराय और खाने के लिए लंगर का उत्तम प्रबंध हैं। जब भी आप पटना जाए तो गुरू गोबिंद सिंह महाराज की जन्मभूमि को नमन करना मत भूलना। पटना शहर में गुरु नानक देव जी और गुरु तेग बहादुर जी के भी गुरुद्वारा दर्शनीय है| इसके अलावा पटना शहर में आप गुरुद्वारा बड़ी संगत साहिब, गुरुद्वारा बाल लीला साहिब, गुरुद्वारा गुरु का बाग, गुरुद्वारा गोबिंद सिंह घाट, गुरुद्वारा हांडी साहिब आदि ईतिहासिक गुरुद्वारा साहिब के भी दर्शन कर सकते हो|
कैसे पहुंचे- पटना बिहार राज्य की राजधानी है| आप पटना बस, रेल और वायु मार्ग से पहुंच सकते हो| पटना रेलवे मार्ग से भारत के अलग अलग शहरों से जुड़ा हुआ है| पटना में एयरपोर्ट भी है जहाँ आप भारत के अलग अलग शहरों से आ सकते हो| रहने के लिए पटना में आपको हर बजट के होटल मिल जाऐंगे| आप गुरुद्वारा साहिब की सराय में भी रह सकते हो|
महाराष्ट्र के नादेंड शहर में तख्त सचखंड श्री हजूर साहिब गुरुद्वारा है| इस ईतिहासिक गुरुद्वारा साहिब का नाम भी सिख धर्म के पांच तख्त साहिब में नाम आता है| सचखंड श्री हजूर साहिब को अबिचल नगर भी कहा जाता है| इस गुरुद्वारे का ईतिहास दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी से जुड़ता है| इसी जगह पर 7 अकतूबर 1708 ईसवीं में गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ज्योति जोत समाए थे| गुरु जी ने अपने जीवन का अंतिम समय इसी जगह पर गुजारा था| इसी जगह पर ही गुरु गोबिंद सिंह जी ने गुदगदी गुरु ग्रंथ साहिब को सौंप थी ती और गुरु ग्रंथ साहिब को ही अगला गुरु घोषित कर दिया था | यहीं पर गुरु गोबिंद सिंह जी ने कहा था "सब सिखन को हुक्म है गुरु मानियो ग्रंथ" महाराष्ट्र का नादेंड शहर गोदावरी नदी के तट पर बसा हुआ है| हजूर साहिब वह पवित्र गुरुद्वारा है जहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज का अंतिम संस्कार हुआ था| नादेंड में ही गुरु गोबिंद सिंह जी ने बाबा बंदा सिंह बहादुर को सिंह सजाकर पंजाब के लिए भेजा था| नादेंड में आकर आपको ऐसा लगेगा जैसे आप पंजाब में घूम रहे हो| नादेंड शहर में बहुत सारे ईतिहासिक गुरुद्वारा साहिब है |नादेंड शहर में देखने लायक कुछ गुरुद्वारे इस प्रकार है|
गुरुद्वारा लंगर साहिब
गुरूद्वारा संगत साहिब
गुरुद्वारा माल टेकड़ी साहिब
गुरुद्वारा हीरा घाट साहिब
गुरुद्वारा नगीना घाट साहिब
गुरुद्वारा बंदा घाट साहिब
गुरुद्वारा माता साहिब कौर जी
गुरुद्वारा शिकार घाट साहिब
गुरुद्वारा गोबिंद बाग साहिब
आप नादेंड में इन ईतिहासिक गुरुद्वारा साहिब के दर्शन कर सकते हो| लोकल गुरुद्वारा दर्शन के लिए गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से एक बस भी चलाई जाती है जो बहुत मामूली शुल्क से आपको लोकल गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करवा देती है| इसके अलावा नादेंड में लोकल गुरुद्वारा साहिब दर्शन करने के लिए आप टैक्सी भी कर सकते हो|
नादेंड महाराष्ट्र का एक शहर है| नादेंड महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से 617 किमी, औरंगाबाद से 285 किमी और तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से 275 किमी दूर है| नादेंड आप बस मार्ग, रेल मार्ग और वायु मार्ग से पहुंच सकते हो| नादेंड रेलवे मार्ग से पंजाब के अलग अलग शहरों जैसे अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, चंडीगढ़, बठिंडा से जुड़ा हुआ है| मुम्बई, नागपुर, दिल्ली, हैदराबाद, अहमदाबाद आदि जगहों से भी आप रेल मार्ग से यहाँ पहुंच सकते हो| नादेंड में गुरु गोबिंद सिंह जी के नाम पर एयरपोर्ट भी बना हुआ है जो अमृतसर, चंडीगढ़ और मुंबई से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है| नादेंड में रहने के लिए बहुत सारी सराय आदि बनी हुई है| जहाँ आप एसी रुम से लेकर साधारण रुम आदि बुक कर सकते हो| नादेंड में बहुत सारे गुरुद्वारा साहिब है जहाँ आपको लंगर की सुविधा मिलेगी| नादेंड रेलवे स्टेशन पर जैसे पंजाब से कोई रेलगाड़ी पहुंचती है तो गुरुद्वारा ट्रस्ट की बस संगत को बस में बैठाकर गुरुद्वारा साहिब पहुंचा देती है वह भी बिलकुल मुफ्त में| ख