नमस्कार दोस्तो में विनोद कुमार करनाल से
बात है 24 अगस्त की मेरी बेटी हर्षिता मेरे को कहती है पापा मेरे को अमृतसर जाना है आप लेकर चलो मैने कहा बेटा अगले महीने चलेंगे लेकिन वो नही मानी कहने लगी अगले महीने स्कूल मे एग्जाम है में तब नही जा पाऊंगी तो मैंने कहा कोई बात नही एक या दो दिन में चलेंगे वैसे तो करनाल से सुबह आम्रपाली एक्सप्रेस शाने पंजाब और पठानकोट एक्सप्रेस चलती है लेकिन उसमें दोपहर को 3 से 4 बज जाती है तो मैंने उस से कहा कि हम रात को जम्मू मेल से चलेंगे ओर जालंधर से ट्रेन चेंज करके अमृतसर वाली ट्रेन पकड़ लेंगे 26 तारीख को हम जम्मू मेल में बैठने के लिए घर से चल पड़े मेरे साथ मेरी वाइफ मेरी बेटी हर्षिता ओर मेरा बेटा कार्तिक जो कि 5 साल का है स्टेशन पर पहुँचने के 10 मिनट बाद ही ट्रेन आ गयी मै अपनी फैमिली के साथ लास्ट मैं खड़ा था वहां पर लेडीज डिब्बा आ गया जो कि बिल्कुल खाली था मैं भी उसी डिब्बे में ही बेठ गया 3बजकर 15 मिनट पर ट्रेन जालंधर कैंट पहुँच गयी हम वहां पर उतर गए 20 मिनट बाद ही जलियावाला एक्सप्रेव्स आ गयी उसमे भी हमे जगह आराम से मिल गयी क्योकि उस दिन ट्रैन में ज्यादा रश नही था सुबह के 5 बजकर 30 मिनट पर ट्रेन अमृतसर पहुँच गयी थी हमने स्टेशन से बाहर निकल कर ऑटो रिक्शा किया 6 बजे ऑटो वाले ने हमे पार्टीशन म्यूसियम के आगे उतार दिया वहां से हम श्री हरमंदिर साहिब के लिए चल पड़े सुबह के टाइम मार्किट सारि बन्द थी मेरी बेटी कहती है कि पापा मेरी फ़ोटो खींचो मोबाइल से तो कुछ फोटो खींची जाते जाते
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जब हम हरमंदिर साहिब के पास पहुँचने वाले थे तो रास्ते में कुछ लोग आ गए जो कि होटल के बारे मे बात कर रहे थे हमने एक गेस्ट हाउस में कमरा ले लिया जो कि 700 रुपए मैं ऐसी रूम था आशा गेस्ट हाउस में रूम बहुत अच्छा था हमने 8 बजे तक रूम में लेट कर आराम किया 9 बजे नहाघोकर तैयार होकर हरमंदिर साहिब में दर्शन के लिए चल पड़े
जब हम हरमंदिर साहिब के पास पहुँचने वाले थे तो रास्ते में कुछ लोग आ गए जो कि होटल के बारे मे बात कर रहे थे हमने एक गेस्ट हाउस में कमरा ले लिया जो कि 700 रुपए मैं ऐसी रूम था आशा गेस्ट हाउस में रूम बहुत अच्छा था हमने 8 बजे तक रूम में लेट कर आराम किया 9 बजे नहाघोकर तैयार होकर हरमंदिर साहिब में दर्शन के लिए चल पड़े
करीब 90 मिनट बाद लाइन में लगने के बाद हमे दर्शन हुवे उसके बाद हम बाहर आ गए भूख बहुत ज्यादा लग रही थी 11 बज चुके थे तो बाहर आकर ही मार्किट में एक दुकान पर अमृतसरी नान की 3 प्लेट मंगवाई जो कि बहुत ही ज्यादा टेस्टी थे मेरे बेटे कार्तिक ने खाना बिल्कुल नही खाया उसने अंकल चिप्स खाई ओर फ्रूटी पी खाना खाने के बाद हम अब जलियावाला बाग की तरफ चल पड़े जो कि बिल्कुल सामने था वहां जाकर भी हमने कुछ तस्वीरें खींची अपने मोबाइल से
जलियावाला बाग से बाहर आकर बड़ी गर्मी लगने लगे गयी क्योकी12 बज चुकी थी तो कहि घूमने फिरने की जगह हमने गेस्ट हाउस में जाकर आराम करना ही उचित समजा गेस्ट हाउस में जाते ही हमे नींद आ गयी ऐसी की हवा मैं। सारि गर्मी खत्म हो चुकी थी जब आंख खुली तो टाइम देखा 4 बजकर 35 मिनट हो चुके थे मैने बचो को उठाया और गेस्ट हाउस से बाहर मार्किट में आ गए वहां आकर ऑटो रिक्शा कर के दुर्गयाना मंदिर गए एक घंटे तक हम मंदिर में रहे
मंदिर से आने के बाद शाम हो चुकी थी मेरी वाइफ मेरे से बोली कि गुरुदवारा में जाकर बैठते है थोड़ी देर तो हम एक घंटा पूरा दरबार में बैठे रहे रात की लाइट में दरबार साहिब की शोभा देखते ही बनती है एसा लगता है कि आदमी जन्नत मैं बेठा हुआ है दिल खुश हो गया इतना सकूँन मिला कि बता नही सकता उसके बाद हम लंगर घर चले गए वहां लंगर खाया और उसके बाद अपने कमरे मे आकर सो गए सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर मेरी आँख खुल गयी मैने अपनी पत्नी को भी उठाया फ्रेस होकर दरबार साहिब गए वहाँ दुःखभंजन बेरी पर स्नान किया और सुबह सुबह ही दर्शन कर लिए दरबार साहिब के क्योकि इतनी संगत भी नही थी सुबह सुबह
दर्शन करने के पशचात गेस्ट हाउस वापिस आया और बचो को उठाया और ऑटो रिक्शा पकड़ कर स्टेशन पहुँच गए स्टेशन पर पहुँचने के 15 बाद ही पश्चिम एक्सप्रेस जिसमे की हम बैठे थे चल पड़ी सुबह के 8 बजकर 10 मिनट पर पूरी 2 बजे हम करनाल पहुँच गए थे