कज़ाकिस्तान-उज़्बेकिस्तान -दुबई यात्रा : 5

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Photo of कज़ाकिस्तान-उज़्बेकिस्तान -दुबई यात्रा : 5 by Rishabh Bharawa

कज़ाकिस्तान वैसे तो मुस्लिम देश हैं इसीलिए आप लोग सोचते होंगे कि यहाँ मस्जिदे ,मीनारे आदि कुछ प्रसिद्द स्थल होंगे लेकिन ये जगहें उज़्बेकिस्तान में काफी हैं कज़ाकिस्तान में काफी कम। कज़ाकिस्तान की पूर्व राजधानी अल्माटी में पर्यटन स्थल के रूप में एक चर्च सबसे ज्यादा मशहूर हैं जिसका नाम हैं - Zenkov Cathedral (Ascension Cathedral)

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यह चर्च 1907 में बनाया गया था तब कज़ाकिस्तान रूस (USSR ) का भाग था और यह अपनी खूबसूरती एवं कुछ विशेषताओं के लिए प्रसिद्द हैं। इसकी ऊंचाई 56 मीटर हैं और यह पूरा लकड़ी का ही बना हुआ हैं बिना किसी कील के इस्तेमाल के। इसे दुनिया का दूसरा सबसे ऊँचा लकड़ी का बना चर्च माना जाता हैं।यह एक घने हरे भरे बगीचे के बीचोबीच स्थित हैं। इसके बाहर बच्चो के लिए काफी सारी मनोरंजक गतिविधिया हैं। आप यहाँ कबूतरों को अपने हाथ से दाना खिला सकते हैं,शानदार फोटोग्राफी कर सकते हैं।

Photo of कज़ाकिस्तान-उज़्बेकिस्तान -दुबई यात्रा : 5 by Rishabh Bharawa
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इस चर्च का फोटो मैंने यहाँ जाने से पहले भी कई बार देखा था और मुझे यहीं पता था कि यह एक चर्च हैं। मैं हमेशा सोचता था कि इसके अंदर असल में होगा क्या ,कैसा दिखता होगा यह अंदर से।तो आज के वीडियो जो कि rishabh bharawa vlogs पर रीलिज हुआ हैं ,उसमें इसके अंदर की वीडियोग्राफी भी हैं।हम अपने अपार्टमेंट से पैदल घूमते घूमते हुए यहाँ पहुंचे थे ,केवल अंतिम के एक किलोमीटर में हमने टैक्सी की थी ,क्योंकि हम केवल भटकते ही जा रहे थे ,यहाँ पहुंचने का सही रास्ता पता नहीं लग पा रहा था। कज़ाकिस्तान में भारत से काफी छात्र मेडिकल की पढाई करने जाते हैं ,एक बिहार का छात्र हमें मिला था उसने ही काफी सारा रास्ता हमें समझाया था।उसने मेरे मोबाइल नंबर पर एक इंडियन रेस्टॉरेंट "स्पाइस मंत्र "का भी नाम पता मुझे भेज दिया।

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इस चर्च के सामने ही स्थित हैं यहाँ का वार म्यूजियम जिसको Park of 28 Panfilov Guardsmen कहते हैं जो कि सेकंड वर्ल्ड वॉर के समय की कहानी बताता हैं। म्यूजियम के बाहर ही एक स्थानीय व्यक्ति ने अंग्रेजी में हमसे बात की ,हमें लगा कि यह व्यक्ति भी हमारे साथ फोटोज खींचने आया हैं और अभी मिथुन ,अमिताभ ,शाहरुख़ जैसे नाम लेगा।लेकिन वो व्यक्ति उस म्यूजियम का एक बड़ा सरकारी अफसर था और उसने बताया कि उसकी माता अपने इलाज के लिए भारत आती ही रहती हैं। उसके बाद में उसने हमें करीब दो घंटे दिए और पूरा म्यूजियम बड़ी बारीकी से घुमाया ,हमारे फोटोज खींचे ,सेकंड वर्ल्ड वॉर के समय रूस और जर्मनीं के युद्ध की कहानिया सुनाई , म्यूजियम के हर एक उपकरण के बारें में हर तरह का नॉलेज देने की कोशिश की।उसने अपनी माँ को भी फ़ोन करके हमारे बारें में ख़ुशी से बहुत कुछ बताया। कुल मिलाकर हमें एक भारतीय होने के नाते इतना अपनापन दिया कि हमें भारतीय होने पर और ज्यादा गर्व हो रहा था। बाकी कहानी जल्दी ही..... तब तक आप आज का वीडियो जरूर देखे rishabh bharawa vlogs पर

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