कर्नाटक की अनमोल विरासत का खजाना- बादामी, पट्टाडकल और आईहोल जानिए कया है इनका ईतिहास

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Photo of कर्नाटक की अनमोल विरासत का खजाना- बादामी, पट्टाडकल और आईहोल जानिए कया है इनका ईतिहास by Dr. Yadwinder Singh

कर्नाटक के उत्तर भाग में बागलकोट जिले में बादामी एक ईतिहासिक शहर है | बादामी 543 ईसवीं से लेकर 757 ईसवीं तक चालुक्या राजाओं की राजधानी रहा है | पहले चालुक्य राजाओं की राजधानी आईहोल थी जिसकों उन्होंने बादामी में शिफ्ट कर दिया था| चालुक्य राज्य गुजरात में नर्मदा नदी से लेकर दक्षिण में तमिलनाडु के कांचीपुरम तक फैला हुआ था| बादामी में आपको बहुत सारे ईतिहासिक मंदिर देखने के लिए मिलेगें| बादामी के राक कट मंदिर पूरी दुनिया में मशहूर है| मैं हंपी  देखकर होसपेट से रेलगाड़ी पकड़ कर दोपहर को बादामी रेलवे स्टेशन पहुँच गया था| यहाँ आकर मैंने आटो बुक करके मैं बादामी को घूमने के लिए निकल पड़ा|

बादामी गुफाओं को घूमता हुआ घुमक्कड़

Photo of Badami by Dr. Yadwinder Singh

बादामी के राक कट मंदिर - बादामी में देखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण राक कट मंदिर है | लाल बलुआ पत्थर की चट्टानों को काटकर बनाए हुए राक कट गुफा मंदिर अद्भुत है| बादामी में कुल चार गुफा मंदिर है जहाँ  पत्थर पर की हुई कलाकारी आपको मंत्रमुग्ध कर देगी| आटो मैं बैठ कर मैं बादामी की गुफाओं की ओर बढ़ने लगा| कुछ ही देर बाद आटो वाले ने मुझे बादामी राक कट गुफा मंदिर के गेट के सामने उतार दिया| उसने कहा मैं यहाँ पर आटो पार्क करता हूँ आप मंदिर देखकर आ जाईये| गेट के अंदर प्रवेश करके मैंने बादामी राक कट मंदिर के लिए टिकट खरीदी आनलाइन पेटीएम पर | टिकट लेकर कुछ सीढ़ियों को चढ़ते हुए  मैं एक पलेटफार्म पर आ गया| मेरे दाएं तरफ अब लाल रंग की बहुत विशाल पर्वत रुपी चट्टान थी जिसके निचले भाग को काट कर राक कट गुफा मंदिर बना हुआ था| यह गुफा नंबर -1 थी | बादामी में इस तरह की चार गुफाएं है| अपने जूते उतार कर मैं तीन चार सीढ़ियों को चढ़कर गुफा नंबर -1 के बरामदे में प्रवेश कर गया| बरामदे के बाद एक छोटा सा हाल बना हुआ है| इस हाल और बरामदे को चट्टान को काटकर बनाया गया है| गुफा मंदिर -1 भगवान शिव को समर्पित है| इस गुफा मंदिर के एक कोने में भगवान शिव की नटराजन रुप में डांस करते हुए बारह भुजाओं वाली शानदार मूर्ति बनी हुई है| इस पत्थर की मूर्ति कला को देखकर मैं दंग रह गया| कुछ समय के लिए इसकी कलाकारी को निहारता रहा| इसी दीवार के दूसरे तरफ हरी हरा की मूर्ति बनी हुई है जो आधी शिव और आधी विष्णु को प्रदर्शित करती है|
गुफा मंदिर-2
पहली गुफा मंदिर के बाद मैं दुबारा सीढ़ियों पर चढ़ता हुआ गुफा मंदिर-2 के सामने पहुँच गया| यह गुफा भगवान विष्णु को समर्पित है| इस गुफा का डिजाइन सादा है और तीन चार पिलर्स के साथ बरामदा बना हुआ है | इस गुफा मंदिर की दीवार पर भगवान विष्णु के वराह अवतार की शानदार पत्थर की मूर्ति बनी हुई है जो दिखने में बहुत आकर्षिक लगती है|
गुफा मंदिर-3
दूसरी गुफा के बाद फिर सीढ़ियों को चढ़कर जाना होता है| दोनों तरफ चट्टानों के बीच बने रास्ते पर आपको बहुत सारे बंदर मिलेगें| चलते चलते आप तीसरे गुफा मंदिर के पास पहुंच जायोगे| इस गुफा का निर्माण 578 ईसवीं में हुआ है| इसकी बाएं वाली दीवार पर भगवान विष्णु की खूबसूरत मूर्ति बनी हुई है जिसमें भगवान विष्णु की चार बाजुएँ बनी हुई है और विष्णु जी शेषनाग के ऊपर विराजमान है| बादामी के गुफा मंदिर की मूर्ति कला शानदार है|
गुफा मंदिर-4
सबसे आखिर में गुफा मंदिर-4 आती है जो जैन धर्म को समर्पित है | यह गुफा मंदिर चारों गुफाओं में सबसे छोटे आकार की है| इस गुफा मंदिर का निर्माण सातवीं और आठवीं शताब्दी के बीच में हुआ है| गुफा मंदिर की दीवार पर जैन धर्म के सातवें तीर्थंकर की भव्य मूर्ति बनी हुई है जिसके दोंनो तरफ जैन धर्म के 24 तीर्थंकर दिखाए गए हैं| इस गुफा के बाहर आपको बहुत खूबसूरत दृश्य दिखाई देगा |
आप दो से तीन घंटे में इन चारों गुफा मंदिरों को देख सकते हो| यहाँ की मूर्ति कला आपको अचंभित कर देगी | चालुक्य राज्य की यह विरासत सचमुच अनमोल है|
बादामी की खूबसूरत गुफाएं देखने के बाद मैं छोटी छोटी गलियों से गुजरते हुए बादामी के पुरातत्व विभाग म्यूजियम के गेट पर पहुँच गया | शाम हो चुकी थी साढ़े चार बज चुके थे| मैं पांच बजे से पहले इस शानदार म्यूजियम को देखना चाहता था| इसलिए मैं टिकट लेकर जल्दी ही म्यूजियम में प्रवेश कर गया| यह म्यूजियम हर शुक्रवार को बंद रहता है| इस म्यूजियम में फोटोग्राफी करना मना है| लज्जा गौरी की शानदार मूर्ति देखने लायक है| इस म्यूजियम में चार गैलरी बनी हुई है| गैलरी-1 में भगवान कृष्ण से संबंधित मूर्ति कला को प्रदर्शित की हुई है| गैलरी -2 में लज्जा गौरी की मूर्ति रखी हुई है| गैलरी-3 में आदिमानव से संबंधित जानकारी दी है| गैलरी-4 में बादामी की गुफाओं संबंधित पेंटिंग रखी हुई है| म्यूजियम देखने के बाद मैं सामने ही अगस्त्य कुंड पर पहुँच गया| इस जगह की विशालता और शांति ने मेरी सारे दिन की थकान को उतार दिया| दूर दिखाई दे रही पहाड़ी पर बादामी की गुफाएं थी और सामने विशाल अगस्त्य कुंड का पानी जहाँ दूर दूर तक शांति थी | शाम का समय था अगस्त्य कुंड के एक किनारे भूतनाथ मंदिर वीरान सा खड़ा है | दृश्य बहुत आलौकिक दिखाई दे रहा था| ऐसा कहा जाता है यह मंदिर शायद सातवीं शताब्दी में बनाया गया है| मैं काफी देर तक इस जगह की खूबसूरती को निहारता रहा| जब आप सारा दिन हैरीटेज ईमारते, मंदिर और गुफाएं देख कर थक जाते हो तो अगस्त्य कुंड नामक सरोवर पर शाम को बैठोगे तो थकावट अपने आप दूर हो जाऐगी| इस तरह मैंने इस जगह पर अपनी बादामी की यात्रा पूरी की|
कैसे पहुंचे- बादामी बंगलौर से 510 किमी, बागलकोट से 30 किमी और बीजापुर से 120 किमी दूर है| बादामी में रेलवे स्टेशन भी है| सड़क मार्ग से आप कर्नाटक के अलग अलग शहरों से बस लेकर पहुंच सकते हो| रहने के लिए बादामी में आपको हर बजट के होटल मिल जाऐगे|

बादामी गुफाओं को निहारते हुए घुमक्कड़

Photo of बादामि केव टेम्पल्स by Dr. Yadwinder Singh

बादामी गुफाओं की मूर्ति कला

Photo of बादामि केव टेम्पल्स by Dr. Yadwinder Singh

बादामी गुफाओं की मूर्ति कला

Photo of बादामि केव टेम्पल्स by Dr. Yadwinder Singh

ट्टाडकल मंदिर समूह
पट्टाडकल मंदिरों का समूह मालाप्रभा नदी के किनारे पर है जो कर्नाटक में बादामी से 29 किमी दूर है | यहाँ पर आपको 10 मंदिर एक समूह में देखने के लिए मिलेगें| पट्टाडकल मंदिरों को यूनैसको ने विश्व विरासत धरोहर में शामिल किया है | चालुक्य राजाओं की वास्तुकला कला का अद्भुत नमूना है पट्टाडकल मंदिर समूह | मैंने पट्टाडकल मंदिरों को घूमने के लिए बादामी से ही आटो बुक कर लिया था कयोंकि इस क्षेत्र में पब्लिक ट्रासपोर्ट का कोई भरोसा नहीं है| आटो वाले ने मुझे पट्टाडकल मंदिर समूह के सामने उतार दिया| टिकट लेकर मैंने पट्टाडकल मंदिर समूह में प्रवेश किया| सबसे पहले एक विशाल गार्डन आता है जिसमें आपको दूर मंदिरों के विशाल समूह दिखाई देते हैं | मंदिरों की भव्यता बहुत खूबसूरत है| दूर से दिखाई देते मंदिर बहुत शानदार लग रहे थे| मैं धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था| पट्टाडकल मंदिरों के बारे में पहले से ही पढ़ कर गया था और टिकट काउंटर से भी मुझे पट्टाडकल मंदिरों के बारे में एक छोटी सी किताब मिल गई थी जिससे मुझे मंदिरों के बारे में जानकारी मिल रही थी| दोस्तों जब भी आप कोई हैरीटेज साईट पर जाते हो तो उसके बारे में थोड़ा जानकारी जरूर पढ़ कर जाए या वहाँ जाकर कोई किताब या गाईड जरूर करें जिससे आपको उस जगह का ईतिहासिक महत्व भी पता लग सकें| जैसे पट्टाडकल मंदिरों का समूह है | यहाँ पर आपको काफी  मंदिर देखने के लिए मिलेगें| जिनके नाम निम्नलिखित अनुसार है|
जम्बुलिंग मंदिर
गलगनाथ मंदिर
संगमेश्वर मंदिर
काशी विश्वेश्वर मंदिर
मल्लिकार्जुन मंदिर
विरुपाक्ष मंदिर
पाप नाथ मंदिर
पट्टाडकल चालुक्य राजाओं की ताजपोशी वाली जगह थी | यहाँ पर चालुक्य राज्य वंश के शाही समारोह हुआ करते थे और राजाओं की ताजपोशी की जाती थी| पट्टाडकल मंदिरों के समूह को आप दो हिस्से में बांट सकते हो| जैसे कुछ मंदिरों की शैली उत्तर भारत के मंदिरों जैसी है और कुछ मंदिर दक्षिण भारत की शैली के लगते हैं| उत्तर भारत के मंदिरों में आपको शिखर डिजाइन देखने के लिए मिलेगा|
उत्तर भारत की शैली के मंदिर - जैसे ही आप पट्टाडकल मंदिर समूह में प्रवेश करते हो तो आपको सामने जम्बुलिंग मंदिर दिखाई देता है| यह घुमावदार शिकारा वाला छोटा सा मंदिर है| इस मंदिर की दीवार पर आपको भगवान विष्णु की आकृतियाँ देखने के लिए मिलेगी|
गलगनाथ मंदिर- थोड़ा आगे चलने पर आपको गलगनाथ मंदिर दिखाई देगा | इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में हुआ है| यह एक शिव मंदिर है | इसका शिखर उत्तर भारत मंदिर की शैली का है|
काशी विश्वेश्वर मंदिर - यह मंदिर भी शिखर वाला है | इस मंदिर की छत पर आपको शिव और पार्वती की आकृतियाँ देखने के लिए मिलेगी|
दक्षिण भारत कला मंदिर
संगमेश्वर मंदिर - यह मंदिर काफी पुराना है | इसका निर्माण चालुक्य वंश के राजा विजयादित्य के शाशन में हुआ है| यह द्रविड़ शैली में बना हुआ मंदिर है|
विरुपाक्ष मंदिर - यह पट्टाडकल मंदिर समूह के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है| इस मंदिर का निर्माण कांचीपुरम तमिलनाडु को जीतने की खुशी में राजा विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोका महादेवी ने 745 ईसवीं में करवाया था| यह शिव मंदिर है| मंदिर के प्रवेश के सामने नंदीमंदप बना हुआ है| पट्टाडकल मंदिर समूह में विरुपाक्ष मंदिर में पूजा होती है| इस मंदिर के सतंभों के ऊपर खूबसूरत कलाकारी की हुई है|
मल्लिकार्जुन मंदिर- यह मंदिर भी विरुपाक्ष मंदिर के साथ ही बना हुआ है| इस मंदिर को रानी त्रैलोक्य महादेवी ने बनाया है| यह मंदिर विरुपाक्ष मंदिर के साथ जुडवां मंदिर की तरह है| इस मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत के प्रसंगों को उकेरा गया है|
पापनाथ मंदिर- विरुपाक्ष मंदिर से एक रास्ता पापनाथ मंदिर की ओर जाता है| यह मंदिर आठवीं शताब्दी में बना हुआ है| इस मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ और नागर शैली का मिश्रण है|
मैंने तकरीबन दो घंटे लगाकर पट्टाडकल मंदिर समूह के दर्शन किए| चालुक्य राजाओं की वास्तुकला का अद्भुत नमूना अपनी आखों के सामने देखना हो तो आईए पट्टाडकल मंदिर समूह में| यहाँ के मंदिरों की वास्तुकला आपको अचंभित कर देगी|
कैसे पहुंचे- पट्टाडकल मंदिर समूह बादामी से 29 किमी दूर है| आप आटो बस या अपने साधन से यहाँ पहुँच सकते हो| रहने के लिए आपको बादामी बेहतर विकल्प है| बादामी में आपको हर बजट के होटल मिल जाऐगे|

पट्टाडकल को देखते समय घुमक्कड़

Photo of पत्तदकल by Dr. Yadwinder Singh

पट्टाडकल मंदिर समूह

Photo of पत्तदकल by Dr. Yadwinder Singh

विरुपाक्ष मंदिर पट्टाडकल

Photo of पत्तदकल by Dr. Yadwinder Singh

आईहोल- मालाप्रभा नदी के किनारे पर पट्टाडकल से 12 किमी दूर आईहोल नाम का खूबसूरत गाँव है| आईहोल में बने हुए मंदिर भी चालुक्य राज्य से संबंधित है| आईहोल में दुर्गा मंदिर और लाड खान मंदिर बहुत प्रसिद्ध है| टूरिस्ट इन मंदिरों को देखने के लिए ही आईहोल आते है| आईहोल चालुक्य राज्य की पुरानी राजधानी थी जिसको बाद में बादामी में तब्दील कर दिया गया था|
दुर्गा मंदिर आईहोल- यह आईहोल का सबसे बड़ा और खूबसूरत मंदिर है| यह मंदिर अर्ध गोलाकार डिजाइन में बनाया गया है जो इसे दूसरे मंदिरों से थोड़ा अनोखा बनाता है| इस मंदिर की बाहरी दीवारों के पत्थर पर खूबसूरत नक्काशी की हुई है| इस मंदिर की मूर्ति कला बेमिसाल है|
इसके अलावा आईहोल में मेगुती मंदिर, चिकी गुड़ी, हुचीमली गुड़ी, लाड खान मंदिर आदि दर्शनीय जगहें है|
आपको चालुक्य राज्य के विरासती स्थलों को देखने के लिए बादामी को ही अपना बेस बनाना होगा|

Photo of Aihole by Dr. Yadwinder Singh

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